मोदी की विदेश यात्राओं में उस देश से भारत में निवेश करने का प्रधानमंत्री विशेष रूप से आग्रह करते हैं। इसी दृष्टि से मोदी ने कुवैत में एक विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल से आह्वान किया कि वे आज के बढ़ते भारत में ऊर्जा, रक्षा, चिकित्सा उपकरणों, फार्मा क्षेत्र तथा खाद्य पार्क जैसे आधनिक क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाशने के लिए भारत आएं। भारत को इससे दो लाभ होंगे, एक तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा, दूसरे दोनों देशों के बीच संबंधों में और गहराई आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गत दो दिन की कुवैत यात्रा कई मायनों में असाधारण कही जा सकती है। सबसे पहले तो किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने लगभग चार दशक बाद उस देश की यात्रा की यात्रा की थी जो भारत से सिर्फ 4 घंटे की दूरी पर है। दूसरे इसमें, दोनों देशों के मिलकर विकास करने का एक मजबूत खाका प्रस्तुत किया गया, और तीसरे, इस्लामी आतंकवाद पर मिलकर प्रहार करने का संकल्प लिया गया।
दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई बातचीत से जहां कई देशों की भवैं तिरछी हुई होंगी वहीं इसके सकारात्मक परिणामों के दूरगामी असर होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी ने वहां के अमीर के साथ ही प्रधानमंत्री व अन्य नेताओं से खुले दिल से बात की। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान दोनों पक्षों द्वारा सीमा पार आतंकवाद की भर्त्सना करने के साथ ही उसे पैसे और पनाह देने वालों के विरुद्ध प्रभावी चोट करने की बात करता है। इसमें दोनों ही देश साझा प्रयास करने पर सहमत हुए हैं। बयान में पाकिस्तान का ऐसे देश के रूप में स्पष्ट उल्लेख है जो आतंकवादी हरकतों को शह और समर्थन देता आ रहा है।
कल जारी इस संयुक्त बयान में विशेष तौर पर सीमा पार आतंकवाद पर प्रहार किया गया है। कहा गया है कि इस पूरे आतंकवादी तंत्र को ध्वस्त करने की आवश्यकता है और इसके लिए दोनों देश संयुक्त रूप से कार्रवाई करेंगे। साइबर स्पेस की मदद से आतंकवादी कैसे कट्टरता फैलाते हुए सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचा रहे हैं, इसे भारत और कुवैती नेताओं ने खत्म करने का संकल्प लिया है।
मोदी की कुवैत यात्रा इस मायने में भी महत्वपूर्ण रही कि इसमें कुवैत ने जल्दी ही भारत में निवेश को लेकर संधि करने में रुचि दिखाई है। यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि भारत में खाड़ी देशों से हो रहे पूंजी निवेश में आठ गुणा की वृद्धि होना एक बड़ी उपलब्धि है।
भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के आंकड़े देखें तो सितंबर 2013 और सितंबर 2024 के बीच एक बड़ा बदलाव दिखाई देता है। खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों का भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आज 24.54 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुका है। इसकी अप्रैल 2000 से सितंबर 2013 के बीच के निवेश से तुलना करें तो तब इन्हीं देशों 3.046 अरब डॉलर का निवेश ही होता है। आज निवेश इससे आठ गुणा से ज्यादा बढ़ चुका है।
मोदी की विदेश यात्राओं में उस देश से भारत में निवेश करने का प्रधानमंत्री विशेष रूप से आग्रह करते हैं। इसी दृष्टि से मोदी ने कुवैत में एक विशिष्ट प्रतिनिधिमंडल से आह्वान किया कि वे आज के बढ़ते भारत में ऊर्जा, रक्षा, चिकित्सा उपकरणों, फार्मा क्षेत्र तथा खाद्य पार्क जैसे आधनिक क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाशने के लिए भारत आएं। भारत को इससे दो लाभ होंगे, एक तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा, दूसरे दोनों देशों के बीच संबंधों में और गहराई आएगी।
मोदी की एक और खास मुलाकात हुई कुवैत में योग के प्रचार—प्रसार में लगीं शेखा अल सबा से। शेखा अल सबा और उनके जैसे अनेक सोशल इंफ्लूएंसर्स से मोदी का मिलना उस देश में भारत के ज्ञान—विज्ञान—संस्कृति और संस्कारों के प्रसार की ओर एक कदम कहा जा सकता है। शेखा अल सबा की खूबी यह है कि उन्होंने कुवैत में उस योग संस्थान ‘दारातमा’ की स्थापना की है जो सरकार से लाइसेंस प्राप्त है। अल सबा ध्यान और योग से स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा दे रही हैं और भारत-कुवैत के बीच लोगों में आपसी जुड़ाव को और बल दे रही हैं। मोदी से चर्चा में उन्होंने कुवैत में बेहद लोकप्रिय अपने योग संस्थान के माध्यम से योग के प्रति कुवैत के युवाओं में और ज्यादा जागरूकता लाने पर बल दिया।
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