ये कैसा पागलपन है! ये सवाल हर उस प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में जरूर आता होगा, जो भी महिलाओं की आजादी का समर्थक है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ईरान की मसूद पजेशकियान की अगुवाई वाली इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार को महिलाओं की आजादी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें तो हिजाब को किसी भी सूरत में ईरान में पूरी कड़ाई लागू करना है। इतना ही हिजाब का विरोध करने वाली महिलाओं को प्रताड़ित करने के लिए सरकार ने आधिकारिक तौर पर नया तरीका भी निकाल लिया है, जिसके अंतर्गत अब ईरान में हिजाब विरोध को मानसिक बीमारी मान लिया है और ऐसी महिलाओं के इलाज के लिए ईरानी सरकार देशभर में मानसिक अस्पताल खोलने जा रही है, जहां इनका इलाज किया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई के निर्देशों पर देशभर में ये मानसिक अस्पताल खोले जाएंगे, जहां पर हिजाब विरोधी महिलाओं को अपना इलाज कराना ही होगा। ईरान की महिला और परिवार विभाग की चीफ मेहरी तालेबी दारेस्तानी ने इसको लेकर खुलासा किया। दारेस्तानी के मुताबिक, हिजाब विरोधी महिलाओं के लिए खोले जाने वाले अस्पतालों को ‘हिजाब रिमूवल ट्रीटमेंट क्लीनिक’ नाम दिया गया है। दावा किया जा रहा है इन क्लीनिक्स में पूर्णतया वैज्ञानिक तरीकों से महिलाओं का ईलाज किया जाएगा। उन्हें हिजाब की महत्ता के बारे में बताया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि महिला और परिवार विभाग ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामनेई के अंतर्गत कार्य करता है। ये अली खामनेई ही है, जो कि ईरान में शरिया लागू करने से लेकर महिलाओं के पहनावे तक को नियंत्रित करतें हैं।
इस बीच ईरान में मानवाधिकार समूहों ने इसका विरोध किया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ये सब हिजाब को जबरन लागू करने के लिए कर रही है। ये क्लीनिक असल में जेल होंगे, जहां पर हिजाब विरोधी महिलाओं को इलाज के नाम पर टॉर्चर किया जाएगा। ईरान के मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाले वकील हुसैन रईसी का मानना है कि हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं को क्लीनिक में जबरन ले जाना न तो इस्लामिक है और न ही ये ईरानी कानून के अनुरूप है।
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यहां स्पष्ट कर दें कि वर्ष 2022 में हिजाब विरोध करने वाली महसा अमीनी की हिरासत में मौत के बाद ईरान में जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे। वहां हिजाब लागू करने के लिए मॉरल पुलिस को रखा गया है, जो कि अपनी ड्यूटी के बहाने केवल महिलाओं का शोषण करती है।
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