विश्लेषण

हाथों में पत्थर, जुबां पर मजहबी नारे : कश्मीर से संभल तक कट्टरपंथी हिंसा की एक ही कहानी, मारो, जलाओ और फिर पीड़ित बन जाओ

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SHIVAM DIXIT

संभल । उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर, 2024 को एक गंभीर घटना सामने आई, जब चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम और पुलिस बल पर मुस्लिम भीड़ ने जमकर पत्थरबाजी की। इस मस्जिद को लेकर आरोप है कि यह श्रीहरिहर मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर बनाई गई है। कोर्ट के निर्देश पर एएसआई और पुलिस की टीम सर्वेक्षण के लिए पहुंची थी, लेकिन वहां मौजूद मुस्लिम भीड़ ने हिंसक प्रतिक्रिया दी, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

यह घटना सिर्फ एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि देशभर में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां मुस्लिम भीड़ ने अवैध अतिक्रमण, अपराधियों की जांच, या कानूनी कार्रवाई के दौरान पुलिस बल और सर्वे टीमों पर हमले किए हैं। ऐसी घटनाओं से न केवल कानून व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द भी प्रभावित होता है। मुस्लिम भीड़ द्वारा पुलिस बल और सर्वेक्षण टीमों पर हमले की घटनाओं ने न केवल प्रशासन को मुश्किल में डाला, बल्कि समाज में भय और अशांति का माहौल भी उत्पन्न किया। ये घटनाएं कई बार धार्मिक स्थलों के विवाद, अवैध अतिक्रमण, और अपराधियों की गिरफ्तारी जैसे मामलों से जुड़ी रहीं।

यह रिपोर्ट वर्ष 2021 से 2024 तक मुस्लिम भीड़ द्वारा अवैध अतिक्रमण/अपराधियों की जांच पड़चाल/हिरासत के लिए पहुंची सर्वे टीम/पुलिस बल पर हमले की 10 प्रमुख घटनाओं पर आधारित है।

मुस्लिम भीड़ द्वारा सर्वे टीम और पुलिसकर्मियों पर हमला

जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर पुलिस पर पत्थरबाजी (24 नवंबर, 2024)

स्थान – संभल, उत्तर प्रदेश
विवाद – जामा मस्जिद-श्रीहरिहर मंदिर विवाद
विवरण – चंदौसी सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट के आदेश पर शाही जामा मस्जिद, (जो श्रीहरिहर मंदिर तोड़कर उसके उपर बनी है) की सर्वे करने पहुंची टीम से नाराज होकर मुस्लिम भीड़ ने सर्वे टीम और पुलिसकर्मियों (छर्रे व पत्थर लगने से 15 पुलिस कर्मी घायल) पर जमकर पत्थरबाजी की। आगजनी और फायरिंग में अब तक तीन की मौत हो गई है, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं, तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए माैके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।

मदरसा सर्वेक्षण करने गयी टीम पर हमला (14 मई, 2024)

स्थान – अहमदाबाद, गुजरात
विवाद – अवैध मदरसा सर्वेक्षण
विवरण – गुजरात के दरियापुर क्षेत्र में अवैध मदरसों के सर्वेक्षण के दौरान मुस्लिम भीड़ ने सर्वे टीम और पुलिस पर हमला किया। घटना में प्रमुख आरोपी मास्टरमाइंड फरहान और फैजल को हिरासत में लिया गया। इस दौरान हिंसा ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया, जिससे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात किया गया।

मुस्लिम भीड़ द्वारा पुलिस पर हमला

हल्द्वानी हिंसा में पुलिसवालों पर जानलेवा हमला (8 फरवरी, 2024)

स्थान – हल्द्वानी, उत्तराखंड
विवाद – सरकारी भूमि पर अवैध मदरसा व मस्जिद
विवरण – बनभूलपुरा क्षेत्र में अवैध मदरसे व मस्जिद के अतिक्रमण को हटाने के दौरान मुस्लिम भीड़ द्वारा पुलिकर्मियों (300 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल) पर पथराव किया गया। बनभूलपुरा की पुलिस चौकी को जलाने और पुलिसकर्मी से रिवाल्वर झीनने के मामले में पुलिस ने 36 मुस्लिम दंगाइयों सहित शोएब, सोहेल, समीर पाशा, इब्राहिम, साहिल अंसारी और शानू अहमद को गिरफ्तार किया।

इस्लामी भीड़ के हमले में 3 पुलिसकर्मी घायल (28 सितंबर, 2024)

स्थान – भद्रक, ओडिशा
विवाद – इंटरनेट मीडिया पर एक आपत्तिजनक पोस्ट
विवरण –  पुरुना बाजार थाना इलाके में सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक पोस्ट को लेकर कट्टरपंथी मुस्लिमों ने तोड़-फोड़ और आगजनी की। उपद्रवियों को पुलिस ने जब रोका तो उन्होंने पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की। उपद्रवियों के हिंसक हमले में तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।

यति नरसिंहानंद गिरि का सिर कलम करने की धमकी और पुलिस बल पर हमला (4 अक्टूबर, 2024)

स्थान – गाजियबाद (उत्तर प्रदेश)
विवाद – नरसिंहानंद गिरि पर ईशनिंदा का आरोप
विवरण – डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद गिरि पर 29 सितंबर, 2024 को पैगम्बर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाकर मुस्लिम भीड़ ने 4 अक्टूबर, 2024 को  ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाते हुए डासना मंदिर के बाहर प्रदर्शन किए। पुलिस ने जब मंदिर के बाहर नारे लगाने से मना किया तो उपद्रवियों ने पुलिस बल पर ही हमला कर दिया और जमकर पत्थरबाजी की, जिसमें कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।

