गोवा में पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित सागर मंथन संवाद में राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि बड़े राज्यों की अपेक्षा गोवा में तेजी से विकास हो रहा है और हम इसी आधार पर विकसित राज्यों में शामिल हो जाएंगे। डॉ. सावंत से पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
गोवा की अपनी सांस्कृतिक पहचान उसकी स्थापित पहचान से अलग कैसे है?
अगस्त, 1947 से पहले पूरे भारत में ब्रिटिश राज था, लेकिन गोवा में 450 साल तक पुर्तगालियों ने राज किया। उस दौरान गोवा में खूब कन्वर्जन हुआ। गोवा जैसा कन्वर्जन देश के अन्य हिस्सों में कम हुआ। गोवा में सबसे अधिक मंदिर तोड़े गए। इसके बावजूद उसकी सांस्कृतिक विरासत बची रही। इसे बचाने में यहां के लोगों ने सबसे अधिक योगदान दिया है। हमने तब से लेकर आज तक उसी संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए ‘सन’,‘सी’ और ‘सैंड’ से आगे निकलकर आध्यात्मिक और मंदिर पर्यटन को आगे बढ़ाया है।
गोवा की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान रहा है, लेकिन इसमें हाल के दिनों में कुछ गिरावट देखी गई है। इस गिरावट के कारणों में आप किस कारण को प्रमुख मानते हैं?
जब भारत के पर्यटन की बात आती है या फिर वैश्विक स्तर पर पर्यटन की चर्चा होती है, तब गोवा की बात आती ही है। गोवा भारत में पर्यटन की राजधानी है। यहां पिछले 25-30 वर्ष से दिन-प्रतिदिन पर्यटन उद्योग बढ़ रहा है। कोरोना के बाद देश में सबसे पहले गोवा में पर्यटकों को आने की अनुमति मिली। हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं कि श्रीलंका, मालदीव जैसे देशों से गोवा के पर्यटन उद्योग को चुनौती मिल रही है। सभी देश अपने पर्यटन उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं। पर्यटक गोवा में पहले एक विशेष मौसम में आते थे, लेकिन अब पर्यटक पूरे साल आते हैं। यहां आने वाले पर्यटक गोवा को उसकी संस्कृति के कारण चुनते हैं। इस बात में शक नहीं कि लोग यहां की ‘नाइट लाइफ’, समुद्र तटों और तटीय मनोरंजन के प्रति आकर्षित होते हैं। हालांकि विभिन्न प्रतिबंधों के कारण पर्यटकों को कुछ समस्याएं होती हैं, लेकिन सरकार उन समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर रही है।
बाहर से फ्लाइट लेकर गोवा आना सस्ता है, लेकिन हवाई अड्डे से अपने गंतव्य तक पहुंचना महंगा है। यहां ऐप आधारित सेवाएं सीमित हैं। आप इसे पर्यटन की दिशा में अड़चन मानते हैं?
गोवा में ‘गोवा माइल्स टैक्सी ऐप’ है। इसके साथ ही कुछ स्थानीय संगठन भी हैं, जो इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। प्रीपेड टैक्सी भी उपलब्ध हैं। यहां मेट्रो नहीं है, लेकिन इसके लिए रेलवे के साथ बात चल रही है। सभी टैक्सियों को ऐप आधारित करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि इस तरह के पर्यटक स्थलों में अनेक प्रकार की समस्याएं होती हैं। सरकार इन समस्याओं को कम करने का प्रयास करती रहती है।
देश में एक तरफ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य हैं और दूसरी तरफ गोवा जैसा छोटा राज्य है। छोटे राज्य के कारण आपको कौन से अच्छे अवसर मिलते हैं और किस प्रकार की दिक्कतें होती हैं?
गोवा 3,702 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला राज्य है। एक तरफ सह्याद्रि घाटी है, तो दूसरी ओर समुद्र। गोवा पूरे देश में 70 फीसदी से अधिक ‘ग्रीन कवरेज’ वाला राज्य है। देश के सबसे अधिक पर्यावरणविद् आपको गोवा में मिलेंगे। इन सबके बाद भी बीते 10 साल के कार्यकाल में हमने ढांचागत विकास में जिस तरह के कार्य किए हैं, वैसे 50 साल के कार्यकाल में अन्य सरकारें नहीं कर पाई थीं। सतत विकास जो हम कर सकते हैं, वह हम कर रहे हैं। सतत विकास के मामले में हम देश में चौथे क्रमांक पर हैं। ‘हर घर नल से जल’, ‘हर ग्राम तक सड़क’, ‘100 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी’ जैसी 80 प्रतिशत योजनाओं में हम 100 प्रतिशत सफलता प्राप्त कर चुके हैं। यह सब इसलिए संभव हो सका है, क्योंकि हम छोटा राज्य हैं। छोटा राज्य होने के कारण हमारे पास 91 ग्राम पंचायत और 41 नगरपालिका हैं। मुख्यमंत्री चाहे तो सीधे ग्राम प्रधान, डिप्टी कलेक्टर या किसी और से भी बात कर सकता है। अंत्योदय, सर्वोदय और ग्रामोदय के लिहाज से गोवा आदर्श राज्य है।
भाजपा ‘डबल इंजन सरकार’ की बात करती है। चुनावों के दौरान भाजपा के नेता इसे बड़े जोर-शोर से उठाते हैं। इसे देखते हुए विपक्ष कहता है कि भाजपा पार्टी से अधिक चुनाव जीतने की मशीन बन गई है। विकास की राजनीति में ‘डबल इंजन सरकार’ अपने को कहां पाती है और विपक्ष के आरोप में कितना सच है। चुनाव जीतने की राजनीति बनाम विकास की राजनीति, इसे आप कैसे देखते हैं?
