ईरान की मुस्लिम कट्टरपंथी सरकार कथित इस्लाम के विरोध में उठने वाले हर स्वर या असहमति की आवाज को बेरहमी से कुचल रही है। इसकी बानगी इस तरह से देखी जा सकती है कि वहां पर शरिया लागू करने को लेकर वहां की सरकार महिलाओं के लिए हिजाब को लागू करने के लिए इस कदर बेकरार रहती है कि वहां हिजाब कानून का उल्लंघन करने वालों को प्रताड़ित करने के लिए नए नए कानून बनाए जा रहे हैं। अमेरिका स्थित मानवाधिकार समूह HRANA ने दावा किया है कि इस साल 883 लोगों को फांसी दी गई है।
ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ये पिछले एक दशक में फांसी की सबसे अधिक वार्षिक संख्या है। खास बात ये है कि इनमें से अधिकतर फांसी की सजा बहुत ही सीक्रेट तरीके से और बिना किसी सार्वजनिक सूचना के दी गई थी। जिन लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया था, उनमें पुरुषों की संख्या सबसे अधिक थी। फांसी का सजा पाए कथित अपराधियों में 772 पुरुष, 26 महिलाएं और 5 किशोर अपराधी थे।
खास बात ये है कि फांसी पाए लोगों में सबसे अधिक संख्या उन लोगों की बताई जाती है, जो किसी न किसी रूप में नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों में संलिप्त थे। नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों के बाद हत्या के मामले में 40 फीसदी फांसी दी गई है। खास बात ये रही ये इनमें से 94 फीसदी फांसी की सजा को बहुत ही सीक्रेट रखा गया था।
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान में पिछले वर्ष 853 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी।
इसी साल ईरान में हिजाब का विरोध करने के मामले में 644 महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 644 गिरफ्तारियों में से 618 गिरफ्तारी ऑपरेशन नूर से संबंधित थी। इसी साल अप्रैल में जारी किए गए ऑपरेशन नूर का बेजा इस्तेमाल करते हुए ईरान की कथित मॉरल महिलाओं का लगातार दमन कर रही है।
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