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ताइवान के राष्ट्रपति का अमेरिका में भव्य स्वागत देख बौखलाया विस्तारवादी ड्रैगन, अमेरिका को फिर दिखाई घुड़की

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WEB DESK

हवाई द्वीप पहुंचने पर ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के स्वागत में लाल कालीन ही नहीं बिछाया गया बल्कि फूलमालाओं से लादकर पारंप​रिक ‘अलोहास’ रीति से विशेष सत्कार हुआ। अमेरिका का ऐसा करना चीन का पारा सातवें आसमान पर चढ़ाने को काफी था।


विस्तारवादी कम्युनिस्ट चीन तिमिलाया हुआ है। वजह है ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते का अमेरिका जाना और वहां उनका जबरदस्त स्वागत होना। ताइवान के राष्ट्रपति 3 टापुओं की यात्रा पर निकले हुए हैं और इस क्रम में वे अमेरिका के हवाई द्वीप पर रुके। वहां उनका ऐसा सत्कार किया गया कि चीन ने चिढ़कर अमेरिका को धमकियां दे दीं।

चीन हमेशा से ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा मानता रहा है और दुनिया के विभिन्न देशों से भी चाहता है कि वे सब उसकी ‘वन चाइना’ नीति को स्वीकार करते हुए ताइवान से उसे एक अलग देश मानकर व्यवहार न करें। लेकिन अमेरिका ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र जैसा मानकर वैसे ही संबंध रखे है।

हवाई द्वीप पहुंचने पर ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के स्वागत में लाल कालीन ही नहीं बिछाया गया बल्कि फूलमालाओं से लादकर पारंप​रिक ‘अलोहास’ रीति से विशेष सत्कार हुआ। अमेरिका का ऐसा करना चीन का पारा सातवें आसमान पर चढ़ाने को काफी था।

बीजिंग ने ‘अपने हिस्से’ ताइवान के राष्ट्रपति लाई की प्रथम विदेश यात्रा पर कड़ी टिप्पणी की है। उसने कहा है कि ताइवान की आजादी के हर प्रयास को मजबूती के साथ कुचल दिया जाएगा। उसका यह संकेत अमेरिका की ओर था।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की बात करें तो 1940 के बाद, चीन में कम्युनिस्ट राज आया था। उस दौरान राष्ट्रवादी भावना रखने वाले बहुत से लोग ताइवान टापू पर बसने चले गए थे। वे वहां उन्होंने चीन से अलग रहते हुए अलग शासन व्यवस्था खड़ी की। बस, चीन इस तथ्य को नजरअंदाज करके ताइवान को भी अपना हिस्सा बताता रहा है। उसका कहना है कि जल्दी ही ताइवान को मुख्यभुूमि के साथ जोड़ा जाएगा और उसके लिए जो रास्ता अपनाना होगा, वह अपनाया जाएगा।

ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते

दरअसल ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते अमेरिका के हवाई द्वीप के साथ ही मार्शल, तुवालु तथा पलाऊ द्वीपों पर भी जाएंगे। तीनों ही द्वीप प्रशांत क्षेत्र के 12 देशों में हैं जो ताइवान को एक आजाद देश के नाते मानकर ही उससे व्यवहार करते हैं। लेकिन दुनिया के अधिकांश देशों ने अभी तक ताइवान को मान्यता नहीं दी है। जबकि अमेरिका ताइवान को न सिर्फ हथियार उपलब्ध कराता है बल्कि उस टापू देश की चीन से आज़ादी को भी पूरा समर्थन देता है।

इसलिए राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के आने पर हवाई द्वीप पर अमेरिका ने लाल कालीन बिछाकर वैसा ही स्वागत किया जैसे अन्य राष्ट्राध्यक्षों का होता है। इससे चीन तिलमिलाया हुआ है। बीजिंग से विदेश मंत्रालय का कड़ा बयान आया है कि लाई चिंग-ते के हवाई द्वीप पर ठहरने की सख्त निंदा की जाती है। इस मामले में हम अमेरिका के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराते हैं। बयान के अनुसार, चीन ताजा घटनाक्रमों पर बारीकी नज़र रखे है। चीन अपने देश की क्षेत्रीय संप्रभुता तथा अखंडता को बचाने के लिए कड़े से कड़ा कदम उठाने की ताकत रखता है।

उधर चीन ताइवान पर आएदिन युद्ध जैसी आक्रामकता दिखाता आ रहा है। वैसे, चीन का कहना है कि वह ताइवान पर बिना किसी बल का प्रयोग किए काबू कर लेगा। लेकिन असल में ताइवान के आसमान पर चीन के लड़ाकू विमान और ड्रोन मंडराते रहते हैं। इधर के दिनों के चीन की यह आक्रामकता बढ़ती देखी गई है।

हवाई द्वीप पर आते वक्त, सुरक्षा की दृष्टि से ताइवान के राष्ट्रपति के विमान के दोनों तरफ ताइवानी वायु सेना के F-16 लड़ाकू जेट चल रहे थे। पहले भी ताइवान सरकार के अधिकारी प्रशांत तथा लातीनी अमेरिका के दौरों के दौरान अमेरिका में उतरते रहे हैं। ऐसे सभी मौकों पर चीन ने ताइवान को घेरते हुए ‘सैन्य अभ्यास’ किए थे।

कम्युनिस्ट देश के रक्षा विभाग का कहना है कि चीन के ताइवानी इलाके के साथ हम किसी भी देश की कैसी भी आधिकारिक वार्ता—चर्चा का पुख्ता तरीके से विरोध करते हैं। हम संकल्प लेते हैं कि ताइवान की स्वतंत्रता की किसी भी कोशिश को सख्ती के साथ कुचल देंगे।

ताइवान के राष्ट्रपति के हवाई आने बाद, चीन को चिढ़ाते हुए अमेरिका ने ताइवान को लगभग 400 मिलियन डॉलर के हथियार देने का प्रस्ताव स्वीकारा है। F-16 के कल—पुर्जे और रडार प्रणाली के अलावा ताइवान को संचार के काम आने वाले कुछ उपकरण भी देने पर मंजूरी दी है। इस पर भी चीन बिफरा हुआ है। चीन का कहना है कि इस तरह का निर्णय ताइवान के लिए गलत संकेत देगा। इस कदम का हम कड़ा जवाब देंगे।

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