भारतीय संविधान निर्माता डॉ. बी. आर. आंबेडकर की विरासत को मिटाने की भरपूर कोशिशें करने वाली कांग्रेस पार्टी, वो कांग्रेस पार्टी जिससे बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर न केवल उनके जीवनकाल में लड़ते रहे, बल्कि अपनी मृत्यु के बाद भी कांग्रेस के कुत्सित प्रयासों का शिकार हुए।
यह समय के साथ-साथ सिद्ध हुआ तथ्य है बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर संविधान निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति थे, उनके पास विधिक, राजनीतिक और सामाजिक चेतना का अद्वितीय मिश्रण था। महात्मा गांधी ने भी उनके नेतृत्व का समर्थन किया था।
डॉ. आंबेडकर का कांग्रेस से मतभेद कई अहम मुद्दों पर था। बाबासाहेब का स्पष्ट मानना था कि ‘कांग्रेस ने विभाजन के समय भारत की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज किया’, कश्मीर मुद्दे पर भी उनका दृष्टिकोण स्पष्ट था। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान का निर्माण समस्या का समाधान बिल्कुल नहीं है, बल्कि उस समय भारत को एक मिश्रित राष्ट्र के रूप में बनाए रखने की आवश्यकता थी। उनके विचार में, कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाना उतना ही महत्वपूर्ण था, जितना देश की अन्य सुरक्षा, सड़कें और खाद्यान्न आपूर्ति को सुनिश्चित करना।
इस समय में डॉ. आंबेडकर ने मीडिया पर भी निशाना साधा, जो हमेशा पूर्वाग्रह से काम करती थी, न कि वास्तविक गुणों और तथ्यों के आधार पर चूँकि वह मीडिया भी उस समय कांग्रेस के पिंजड़े में कैद थी और जानबूझकर बाबासाहेब के खिलाफ कांग्रेस के इशारे पर काम करता था लेकिन डॉ. आंबेडकर ने कांग्रेस के इतने दुष्प्रचार के बाद, चुनावों में अपनी पराजय के बावजूद भी अपनी योजनाओं और सिद्धांतों को नहीं छोड़ा, अपनी आलोचनाओं को झेलते हुए, डॉ. आंबेडकर ने भारतीय राजनीति और समाज के लिए हमेशा अपनी भूमिका निभाई और हमेशा से ही यह प्रयास किया कि उनके विचारों का प्रभाव सकारात्मक रूप से समाज में पड़े।
यदि कोई यह सोचता है कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के साथ कांग्रेस द्वारा किए गए अन्याय उनके निधन के बाद समाप्त हो गए, तो वह चकित रह जाएगा कि जब वे जीवित थे, तब नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने इस महान नेता से लगातार दूरी बनाई, उन्हें लगातार परेशान किया और उनकी मृत्यु के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की महान विरासत को विकृत करना जारी रखा।
कांग्रेस के शासनकाल में दशकों तक डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की स्मृतियों को नजरअंदाज किया गया। यहां तक कि संसद के सेंट्रल हॉल में उनका चित्र तब स्थापित किया गया, जब वी.पी. सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। गैर कांग्रेसी सरकार ने ही उनकी मृत्यु के 34 वर्ष बाद उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया।
यहाँ तक कि कांग्रेस ने डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की 100वीं जयंती तक नहीं मनाई, ‘डीप स्टेट’ के इशारों पर नाचने वाली कांग्रेस आज जब अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है तो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति उनका दिखावटी ‘ड्रामा’ केवल दलितों का वोटबैंक मजबूत करने के लिए है, लेकिन अब लोग इन हथकंडों से मूर्ख नहीं बनने वाले। एक-एक भारतवासी जानता है कि कांग्रेस ने केंद्र और महाराष्ट्र में सत्ता में रहते हुए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत को जीवित रखने के लिए क्या किया है और क्या नहीं ? उनका न तो कोई लेख पुनर्प्रकाशित हुआ, और न ही कोई पुस्तक प्रकाशित की गई।
अब हमें यह समझना चाहिए कि ‘नरेन्द्र मोदी’ बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की विरासत के सच्चे हक़दार क्यों हैं ?