हम राजनीति में अंत्योदय, सर्वोदय और ग्रामोदय के लिए हैं। हम जब सत्ता में आते हैं तो समाज के पिछड़े वर्ग के लिए किस प्रकार से कार्य किया जाए, यह केंद्र में होता है। ‘डबल इंजन सरकार’ का अर्थ है प्रदेश और देश में एक ही पार्टी की सरकार का होना। ऐसा होने से नीतियों को सुशासन के लिए अच्छे से लागू किया जा सकता है। इसीलिए मैं कहता हूं कि 50 साल में गोवा में जो विकास नहीं हुआ, उसे हमने इन 10 वर्ष में कर दिखाया है।
आपने सुशासन की बात की। इस सुशासन का शंखनाद अटल जी के समय हुआ था। पूरे देश में सड़कों के जाल की बात हो, स्वर्णिम चतुर्भुज हो या अन्य योजनाएं, ये सभी अटल जी के प्रधानमंत्री रहते शुरू हुई थीं। विकास की यह राजनीति कहां तक चलेगी? क्योंकि हर चीज का एक चरमबिंदु होता है?
जब अटल जी प्रधानमंत्री बने थे, तो हमने सुशासन को देखा था। पारदर्शिता और ढांचागत विकास की बात उन्हीं के कार्यकाल से शुरू हुई थी। अटल जी ने गांवों के विकास की नींव रखी थी। उनकी सरकार के जाने के बाद कांग्रेस की सरकार आई। इसके समय गांवों के विकास की गति थम-सी गई थी, लेकिन 2014 के बाद यह गति फिर से तेज हुई है। आज हम ‘क्लीन इंडिया’ से लेकर ‘फिट इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’, ‘मेड इन इंडिया’ आदि को देख रहे हैं। ये सभी भारत के विकास को गति दे रहे हैं। इन 10 वर्षों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरे देश में एक बदलाव आने की शुरुआत हुई है। अटल जी ने जिस नए भारत की नींव रखी थी, वह मोदी जी के कार्यकाल में पूरी हो रही है।
गोवा में राजनीति का बदलाव और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की विरासत को आप कैसे देखते हैं?
मनोहर पर्रिकर जी के कार्यकाल से ही गोवा में सुशासन, ढांचागत विकास और पारदर्शिता की बात शुरू हुई थी। इसीलिए गोवा में नए बदलाव की शुरुआत हुई। डबल इंजन सरकार के समय में ही गोवा में इलेक्ट्रॉनिक क्लस्टर, मरीन क्लस्टर, मोपा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, वाटर स्पोर्ट इंस्टीट्यूट, पोलार इंस्टीट्यूट, आईआईटी, एनआईटी और आयुष जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान आए हैं और विकास कार्यों को गति मिली है। गोवा केंद्र सरकार के साथ अच्छे से जुड़ा हुआ है। गोवा शिक्षा के केंद्र के रूप में उभर रहा है।
क्या गोवा के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त स्थान मिल पाता है?
राजनीतिक तौर पर लोग कभी-कभी गोवा का महत्व कम आंकते हैं, क्योंकि यहां से लोकसभा के केवल दो सांसद और एक राज्यसभा सदस्य हैं। भले ही लोकसभा में गोवा के दो सांसद हैं, लेकिन गोवा को देने के लिए केंद्र सरकार ने कभी कोई कमी नहीं की। गोवा का बजट करीब 26,000 करोड़ रुपए का है, लेकिन ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 30,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि गोवा को दी है।
2047 के गोवा को आप कैसे देखते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोर-शोर से विकसित भारत 2047 की बात कर रहे हैं। ऐसे में निश्चित तौर पर विकसित गोवा 2047 के लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। लेकिन मैं एक बात जरूर कहूंगा कि 2047 से 10 साल पहले ही गोवा विकसित हो जाएगा। गोवा 2037 तक 100 प्रतिशत विकसित राज्यों में शामिल हो जाएगा, क्योंकि हम अभी तक विकास के 80 फीसदी कार्यों को करने में सफल रहे हैं। केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन, जीडीपी, समान नागरिक संहिता जैसे तमाम मामलों में हम बड़े राज्यों से आगे हैं।
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