'वंदे मातरम' सुनना गुनाह, इस्लाम पालन करने का दबाव : जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों का उत्पीड़न और कन्वर्जन
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‘वंदे मातरम’ सुनना गुनाह, इस्लाम पालन करने का दबाव : जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुस्लिमों का उत्पीड़न और कन्वर्जन

कॉल फॉर जस्टिस के गठित तथ्यान्वेषण समिति ने जारी की रिपोर्ट, गैर मुस्लिम विधवाओं पर मुस्लिम से शादी करने का डाला जाता है दबाव, जांच समिति के सामने आए लव जिहाद जैसे मामले

by SHIVAM DIXIT
Nov 14, 2024, 08:24 pm IST
in भारत, विश्लेषण, दिल्ली
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नई दिल्ली । जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में गैर-मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के उत्पीड़न और कथित कन्वर्जन के मुद्दे पर कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित तथ्यान्वेषण समिति ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की। रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि पिछले दो दशकों में कई हिंदू और खासकर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्र और संकाय सदस्य विश्वविद्यालय में भेदभाव, उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण का सामना कर रहे हैं। ”

कॉल फॉर जस्टिस” नामक एनजीओ द्वारा गठित इस समिति में पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शिव नारायण ढींगरा, दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव सहित अन्य सदस्यों ने जामिया में गैर-मुस्लिमों के साथ हुए उत्पीड़न और भेदभाव के मामलों की जांच की और रिपोर्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और दिल्ली के उपराज्यपाल को भेजने का निर्णय लिया है।

तथ्यान्वेषण समिति ने रिपोर्ट में खुलासा किया कि कई गैर-मुस्लिम शिक्षकों और छात्रों ने जामिया मिलिया इस्लामिया में उनके साथ हुए भेदभाव और उत्पीड़न की शिकायत की। कई पीड़ितों ने अपनी पहचान गोपनीय रखने का आग्रह किया, क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी पहचान उजागर होने से उन्हें और भी अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

रिपोर्ट में एक उदाहरण दिया गया जिसमें एक सहायक प्रोफेसर ने कहा कि मुस्लिम कर्मचारियों ने उनके शोध कार्य पर तंज कसे और अपमानजनक टिप्पणियाँ की। इसी तरह, एक अन्य प्रोफेसर ने बताया कि उन्हें अन्य मुस्लिम सहकर्मियों के मुकाबले कम सुविधाएं प्रदान की गईं, जबकि उनसे बाद में नियुक्त हुए मुस्लिम प्रोफेसरों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कुछ प्रोफेसर कक्षाओं में छात्रों पर दबाव डालते थे कि वे इस्लाम का अनुसरण करें। एक शिक्षक ने बताया कि कक्षा में उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि छात्र इस्लाम का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें शिक्षा पूर्ण करने में बाधा उत्पन्न होगी। यह भी उल्लेख किया गया कि कई गैर-मुस्लिम छात्र अत्यधिक उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करने के कारण जामिया छोड़ने पर मजबूर हो गए।

तथ्यान्वेषण समिति के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा ने कहा कि इस जांच में कई लोगों ने गवाही दी, जिसमें 7 प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर, और पीएचडी स्कॉलर शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक फैकल्टी मेंबर को “वंदे मातरम” बजाने के कारण उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, वहीं कुछ अन्य मामलों में विधवा महिला कर्मचारियों को मुस्लिम से विवाह करने का दबाव डाला गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लव जिहाद जैसे मामले समिति के सामने आए हैं।

यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि कई गैर-मुस्लिम कर्मचारियों और छात्रों को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। समिति ने 27 गवाहों के बयान के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की। समिति ने पाया कि कई गवाहों ने उत्पीड़न की बात स्वीकार की है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने बताया कि कई मामलों में पीड़ितों ने अपनी पहचान छिपाने की मांग की, क्योंकि वे उत्पीड़न की प्रतिक्रिया में और भी प्रताड़ना झेलने से डरते थे।

तथ्यान्वेषण समिति ने इस रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय से इस मामले में उचित कार्रवाई करने की मांग की है। समिति का यह मानना है कि भारत के संविधान के तहत हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है और किसी भी व्यक्ति पर धर्मांतरण का दबाव डालना, उसे मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न देना गंभीर अपराध है।

SHIVAM DIXIT

शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।

उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।

वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।

शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।

उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।

शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

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