गत लोकसभा चुनाव में संविधान संशोधन का भ्रम फैलाने वालों को उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में जबरदस्त झटका लगा है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। इसमें से 7 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने विजय प्राप्त की। इनमें मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट भी है, जहां 64 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। इस जीत के बाद से राजनीतिक विश्लेषक अचंभित हैं और विपक्ष एक बार फिर से ईवीएम का राग अलाप रहा है। पाञ्चजन्यके उत्तर प्रदेश ब्यूरो प्रमुख सुनील राय ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी से इस संदर्भ में विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
हाल में संपन्न उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में माना जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी को 9 में से 6 सीटों पर विजय प्राप्त होगी मगर इस बार उसे 7 सीटों पर विजय हासिल हुई है। इस पर क्या कहना चाहेंगे?
हमारे कार्यकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर बहुत मेहनत की। हम लोगों ने समाज के हर वर्ग, हर मजहब और जाति-पंथ के लोगों तक अपनी बात पहुंचाई है। लोग बड़ी संख्या में हमसे जुड़े। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हो रहे विकास कार्यों में कोई भी भेदभाव नहीं किया गया है। विकास की योजनाओं का लाभ सभी को मिला है चाहे वह किसी भी जाति का हो या किसी भी पंथ और मजहब को मानने वाला हो। हमारे यहां किसी भी आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। भाजपा की सरकार ने अगर विद्युत आपूर्ति की स्थिति को सुधारा है तो उसका लाभ सभी को मिल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अगर आवास मिला है तो सभी पात्र व्यक्तियों को मिला है। हमारी कथनी और करनी में कोई भेद नहीं है इसलिए हमने 7 सीटों पर विजय हासिल की और शेष दो सीटों पर भी हम मजबूती से चुनाव लड़े।
मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में 64 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इस बार उपचुनाव में वहां भाजपा के प्रत्याशी को करीब पौने दो लाख मत प्राप्त हुए। माना जा रहा है कि मुसलमानों ने भाजपा को भारी संख्या में वोट दिया। क्या मुसलमान भी भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं?
सपा और अन्य विपक्षी दलों के नेता, मुसलमानों को भाजपा के नाम से डराते थे। उन्हें भ्रमित करते थे। हम लोगों ने सभी से बात की और यह बताया कि लगभग 11 वर्ष से मोदी जी प्रधानमंत्री हैं और करीब 7 वर्ष से योगी जी मुख्यमंत्री हैं। इस दौरान उन लोगों को भी ऐसा नहीं लगा कि किसी बात से डरने की जरूरत है! हम मुसलमानों की एक बड़ी आबादी को यह बात समझाने में सफल रहे। मुस्लिम बहुल इलाकों में भी हम लोग चुनाव जीत रहे हैं। आगे और बड़ी सफलता मिलेगी। समाजवादी पार्टी काफी अरसे से कुंदरकी विधानसभा सीट पर चुनाव जीत रही थी मगर सपा के नेताओं ने वहां के स्थानीय समस्याओं की अनदेखी की। सपा को लेकर लोगों में नाराजगी थी। समाजवादी पार्टी के लोग यह मान कर चल रहे थे कि कुंदरकी तो मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। वहां के लोग हर हाल में उन्हें ही वोट देंगे, लेकिन भाजपा इस क्षेत्र में लंबे समय से लोगों के साथ जुड़कर उनके बीच काम कर रही थी इसलिए लोगों ने इस बार भाजपा को यहां से जितवाया है। इससे यह संदेश गया है कि भाजपा को समाज के हर वर्ग, जाति और मजहब के लोग पसंद करते हैं।
समाजवादी पार्टी की तरफ से मुसलमानों को खुश करने का खुला खेल हुआ। चुनाव के दिन यह मांग की गई कि मतदान करने गईं मुस्लिम महिलाओं का बुर्का हटा कर जांच न की जाए?
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में काफी समय तक सत्ता में रही। उसने मुसलमानों को सपने तो खूब दिखाए मगर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसका ही परिणाम है कि मुसलमानों का समाजवादी पार्टी से मोह भंग हो रहा है। सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा की विजय यह साबित करती है कि मुसलमानों का सपा से मोह भंग हो रहा है।
कुंदरकी विधानसभा की जीत के मायने यह भी हो सकते हैं कि तीन तलाक पर नई व्यवस्था आने के बाद मुस्लिम महिलाओं को काफी हद तक न्याय मिला है। अब अंदरूनी तौर मुस्लिम महिलाएं भारतीय जनता पार्टी को वोट दे रही हैं?
