जयशंकर उत्साहित हैं कि कूटनीति में नजदीकी के साथ ही भारत-रूस व्यापार भी तरक्की पर है। लेकिन वह इस द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन के प्रति भी गंभीरता से काम करते हुए उसे दूर करने की बात करते हैं। इस वक्त घाटे का पलड़ा भारत की तरफ है। रूस के साथ कारोबार में भारत का करीब 57 अरब डॉलर का कारोबारी घाटा हुआ है। इसके पीछे खास वजह है 2022 से रूस से कच्चे तेल की जबरदस्त खरीद। गत जुलाई माह में, दोनों ही पक्ष 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य पर सहमत हुए थे।
भारत और रूस के बीच सिर्फ कूटनीतिक क्षेत्र में ही दोस्ती परवान नहीं चढ़ रही है बल्कि अन्य अनेक क्षेत्रों में दोनों देश समझदारी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। नई दिल्ली में भारत और रूस के बीच व्यापार को लेकर हुई बैठक के बाद अगले छह साल के लिए एक लक्ष्य तय करके आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया। भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि साल 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 100 अरब डालर तक पहुंच जाएगा।
इस बैठक के लिए विशेष रूप से नई दिल्ली आए रूस के प्रथम उपराष्ट्रपति डेनिस मंटुरोव के नेतृत्व में रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ सकारात्मक चर्चा हुई। डेनिस का कहना है कि भारत तथा रूस के बीच कारोबार में गत पांच वर्ष में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है, लगभग पांच गुना ज्यादा कारोबार हुआ है।
इस बैठक के संदर्भ में जयशंकर का कहना है कि 2030 के लक्ष्य से पहले ही भारत रूस के साथ 100 अरब डॉलर तक का कारेबार कर लेगा, इसका पूरा विश्वास है। यह सही है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए कुछ अवरोध दूर करने जरूरी हैं। दोनों पक्ष व्यापार में आ रहे इन अवरोधों को पहचानकर उन्हें दूर करने को तत्पर हैं।
रूसी उपप्रधानमंत्री डेनिस भारत और रूस के बीच दोतरफा कारोबार तथा तकनीकी सहयोग की निगरानी करने वाले आयोग की इस बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे थे। इस नाते उनका कहना है कि दोनों पक्ष कारोबार में आ रहीं चुनौतियों, खासकर भुगतान तथा लॉजिस्टिक्स से संबंधित विषयों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसमें प्रगति हुई है। लेकिन अब भी कई काम करने शेष हैं।
जयशंकर उत्साहित हैं कि कूटनीति में नजदीकी के साथ ही भारत-रूस व्यापार भी तरक्की पर है। लेकिन वह इस द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन के प्रति भी गंभीरता से काम करते हुए उसे दूर करने की बात करते हैं। इस वक्त घाटे का पलड़ा भारत की तरफ है। रूस के साथ कारोबार में भारत का करीब 57 अरब डॉलर का कारोबारी घाटा हुआ है। इसके पीछे खास वजह है 2022 से रूस से कच्चे तेल की जबरदस्त खरीद। गत जुलाई माह में, दोनों ही पक्ष 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने के लक्ष्य पर सहमत हुए थे।
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर को द्विपक्षीय कारोबार की भी प्रगाढ़ समझ है, इसका अंदाजा व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर कल की अंतर-सरकारी आयोग बैठक में उनके उद्घाटन भाषण से हो जाता है। इसमें जयशंकर का कहना था कि 2030 से पहले ही भारत व्यापार क्षेत्र में 100 अरब डालर के तय लक्ष्य को पाने के बारे विश्वास से भरा है।
उन्होंने आगे कहा कि इसकी वजह है दोनों अर्थव्यवस्थाओं का आपस में एक-दूसरे की पूरक होना। उनके अनुसार, अर्थव्यवस्थाओं में यह तालमेल वर्षों के दौरान बने आपसी भरोसे के बल पर बनता है। द्विपक्षीय कारोबार में बढ़त असरदार है। वर्तमान में इसके 66 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है। लेकिन जयशंकर के अनुसार, दोनों पक्ष चुनौतियों से निपटने को तैयार हैं और इसके लिए आवश्यक प्रयास करने का मन बनाए हुए हैं।
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