बुर्के वाली खातूनों ने चलाए पत्थर, फाड़ डाली वर्दी (12 अगस्त, 2024)

स्थान – सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
विवाद – नशा तस्कर जावेद की गिरफ्तारी
विवरण – घाटमपुर गाँव में नशे का अवैध रैकेट चलाने वाले जावेद को पकड़ने गयी पुलिस पर मुस्लिम भीड़ ने हमला किया। हमलावरों में लगभग आधे दर्जन महिलाएँ शामिल थीं। नशा के अवैध कारोबारी जावेद को छुड़ाने के लिए इकराम के साथ आई भीड़ ने पहले पुलिस टीम पर लाठी-डंडों से हमला किया फिर पत्थरबाजी भी की।

भीड़ ने थाने पर किया हमला, दो पुलिसकर्मी घायल (12 अगस्त, 2024)

स्थान – छतरपुर , मध्य प्रदेश
विवाद – रामगिरी महाराज के बयान को लेकर हिंसा
विवरण – पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर रामगिरी महाराज के खिलाफ छतरपुर कांग्रेस के उपाध्यक्ष हाजी शहजाद ने नेतृत्व में मुस्लिम भीड़ ने छतरपुर थाने पर पथराव किया। उपद्रवियों ने थाने को आग के हवाले कर दिया, हिंसा इतना भयावह था कि थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों को जान बचाकर भागना पड़ा। दो पुलिस कर्मी सहित थाना प्रभारी पथराव में गंभीर रूप से घायल हो गए।

ट्रक में पत्थर, पुलिसकर्मियों पर बरसाए लाठी-डंडे (16 जून, 2023)

स्थान – जूनागढ़, गुजरात
विवाद –  दरगाह के रूप में अवैध अतिक्रमण
विवरण – जूनागढ़ में अवैध दरगाह अतिक्रमण को लेकर लगे नोटिस के विरोध में मुस्लिम भीड़ ने अल्लाह हू अकबर और ‘नारा ए तकबीर’ चिल्लाती हुई 500 से 600 की मुस्लिम भीड़ ने पुलिस बल पर हमला किया। हमले में महिलाएँ भी शामिल थीं।

अपराधी नोमान को पकड़ने आई पुलिस पर पथराव (18 मई, 2022)

स्थान – मथुरा , उत्तर प्रदेश
विवाद –  अपराधी नोमान की गिरफ्तारी
विवरण – गाँव जंघावली में हरियाणा पुलिस के साथ थाना शेरगढ़ पुलिस मिलकर एक अपराधी नोमान के घर दबिश देने गई थी। इस दौरान गाँव की मुस्लिम महिलाओं और पुरुषों ने पुलिस पर हमला कर दिया। दंगाइयों द्वारा पुलिस पर पथराव किया गया और छतों से फायरिंग भी की गई।

जुनैद की मौत के बाद भीड़ ने किया पुलिस पर हमला (12 जून, 2021)

स्थान – मेवात, हरियाणा
विवाद –   फरीदाबाद पुलिस की कस्टडी में मौत
विवरण – जुनैद नाम के शख्स को फरीदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया था। मगर, पुलिस द्वारा कस्टडी में लिए जाने के बाद उसकी मौत हो गई। उपद्रवियों ने टारगेट करते हुए पुलिसकर्मियों पर हमला किया और  पुलिस वाहन में आग लगा दी। घटना की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें दंगाई चिल्ला रहे थे- आग लगाओ आग।

2021 से 2024 तक की इन घटनाओं ने इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा किए गए हमलों के खतरनाक प्रभाव को उजागर किया है। यह घटनाएं न केवल कानून और व्यवस्था को चुनौती देती हैं, बल्कि समाज के भीतर सांप्रदायिक असंतुलन और कट्टरपंथी विचारधारा के बढ़ते प्रभाव का भी संकेत देती हैं।

इन हमलों के कारण बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी घायल हुए, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा, और समाज में भय का माहौल उत्पन्न हुआ। कानून व्यवस्था की अनदेखी और हिंसक प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि इस्लामिक कट्टरपंथी तत्व न केवल सरकारी कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, बल्कि अपने व्यक्तिगत और सामूहिक एजेंडा को जबरन बहुसंख्यक समाज पर थोपने का प्रयास भी कर रहे हैं। कई बार देखने को मिला है ये इस्लामिक चरमपंथी अपने अधिकारों के लिए बात-बात पर संविधान की दुहाई देते फिरते हैं, वहीं जब संवैधानिक रूप से लिए गए फैसले से ना मानकर उसी संविधान को ताक पर रखकर आगजनी और उपद्रव कर सड़कों पर उत्पात मचाते नजर आते हैं।

ऐसे हमलों का प्रभाव दीर्घकालिक होता है। ये घटनाएं प्रशासन की ताकत को कमजोर करती हैं, स्थानीय गैर मजहबी निवासियों में असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं और कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं। यह स्पष्ट है कि कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार न केवल समाज के लिए खतरा है, बल्कि यह विकास और शांति के लिए भी बाधक है। सरकार को चाहिए कि इन घटनाओं से सबक लेते हुए कट्टरपंथी विचारधारा और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए। कानून का उल्लंघन करने वालों पर तत्काल और कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि यह संदेश स्पष्ट हो सके कि किसी भी प्रकार की हिंसा और उन्माद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

साथ ही, यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ एकजुट हो और शांतिपूर्ण संवाद को प्राथमिकता दे। अगर इन चुनौतियों का समाधान समय रहते नहीं किया गया, तो यह समाज और देश के समग्र विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। अब समय आ गया है कि कानून और संविधान का पालन सभी के लिए अनिवार्य बनाया जाए और समाज में शांति और सद्भाव को पुनर्स्थापित किया जाए।

 

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