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ईरान में केवल इस्लाम, शरीयत और हिजाब, आखिर क्यों दूसरे देशों में शरणार्थी बन रहे ईरानी खिलाड़ी?

Published by
Kuldeep singh

ईरान में मुस्लिम कट्टरपंथ अपनी चरम पर है। वहां पर मुस्लिम कट्टरपंथी सरकार शरीयत लागू करने के लिए लगातार महिलाओं को प्रताड़ित कर रही है। उन्हें घरों के अंदर कैद करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जो भी लड़की एक बार किसी तरह से ईरान से बाहर जाती है वो वापस नहीं लौटना चाहती। कारण उसे पता होता है कि वापस लौटते ही उसे शरिया और हिजाब का पालन करना ही होगा। अन्यथा उसका हाल महसा अमीनी जैसा होने में वक्त नहीं लगेगा। इसी डर का परिणाम ये हुआ है कि ईरान की एक खिलाड़ी डेनमार्क खेलने के लिए गई और वहां से वापस आने से मना कर दिया। उसने डेनमार्क सरकार से खुद को शरण देने की गुहार लगाई।

इस खिलाड़ी का नाम है बरन अर्जमंद। बरन एक टेबल टेनिस प्लेयर हैं, उनकी उम्र 15 वर्ष है। ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, बरन ईरानी टेबल टेनिस प्रतिनिधि मंडल के साथ स्वीडन में विश्व चैम्पियनशिप में शामिल होने के लिए गई थी। लेकिन, वापस लौटते वक्त उसने अपने प्रतिनिधिमंडल को छोड़ दिया और कोपेनहेगन पुलिस के पास गई। वहां बरन ने पुलिस को अपनी पहचान बताई और अपनी समस्या के बारे में उन्होंने पुलिस को बताया और शरण मांगी।

इस्लामिक रिवोल्युशनरी गार्ड कॉर्प्स से जुड़ी तस्नीम न्यूज एजेंसी का कहना है कि अपने घर जाने के लिए बरन को बोर्डिंग पास दिया गया था, लेकिन फिर भी उसने ईरान वापस लौटने से इंकार कर दिया। उसने ईरान वापस लौटने से रोकने के लिए डेनिश पुलिस अधिकारियों की मदद ली।

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हाल के वर्षों में कई ईरानी एथलीटों ने विदेशों में ली शरण

ईरान में कट्टरता और इस्लामी शासन में महिलाओं के अधिकारों को लगातार कुचलने के प्रयास किए जा रहे हैं। बरन ने भी डेनमार्क की पुलिस के समक्ष शरण मांगते हुए ईरान में महिलाओं के अधिकारों और हिजाब का हवाला दिया। बरन की ही तरह जनवरी 2023 में ईरानी अल्पाइन स्कीयर अतेफे अहमदी भी ट्रेनिंग के लिए यूरोप के दौरे पर गई थीं। वहीं पर उन्होंने जर्मनी में शरण के लिए आवेदन किया था। उससे पहले दिसंबर 2021 में ईरान की हैंडबाल टीम की सदस्य शाघयेघ बापीरी भी स्पेन में एक टूर्नामेंट खेलने के गई थीं। लेकिन टूर्नामेंट के बाद उन्होंने वापस ईरान लौटने से इंकार कर दिया। शाघयेघ बापीरी ने अनिवार्य हिजाब नियमों और अन्य प्रतिबंधों का हवाला दिया था।

ऐसी ही एक अन्य घटना 2019 में भी हुई थी, जब जुडोका सईद मोल्लाई ने इजरायली विरोधियों का सामना करने से बचने के लिए जर्मनी में शरण के लिए अप्लाई किया था।

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