बांग्लादेश में बढ़ती अल्पसंख्यक हिंसा और हिंदू धर्मस्थलों पर हमलों के बीच, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ढाका पहुंचते ही बांग्लादेश से एक संदेश दिया। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से साफ शब्दों में कहा कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस मुद्दे को मिस्री ने अपनी बांग्लादेशी समकक्ष के सामने मजबूती से उठाया, यह कदम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच उठाया गया है।
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में हाल के महीनों में तनाव बढ़ा है, खासकर जब से बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं तेज हो गई हैं। अगस्त में बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद, देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों और हिंसा की घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों को और जटिल बना दिया। बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और मंदिरों पर हमले जैसे घटनाओं ने भारत में गहरी चिंता पैदा की है।
मिस्री की यह यात्रा बांग्लादेश में बदलाव के बाद भारत का पहला उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल है। उनकी यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर भारत की चिंताओं को बांग्लादेश सरकार के समक्ष उठाना था। भारत ने बांग्लादेश से अपेक्षा की है कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की दिशा में ठोस कदम उठाए। मिस्री ने बांग्लादेश सरकार से कहा कि भारत सकारात्मक और रचनात्मक संबंधों की दिशा में काम करना चाहता है लेकिन इसके लिए बांग्लादेश को भी समान व्यवहार करना होगा।
पिछले कुछ समय में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार बढ़े हैं। त्रिपुरा में बांग्लादेश के उप उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों द्वारा जबरन घुसने की घटना और ढाका में हिंदू धर्मस्थलों पर हमले, इन सभी घटनाओं ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को और खराब किया है। भारत ने इन घटनाओं पर अपनी गहरी चिंता जाहिर की है और बांग्लादेश से ऐसे हमलों की रोकथाम की अपील की है।
मिस्री ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से भी मुलाकात की। भारत की तरफ से यह उम्मीद जताई गई है कि बांग्लादेश सरकार हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी। हालांकि बांग्लादेश सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि देश में विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।
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