संभल हिंसा मामले में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट जियाउर्रहमान बर्क की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में पुलिस की जांच जारी रहेगी। पुलिस जब भी चाहेगी, सांसद को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।
हालांकि, हाई कोर्ट ने सपा सांसद की गिरफ्तारी पर जरूर रोक लगा दिया है। लेकिन, अपने फैसले में कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर पुलिस सांसद को पूछताछ के लिए नोटिस भेजती है तो उन्हें पूछताछ के लिए थाने आना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। सपा सांसद के मामले की सुनवाई जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी की बेंच ने की। सुनवाई के दौरान जियाउर्रहमान बर्क के वकीलों ने दलील दी थी कि जिस वक्त संभल में हिंसा हुई थी, उस दौरान वो शहर से बाहर थे।
वहीं हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि जिन धाराओं के तहत पुलिस ने केस दर्ज किया है, उसके तहत आरोपी के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उसे कम से कम 7 साल की सजा हो सकती है। उल्लेखनीय है कि संभल हिंसा के मामले में जियाउर्रहमान बर्क को पुलिस ने आरोपी नंबर एक बनाया है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि संभल स्थित कथित जामा मस्जिद की 24 नवंबर 2024 को सर्वे के दौरान कम से कम 800 से अधिक मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने जमकर हिंसा की थी। दंगाइयों की पत्थरबाजी में 4 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 15 पुलिसकर्मी और 4 अधिकारी भी घायल हुए थे। एसडीएम रमेश बाबू के पैर में फैक्चर हो गया था। सीओ संभल के पैर में गोली लगी थी। जिलाधिकारी ने कमेटी का गठन किया था, जिसमें एसडीएम संभल, सीओ और अन्य अधिकारी शामिल थे।
जिया उर्रहमान बर्क और सोहेल इकबाल नामजद अभियुक्त हैं। बर्क को पहले भी नोटिस दिया गया था। उन्होंने पहले भी भड़काऊ भाषण दिए थे और उन्हें ऐसा करने के लिए मना किया गया था। भाषण के दौरान उन्हें पहले भी कहा गया था कि वह इस तरह के भाषण न दें लेकिन उन्होंने इसके बाद भी भीड़ को उकसाया। जब सर्वे का काम चल रहा था तो एकाएक भीड़ ने पथराव कर दिया।
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