भारत की सैन्य शक्ति और रणनीति समय-समय पर विभिन्न घटनाओं और बदलावों के माध्यम से दुनिया के सामने आती रही है। हाल ही में, भारतीय सेना ने अपने कार्यालय से एक ऐतिहासिक तस्वीर को हटा दिया, जो 1971 युद्ध के दौरान पाकिस्तान के जनरल ए एच. एम. नियाजी के आत्मसमर्पण को दर्शाती थी। यह तस्वीर भारतीय सेना की ताकत और विजय का प्रतीक मानी जाती थी, लेकिन अब इसे हटा कर उसकी जगह एक नई पेंटिंग लगा दी गई है, जो भारतीय सेना के बदलते सैन्य फोकस और आधुनिक युद्ध रणनीतियों को दर्शाती है। इस कदम के पीछे भारतीय सेना का संदेश साफ है — अब भारत का ध्यान पाकिस्तान पर नहीं, बल्कि चीन पर केंद्रित है।
1971 युद्ध की ऐतिहासिक तस्वीर से नया संदेश
1971 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध लड़ा था, जिसमें पाकिस्तान के जनरल नियाज़ी ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। यह क्षण भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान का प्रतीक बन गया। इस तस्वीर ने दुनिया भर में भारतीय सेना की ताकत को रेखांकित किया। हालांकि, अब इस तस्वीर को सेना के प्रमुख कार्यालय से हटा दिया गया है, और उसकी जगह एक नई पेंटिंग लगी है, जो भारतीय सेना के समकालीन सैन्य दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है।
नई पेंटिंग का संदेश
नई पेंटिंग में लद्दाख की पैंगोंग झील का दृश्य दिखाया गया है, जिसमें आधुनिक युद्ध उपकरण जैसे टैंक, हेलीकॉप्टर, नावें और उच्च तकनीकी क्षमता वाले वाहन प्रदर्शित हैं। इसके अलावा, पेंटिंग में महाभारत के युद्ध दृश्य और चाणक्य की नीति के संदर्भ में चित्रित कुछ धार्मिक और शाश्वत संदेश भी शामिल हैं। यह पेंटिंग भारतीय सेना के तीनों अंगों – थलसेना, वायुसेना और नौसेना – के समन्वय को प्रदर्शित करती है, जो यह संकेत देती है कि भारतीय सेना अब एक समन्वित और आधुनिक दृष्टिकोण अपनाते हुए किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
भारत का नया सैन्य फोकस
भारत की सैन्य रणनीति में बदलाव एक महत्वपूर्ण संकेत है। भारतीय सेना अब पाकिस्तान से ज्यादा चीन की ओर अपनी सैन्य तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 2020 में लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच हुए संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारतीय सेना चीन के आक्रमण को न केवल रोक सकती है, बल्कि उसे प्रभावी तरीके से जवाब भी दे सकती है। पेंटिंग में प्रदर्शित आधुनिक युद्ध उपकरण और समन्वित सैन्य संचालन की रणनीतियां यही संदेश देती हैं कि भारतीय सेना अब किसी भी युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है।
यह पेंटिंग भारतीय सेना के आत्मनिर्भरता की दिशा में किए गए प्रयासों को भी उजागर करती है। भारतीय सेना ने अपने संसाधनों और आधुनिक तकनीकों में वृद्धि की है, जिससे उसकी युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मेजर जनरल अशोक कुमार के अनुसार, यह पेंटिंग भारतीय सेना के तीनों अंगों के समन्वय को दर्शाती है, जो उच्च तकनीकी स्तर पर युद्ध की तैयारी को प्रदर्शित करती है।
इस पेंटिंग में दिखाए गए अन्य पहलुओं में महाभारत के युद्ध और चाणक्य की नीति का भी उल्लेख है। यह संकेत देता है कि भारतीय सेना अब न केवल आधुनिक तकनीकी युद्ध में सक्षम है, बल्कि वह अपने धार्मिक और शाश्वत दृष्टिकोण से भी प्रेरित है। गीता और चाणक्य की नीति के सिद्धांत भारतीय सेना की रणनीतियों में प्रभावी ढंग से समाहित हो गए हैं, जो युद्ध की स्थिति में न केवल धार्मिक बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होते हैं।
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