भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को समर्पित लोकमंथन 2024 का आयोजन 21 से 24 नवंबर तक भाग्यनगर (हैदराबाद) में किया जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और सांस्कृतिक महोत्सव भारत की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और प्राचीन ज्ञान का उत्सव है। कार्यक्रम का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह (नई दिल्ली) और प्रज्ञा भारती (तेलंगाना) द्वारा किया जा रहा है।
लोकमंथन-2024 का थीम ‘लोक अवलोकन, लोक विचार, लोक व्यवहार और लोक व्यवस्था’ है। इसका विधिवत उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 22 नवंबर को शिल्प कलावेदिका में करेंगी। पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू इससे पूर्व 21 नवंबर को शिल्प कलावेदिका में प्रदर्शनी और सांस्कृतिक महोत्सव का उद्घाटन करेंगे।
कार्यक्रम के आयोजन को लेकर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आज केंद्रीय मंत्री एवं लोकमंथन 2024 की स्वागत समिति के अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी और प्रज्ञा प्रवाह के संयोजक जे. नंदकुमार ने पत्रकार वार्ता के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लोकमंथन राष्ट्रवादी विचारकों और कार्यकर्ताओं की द्विवार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी है। यह एक ऐसा मंच है, जहां देश के विभिन्न भागों से कलाकार, बुद्धिजीवी और शिक्षाविद एकत्रित होते हैं और समाज में व्याप्त प्रश्नों पर विचार-विमर्श करते हैं, जिसका उद्देश्य आख्यानों को नया स्वरूप देना और राष्ट्र को अपनी सभ्यतागत भूमिका निभाने के लिए तैयार करना है।
लोकमंथन : भारत के गौरवशाली अतीत से जुड़ने का एक मंच
लोकमंथन एक द्विवार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन है, जहां कलाकार, विद्वान, और चिंतक एकत्र होते हैं। वे समाज में प्रचलित मुद्दों पर चर्चा कर नए विचारों और समाधानों का निर्माण करते हैं। इस बार की थीम ‘लोक अवलोकन’ है, जो तीन मुख्य पहलुओं पर केंद्रित होगी-
- लोक विचार : प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए भारत के विचारों और चिंतन की पड़ताल।
- लोक व्यवहार : समय और परिस्थितियों के अनुसार विकसित परंपराओं और व्यवहार।
- लोक व्यवस्था : विविध समुदायों की प्रगति, सुरक्षा और विकास के लिए स्थापित प्रणालियाँ।
लोकमंथन 2024 के मुख्य आकर्षण
उद्घाटन और प्रदर्शनी की शुरुआत
- उद्घाटन समारोह : भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 22 नवंबर को सुबह 9:30 बजे शिल्प कला वेदिका में कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगी।
- प्रदर्शनी और सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ : पूर्व उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू 21 नवंबर को सुबह 10:00 बजे करेंगे।
प्रमुख कार्यक्रम और प्रदर्शनियां
प्रमुख कार्यक्रम और प्रदर्शनियां
सम्मेलन और सांस्कृतिक प्रदर्शन : 2500 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी।
दैनिक आगंतुक : 1 लाख से अधिक दर्शकों की अपेक्षा।
प्रदर्शनियां और कला :
100+ भारतीय पारंपरिक कला रूप।
400+ दुर्लभ पारंपरिक वाद्य यंत्र।
राज्य सरकारों के मंडप :
छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना।
विशेष प्रदर्शनियां :
वानवासी संस्कृति पर फोटो प्रदर्शनी।
वानवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर प्रदर्शनी।
तेलंगाना की कला और सांस्कृतिक विरासत
लोकमंथन 2024 में तेलंगाना की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को प्रमुखता दी जाएगी। प्रदर्शित कलाओं में दोकड़ा धातु शिल्प, कोंडापल्ली के खिलौने, निरमल पेंटिंग्स, कला मक्खनकारी वस्त्र, और कुम्हारकला शामिल हैं। तेलंगाना के पारंपरिक नृत्य, नाटक, और संगीत जैसे पेरिनी, ओग्गु कथा, और तोलु बोम्मलता का प्रदर्शन भी होगा।
लोकमंथन 2024 का महत्व
‘लोक’ और ‘वनवासी’ के बीच सही अर्थ की पहचान
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान ‘आदिवासी’ और ‘ग्रामवासी’ जैसे शब्दों का उपयोग भारत को विभाजित करने के लिए किया गया। इसके विपरीत, लोकमंथन का उद्देश्य इन कृत्रिम विभाजनों को समाप्त करना है और भारत की वास्तविक एकता को उजागर करना है।
भारत के गुरुकुल, जो वन और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित थे, प्राचीन काल में वैज्ञानिक, दार्शनिक, और व्यावसायिक ज्ञान के प्रमुख केंद्र थे। यही परंपराएँ आज भी ग्रामीण और वनवासी क्षेत्रों में जीवित हैं। लोकमंथन 2024 का उद्देश्य इन प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करना और उन्हें आधुनिक भारत के साथ जोड़ना है।
लोकमंथन के आयोजको और समर्थक
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे संस्करण का आयोजन प्रज्ञा प्रवाह, नई दिल्ली और प्रज्ञा भारती, तेलंगाना द्वारा देश भर में उनके सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर किया जा रहा है। इसमें इतिहास संकलन समिति, संस्कार भारती, विज्ञान भारती, अधिवक्ता परिषद, अखिल भारतीय साहित्य परिषद और भारतीय शिक्षण मंडल शामिल हैं।
समिति में शामिल प्रमुख नाम
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी लोकमंथन 2024 की स्वागत समिति के अध्यक्ष हैं, जिसमें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 120 से अधिक लोग शामिल हैं। इस स्वागत समिति के प्रतिष्ठित सदस्यों में पद्मश्री पुरस्कार विजेता, लोक कलाकार, तेलुगु विद्वान, शिक्षाविद्, उद्यमी, लोक प्रशासक और कला पारखी शामिल हैं।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक कदम “लोकमंथन”
मुख्य कार्यक्रम शिल्प कला वेदिका में आयोजित किया जाएगा। वहीं शिल्परमम में एक प्रदर्शनी और सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। लोकमंथन के पिछले संस्करण भोपाल, रांची और गुवाहाटी में आयोजित किए गए थे, जिसमें उपनिवेशवाद और लोक परंपरा जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। लोकमंथन 2024 का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपराओं, और विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है। यह कार्यक्रम भारतीय युवाओं को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता को एकजुटता में बदलने का प्रयास है।
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