संभल जिसे पौराणिक ग्रंथों में भगवान नारायण की अवतार स्थली के रूप में वर्णित किया गया है। अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने इस नगर में पौराणिक धरोहरों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण किया, जिसमें 19 प्राचीन कुओं और 6 तीर्थ स्थलों की पुष्टि की गई है। यह खोज इस ऐतिहासिक नगर को और अधिक गौरवशाली बनाती है और इसके धार्मिक महत्व को भी रेखांकित करती है।
संभल के 19 प्राचीन कूपों की खोज
पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि संभल में 19 प्राचीन कुएं हैं, जिन्हें “कूप” कहा गया है। ASI की टीम ने इन सभी 19 कूपों को ढूंढ लिया है। इनमें से कुछ प्रमुख कूप इस प्रकार हैं-
- चतुर्मुख कूप- यह कूप आलम सराय के पानी की टंकी के पास स्थित है।
- अमृत कूप- यह कुआं दुर्गा कॉलोनी स्थित मंदिर में है।
- अशोक कूप- हल्लू सराय मोहल्ले में स्थित है।
- सप्तसागर कूप- सर्थलेश्वर मंदिर के पास सरथल चौकी में है।
- बलि कुआं- पुरानी तहसील के पास कुचेवाली गली में स्थित है।
- धर्म कूप- हयातनगर में स्थित है।
- ऋषिकेश कूप- कोट पूर्वी मोहल्ले के शिव मंदिर में है।
- पराशर कूप- कल्कि मंदिर के पास है।
- अकर्ममोचन कूप- संभल कोतवाली के सामने स्थित है।
इसके अतिरिक्त, जामा मस्जिद परिसर और अन्य स्थानों पर 10 से 19 तक के कूप पाए गए हैं, जिनमें से कुछ को मस्जिदों और मंदिरों के पास खोजा गया है।
संभल में 68 तीर्थ स्थलों की पौराणिक मान्यता है। अब तक इनमें से 6 तीर्थ स्थलों की पहचान की जा चुकी है। ये तीर्थ स्थल हैं-
- भद्रका आश्रम तीर्थ- हौज भदेसरा में स्थित है।
- स्वर्गदीप तीर्थ- जलालपुर मोहम्मदाबाद में है।
- चक्रपाणि तीर्थ- जलालपुर में स्थित है।
- श्मशान तीर्थ- आर्य कोल्ड स्टोरेज के पास है।
- कल्कि विष्णु मंदिर तीर्थ- धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार कल्कि का मंदिर।
पौराणिक महत्व और आगे की खोज
संभल की पहचान 19 कूपों, 68 तीर्थों, 36 पुरों और 52 सरायों से जुड़ी है। हालांकि, ASI की टीम अब तक केवल 19 कूपों और 6 तीर्थों की ही पहचान कर पाई है। बाकी 62 तीर्थों, 36 पुरों और 52 सरायों की खोज अभी बाकी है। यह खोज पौराणिक ग्रंथों के आधार पर की जा रही है, जिसमें “कल्कि पुराण” और अन्य धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं।
कल्कि मंदिर
कल्कि मंदिर संभल के धार्मिक और पौराणिक महत्व का केंद्र है। यह स्थान भगवान विष्णु के कल्कि अवतार से जुड़ा हुआ है और यहां पर ASI ने कृष्णा कूप की पहचान की है। संभल के डीएम और प्रशासन ने इन ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन स्थानों के काल निर्धारण और संरक्षण के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। आने वाले समय में इन धरोहरों को संरक्षित करके संभल को एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
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