निश्चित रूप से ऐसा हुआ है। तीन तलाक ने मुस्लिम महिलाओं के जीवन को नरक बना दिया था। अब स्थिति बदली है। किसी भी मुस्लिम महिला को तीन बार तलाक-तलाक बोल कर घर से नहीं निकाला जा सकता। कानून बन जाने के बाद जिन लोगों ने ऐसा करने की गलती की है, उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मुस्लिम महिलाएं भी भाजपा को भारी संख्या में वोट दे रही हैं। दरअसल भारतीय राजनीति अब एक ऐसे मोड़ पर है जहां मुसलमान भाजपा के साथ जुड़ रहे हैं।
करहल विधानसभा सीट से भाजपा ने अजितेश यादव को चुनाव लड़ाया। हालांकि वह चुनाव हार गए लेकिन फिर भी उन्हें ठीक-ठाक मत प्राप्त हुए। अजितेश यादव, अखिलेश यादव के चचेरे भाई के सगे बहनोई हैं। आरोप है कि भाजपा परिवारों में फूट करा रही है?
जनता इनके सब हथकंडे जान चुकी है। विपक्षी दलों ने लोगों को आपस में लड़ा कर और जाति-पंथ के आधार पर बांटने राजनीति की है। अब इनकी कलई खुल चुकी है। सपा ने केवल अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाया जबकि भाजपा ने हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया है। हमने खैर विधानसभा सीट पर वाल्मीकि समाज से प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा। करहल में भी हम मजबूती से चुनाव लड़े। इससे साबित होता है कि वहां की जनता भी सपा से नाराज है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाजीपुर और आजमगढ़ ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां पर काफी प्रयास के बावजूद भाजपा चुनाव नहीं जीत पा रही। गाजीपुर से 2014 में मनोज सिन्हा चुनाव जीते और केंद्र सरकार में मंत्री बने। उन्होंने काफी विकास कार्य किए। बावजूद इसके 2019 में वे चुनाव हार गए। वहां के लिए क्या योजना है?
पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2014 में हम लोग गाजीपुर लोकसभा चुनाव जीते थे। उसके बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भी उप चुनाव जीते थे, मगर उन क्षेत्रों में विपक्ष ने संविधान संशोधन और आरक्षण आदि मुद्दों को लेकर भ्रम फैलाया। इस कारण वहां कुछ भ्रम की स्थिति उतपन्न हो गई थी। मगर अब जनता इनकी चालबाजी को समझ चुकी है। अबकी बार यहां पर भाजपा जरूर जीतेगी।
इस बार के उपचुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन नहीं दिखाई पड़ा। इसको आप किस प्रकार से देखते हैं?
इनके गठबंधन में कोई दम नहीं है। ये लोग अपने सभी दांव आजमा चुके हैं। अखिलेश यादव ने पहले बसपा से समझौता किया, उसका परिणाम आप सभी को मालूम ही है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस से समझौता किया था। आपने देखा कि इंडी गठबंधन के लोग अब राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाने लगे हैं।
कुछ दिन पहले सम्भल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर बवाल हुआ। इन दिनों कुछ और जनपदों में मस्जिदों को लेकर न्यायालय में मुकदमे दायर हो रहे हैं। इस बारे में बताएं।
न्याय व्यवस्था में कोई भी मुकदमा दाखिल कर सकता है। मुकदमा दाखिल होने के बाद न्यायालय ने अगर सर्वे करने का आदेश दिया है तो उसके मूल स्वरूप में न कोई परिवर्तन हो रहा है और न ही किसी को वहां से हटाया जा रहा है। अत: विवाद होना नहीं चाहिए।
उत्तर प्रदेश का उपचुनाव हो या फिर महाराष्ट्र का चुनाव, ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारा खूब चला। कुछ जगहों पर तो लोगों ने अपने पैसों से स्टीकर छपवा कर बंटवाए। चुनाव में इस नारे का जनता पर कितना प्रभाव पड़ा?
अंग्रजों के शासनकाल में हमारी लंबी गुलामी का कारण ही यह था कि हम लोग बंटे हुए थे। अंग्रेजों ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपना कर इस देश पर शासन किया। यही बात हम जनता के बीच लेकर गए कि अगर हम ‘बंटेंगे तो कटेंगे।’ इसके साथ ही यह भी कि ‘एक हैं तो सेफ हैं।’ समाज आपस मे जाति या पंथ के आधार पर जब भी बंटा है, आक्रमणकारी ताकतों ने उस पर कब्जा जमाया है। यह बात सही है कि दोनों नारे खूब लोकप्रिय रहे और लोगों तक हमारा संदेश आसानी से पहुंच पाया।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के समर्थकों ने अभी से ही कुछ जगहों पर होर्डिंग और पोस्टर लगाने शुरू कर दिए हैं जिनमें उनकी फोटो के साथ ‘27 के सत्ताधीश’ लिखना शुरू कर दिया गया है। इस पर क्या कहना चाहेंगे?
समाजवादी पार्टी का जनाधार खिसक चुका है। फिलहाल सपा अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जनता उसके कारनामों को भूली नहीं है।
टिप्पणियाँ