बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली मुस्लिम कट्टरपंथी सरकार के संरक्षण में हिन्दुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। हिन्दुओं पर हर दिन खुलेआम मुस्लिम कट्टरपंथी हमले कर रहे हैं। बावजूद इसके सरकार इस पर अपनी आंख बंद किए बैठी है। यहां तक भारत के राष्ट्रीय ध्वज का भी लगातार अपमान किया जा रहा है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि इन सब के पीछे जो शख्स है वो कोई और नहीं बल्कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार में से एक आसिफ महमूद है।
सोशल मीडिया हैंडल ‘वॉयस ऑफ बांग्लादेशी हिन्दू’ ने आसिफ महमूद की भारतीय ध्वज का अपमान करते तस्वीर को शेयर किया है। हैंडल ने कहा कि हसीना विरोधी आंदोलन का समन्वय करने वाले सलाहकार आसिफ महमूद ही भारतीय ध्वज के अपमान के पीछे मास्टरमाइंड है। उसी के आदेश पर बांग्लादेश के हर स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भारतीय ध्वज का अपमान किया जा रहा है। अब तक 53 शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय ध्वज का अपमान किया जा चुका है।
एक्स हैंडल द्वारा शेयर की गई तस्वीर में स्पष्ट तौर पर आसिफ महमूद को जमीन पर तिरंगा फेंककर उस पर पैर रखे देखा गया है। बहरहाल, इस घटना पर नेटिजन्स में उबाल है। लोग सोशल मीडिया के जरिए अपना गुस्सा बाहर निकाल रहे हैं। इसी क्रम में श्वेता श्रीवास्तव नाम की यूजर ने लिखा कि इस प्रकार की हरकतों का क्या मतलब है। हमारा झंडा हमारा गर्व है और शेख हसीना हमारी मेहमान और जिम्मेदारी हैं। इसलिए पहले बांग्लादेश में हिन्दुओं का जीनासाइड रोको।
इसी क्रम में राज गुप्ता नाम के यूजर ने मांग की कि बांग्लादेश को दी जाने वाली प्रत्येक मदद को रोक देना चाहिए। उन लोगों को अपने पड़ोसियों और अल्पसंख्यकों का सम्मान करना सीखने की जरूरत है।
वहीं हर्शद नाम के यूजर ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को भारत में रह रहे प्रत्येक बांग्लादेशी को तुरंत उसके देश वापस भेज देना चाहिए बिना समय गंवाए।
जबकि, टीजे नाम के यूजर ने बांग्लादेशी जिहादियों को आईना दिखाने की कोशिश में कहा कि खुद में असुरक्षित बांग्लादेशी इस्लामवादियों तुम चाहे तिरंगे का कितना ही अपमान करो, इसकी गरिमा तुम्हारी संकीर्णता से अछूती ही रहेगी। जैसे तुम सूरज पर कितने ही पत्थर फेंको यह चमकता रहेगा।
छात्र आंदोलन का नेतृत्वकर्ता रह चुका है आसिफ महमूद
गौरतलब है कि बांग्लादेश की अंतिरम सरकार का एडवाइजर आसिफ महमूद जुलाई में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के खिलाफ हुए कथित भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन का अगुवा रह चुका है। इसी ने छात्र आंदोलन को लीड किया था, जिसके परिणामस्वरूप 5 अगस्त को शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। बाद में उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी।
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