ईरान की संसद ने हाल ही में हिजाब को लेकर एक सख्त कानून पारित किया है। इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब का सही ढंग से उपयोग न करने या इसका विरोध करने वाली महिलाओं के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान, जो अनिवार्य हिजाब कानून के आलोचक माने जाते हैं, उनके कार्यकाल के चार महीने के भीतर यह विवादित कानून पारित हो गया।
क्या है हिजाब कानून और इसका प्रावधान?
ईरानी संसद ने ‘हिजाब और शुद्धता’ बिल पारित किया है। इस कानून के तहत-
- महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य होगा।
- हिजाब न पहनने या इसे विरोध करने पर महिलाओं पर 20 महीने की सैलरी के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा।
- जुर्माना 10 दिनों के भीतर चुकाना होगा, अन्यथा महिलाओं को पासपोर्ट रिन्यूअल, ड्राइविंग लाइसेंस और एग्जिट परमिट जैसी सरकारी सेवाओं से वंचित कर दिया जाएगा।
- सीसीटीवी फुटेज का उपयोग करके हिजाब का सही तरीके से पालन न करने वाली महिलाओं की पहचान की जाएगी।
- हिजाब कानून को बढ़ावा न देने वाले संस्थानों को भी भारी जुर्माना देना होगा, या उन्हें निलंबित कर दिया जाएगा।
- कपड़ों के निर्माता और आपूर्तिकर्ताओं को सुनिश्चित करना होगा कि वे ऐसे कपड़े न बनाएं या बेचें जो इस कानून का उल्लंघन करते हों।
महिलाओं का हिजाब विरोध और उसका दमन
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान में महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनना अनिवार्य है। लेकिन 2022 में ईरानी-कुर्दिश महिला महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हिजाब विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया। महसा अमीनी को ईरान की नैतिकता पुलिस ने ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हिरासत के दौरान कथित तौर पर बर्बरता से पीटने के कारण उनकी मौत हो गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। इस घटना के बाद महिलाओं और छात्राओं ने ‘वुमन, लाइफ, फ्रीडम’ आंदोलन शुरू किया, जिसने हिजाब को अनिवार्य बनाने वाले कानून को चुनौती दी।
नए कानून के आलोचकों की राय
ईरानी राजनीतिक विश्लेषक मैरी मोहम्मदी का मानना है कि यह कानून महिलाओं के संघर्ष को रोकने और उनकी क्रांतिकारी क्षमता को कमजोर करने का प्रयास है।
- महिलाओं को महंगे जुर्माने और कड़ी सज़ा से डराकर उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है।
- मोहम्मदी के अनुसार, ईरानी महिलाएं अब “आजादी या मौत” के बीच केवल यही दो विकल्प देखती हैं।
राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान और हिजाब कानून
राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान को एक उदारवादी नेता माना जाता है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने हिजाब को बलपूर्वक लागू करने की आलोचना की थी। उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि उनके प्रशासन में हिजाब कानून में ढील दी जाएगी। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि अनिवार्य हिजाब कानून सरकार के नियंत्रण से बाहर है और राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के बावजूद इसे लागू किया जा सकता है।
कब लागू होगा नया कानून?
ईरानी संसद ने यह कानून राष्ट्रपति के पास भेजा है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही यह कानून प्रभावी होगा। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति इस कानून के कार्यान्वयन को नोटिफाई करने में देरी कर सकते हैं। वहीं महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्ट्स ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह इस कानून को प्रभावी होने से रोकने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करें।
महिलाओं की आजादी पर लगेगा प्रतिबंध
ईरान का यह नया कानून न केवल महिलाओं की आजादी पर प्रतिबंध लगाता है, बल्कि समाज में विभाजन और संघर्ष को भी बढ़ावा देता है। हिजाब विरोधी आंदोलन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए यह स्पष्ट है कि ईरानी महिलाएं अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत हैं। इस कानून का असर सिर्फ ईरान में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन सकता है।
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