नरेंद्र मोदी जी जी का जन्म एक ऐसे समुदाय में हुआ था, जिसे ओ.बी.सी. (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रूप में वर्गीकृत किया गया, उनका पालन-पोषण भी एक बेहद सामान्य परिवार में हुआ। बाबासाहेब की तरह उन्होंने भी गरीबी और सामाजिक भेदभाव के दोहरे आघात का अनुभव किया और यह देखा कि कैसे समाज के वंचित वर्गों के लोग इन दोनों परिस्थितियों का सामना करते हैं। सार्वजनिक जीवन में मोदी जी जी का बढ़ता कद और उन्हें मिलने वाली महत्वपूर्ण भूमिकाएँ उस सामाजिक गतिशीलता का उदाहरण हैं, जिसकी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कल्पना की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कई बार यह कहा है कि “डॉ. आंबेडकर के योगदान के कारण उनके जैसे लोगों के लिए सामाजिक जीवन में उत्थान संभव हुआ है |”
सामाजिक समानता के प्रति नरेन्द्र मोदी जी का उत्साह बचपन से ही दिखाई देने लगा था जब एक छोटे बच्चे के रूप में ही उन्होंने ‘पीलो फूल’ नामक नाटक लिखा, जो छुआछूत की प्रथा के खिलाफ जागरूकता का प्रयास था। जब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे, तब भी उन्होंने दलितों और आदिवासियों तथा समाज के वंचित, उपेक्षित वर्गों के मुद्दों पर महत्वपूर्ण काम किया |
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के महासचिव के रूप में, नरेन्द्र मोदी जी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्तियाँ स्थापित करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए प्रेरित किया। यह कदम कांग्रेस-प्रभुत्व वाले राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण था, जहां डॉ. आंबेडकर की विरासत को दरकिनार किया जा रहा था।
उसी वर्ष मोदी जी जी ने गुजरात में न्याय यात्रा की शुरुआत की, जिसने दलितों पर अत्याचारों और किसानों की समस्याओं के खिलाफ आंदोलन चलाया तब नरेन्द्र मोदी जी जी ने अपनी पार्टी को गुजरात में एक विजयी इकाई के रूप में स्थापित किया और अंत में मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने गुजरात में डॉ. आंबेडकर की मूर्तियों और भवनों का निर्माण कराया, जिसे उद्घाटन करते हुए उन्होंने डॉ. आंबेडकर को आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक बताया। उन्होंने कहा था कि आंबेडकर का उद्देश्य सामाजिक क्रांति था और उनके विचार असमानता के खिलाफ संघर्ष के प्रतीक थे।
2010 में मोदी जी ने संविधान के अंगीकार की 60वीं वर्षगाँठ पर ‘संविधान यात्रा’ आयोजित की। इस यात्रा का आरंभ डॉ. आंबेडकर की मूर्ति से हुआ था, और यह यात्रा एक सजे हुए हाथी पर संविधान की प्रतिकृति के साथ पूरी हुई, जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल थे और बाबासाहेब के चित्र और संविधान के नीचे पैदल-पैदल चल रहे थे |
गुजरात में मोदी जी जी के शासन के दौरान कई योजनाएँ डॉ. आंबेडकर से प्रेरित थीं, जैसे कि बाबासाहेब आंबेडकर आवास नवीकरण योजना, जो वंचित वर्गों को घर के मालिक बनने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती थी इत्यादि |
सामाजिक समरसता के लिए मोदी जी का आदर्श डॉ. आंबेडकर से प्रेरित था। मोदी जी ने डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण को अपने राजनीतिक दर्शन का हिस्सा बनाया, जिससे समाज में समानता और सम्मान सुनिश्चित हो सके। उन्होंने अपनी पार्टी के भीतर और बाहर सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में काम किया, ताकि हर वर्ग को समान अवसर मिल सके।
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने अनुसूचित जाति, जनजाति और ओ.बी.सी. के लिए आरक्षित सीटों पर बड़ी संख्या में जीत हासिल की, जिससे मोदी जी जी की पार्टी की लोकप्रियता और सामाजिक आधार में विस्तार हुआ। मोदी जी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने डॉ. आंबेडकर के जीवन से जुड़े महत्त्वपूर्ण स्थानों को ‘पंच तीर्थ’ के रूप में विकसित किया। इनमें महू (मध्य प्रदेश), लंदन(इंग्लैंड), नागपुर (महाराष्ट्र), दिल्ली और मुंबई शामिल हैं।
नवंबर 2015 में सरकार ने डॉ. आंबेडकर के सम्मान में 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ घोषित किया। इसके बाद, 2018 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने महापरिनिर्वाण स्थल पर डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री मोदी जी जी के नेतृत्व में सरकार ने डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण को लागू किया और उनके विचारों को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया। उन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी डॉ. आंबेडकर के विचारों को याद किया और उनके योगदान को मान्यता दी।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का ‘आत्मनिर्भरता’ में अडिग विश्वास था। उनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति हमेशा गरीबी का शिकार नहीं रह सकता। उन्होंने यह भी कहा था कि केवल गरीबों के बीच पूंजी का वितरण गरीबी दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जी के नेतृत्व वाली सरकार की मौद्रिक नीति, स्टार्टअप इंडिया, और स्टैंडअप इंडिया जैसी पहल हमारे युवा नवप्रवर्तकों और उद्यमियों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर रही हैं।
1930 और 1940 के दशकों में जब भारत में सड़कों और रेलवे के विकास की चर्चा हो रही थी, तब डॉ. आंबेडकर ने जलमार्गों और बंदरगाहों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जलशक्ति को ‘राष्ट्रशक्ति’ के रूप में देखा और पानी के उपयोग पर जोर दिया, जो आज देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है और मोदी जी सरकार ने ‘जलशक्ति मंत्रालय’ का गठन मई, 2019 में करके बाबासाहेब के विजन को मूर्त रूप प्रदान किया।
1940 के दशक में जब अधिकतर चर्चाएँ द्वितीय विश्वयुद्ध, शीतयुद्ध और विभाजन के आसपास केंद्रित थीं, तब डॉ. आंबेडकर ने संघवाद और केंद्रीय-राज्य सहयोग के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ ‘की भावना की नींव रखी थी और देश के विकास के लिए केंद्र और राज्यों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता बताई थी। आज ‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने शासन के सभी पहलुओं में ‘सहकारी संघवाद’ को अपनाया है और ‘प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद’ को आगे बढ़ाया है।
श्री नरेन्द्र मोदी जी जी के नेतृत्व वाला आज का यह भारत डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का भारत है, जो गरीबों और पिछड़ों का भारत है।
आज के समय में, प्रधानमंत्री मोदी जी को भी उसी तरह का विरोध सामना करना पड़ा है, जैसा डॉ. आंबेडकर को उनके जीवनकाल में और बाद में करना पड़ा था। यह संयोग नहीं है कि दोनों ही सामान्य पृष्ठभूमि से आए और इसके बावजूद अपने-अपने क्षेत्रों में शीर्ष पर पहुँचने में सफल हुए। दोनों ने अपने कार्यों में निष्पक्षता और न्याय का परिचय दिया है। नीति के दृष्टिकोण से, डॉ. आंबेडकर और प्रधानमंत्री मोदी जी के विचारों में समानता है, चाहे बात आर्थिक दृष्टिकोण, सामाजिक न्याय या कमजोर वर्गों के सशक्तीकरण की हो चाहे महिलाओं के सामाजिक एवं वित्तीय सशक्तीकरण की, हर पहलू में श्री नरेन्द्र मोदी जी जी ही डॉ. आंबेडकर के अनुगामी प्रतीत होते हैं इसीलिए यह कहना बिलकुल गलत नहीं है कि ‘नरेन्द्र मोदी जी ही बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर की विरासत को सही मायनों में आगे बढ़ा रहे हैं, इसलिए वे ही उनके विचारों के सच्चे सेवक हैं |’
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