मुंबई । महाराष्ट्र चुनावों के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड को लिखी चिट्ठी ने राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस चिट्ठी के आधार पर कांग्रेस और इंडी गठबंधन को निशाने पर लेते हुए इसे “देश को बांटने वाला कदम” करार दिया है। शनिवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पार्टी प्रवक्ता और सांसद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जाने का आरोप लगाया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से इस पर जवाब मांगा।
ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड की मांगे और नाना पटोले का आश्वासन
7 अक्टूबर को ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस से अपनी 17 मांगें रखीं, जिनमें वक्फ बिल का विरोध, मुसलमानों को नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण, पुलिस भर्ती में प्राथमिकता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध की मांग शामिल थी। इन मांगों के जवाब में महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने इन मांगों पर विचार करने और समर्थन का आश्वासन दिया। भाजपा ने इस चिट्ठी को सार्वजनिक कर कांग्रेस पर “वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को तोड़ने की साजिश” का आरोप लगाया है।
भाजपा का आरोप : ‘वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को तोड़ रही कांग्रेस’
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस पार्टी वोट बैंक के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट भी इस पर रोक लगा चुका है। फिर भी कांग्रेस इन मांगों का समर्थन कर रही है। राहुल गांधी रोज संविधान की दुहाई देते हैं, लेकिन क्या उन्हें पता है कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं है?” उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि क्या राहुल गांधी इस चिट्ठी का समर्थन करते हैं।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस का यह कदम देश को विघटन की ओर धकेलने वाला है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी और कांग्रेस ने संविधान का सम्मान करने की कसम खाई है, लेकिन वोट बैंक के लिए देश को बांटने की यह चाल बेहद खतरनाक है। भाजपा इसकी भर्त्सना करती है और यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसा कोई फैसला लागू न हो।”
भाजपा का कांग्रेस पर हमला
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस की ओर से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग का भी कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अगले साल अपने 100 साल पूरे करने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने अपनी चिट्ठी में इस पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है। यह राष्ट्रवादी संगठन पर हमला है। शरद पवार और इंडी गठबंधन के अन्य नेताओं को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। क्या वे कांग्रेस के इस कदम का समर्थन करते हैं?”
भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “शरद पवार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह कांग्रेस की इस तरह की विघटनकारी मांगों के पक्ष में हैं। यह कांग्रेस की राजनीति का एक नायाब उदाहरण है, जहां वे खुद को धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर बताते हैं, लेकिन अपने ही देश को धर्म के आधार पर बांटने की साजिश रचते हैं।”
कांग्रेस के वक्फ बिल का विरोध और मुस्लिम आरक्षण की मांग
चिट्ठी में एक अन्य विवादित बिंदु मुस्लिम समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग है। भाजपा ने इसे “धर्म के आधार पर आरक्षण” बताते हुए संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर इसे अवैध बताया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस वोट के लिए इस हद तक जा रही है कि देश में सांप्रदायिकता का माहौल पैदा करने पर आमादा है। उन्होंने कहा, “धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाली कांग्रेस ही संविधान का उल्लंघन कर रही है।”
चुनावी राजनीति में गरमाई बहस : शरद पवार की चुप्पी पर सवाल
भाजपा ने कांग्रेस के सहयोगी दलों पर भी सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। भाजपा का कहना है कि महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की यह राजनीति राज्य को सांप्रदायिकता की ओर धकेल रही है। भाजपा ने पवार पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं?
‘वोट बैंक की राजनीति के लिए देश को खतरे में डाल रही है कांग्रेस’
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जाने का मन बना लिया है। कांग्रेस की चिट्ठी को लेकर भाजपा ने इंडी गठबंधन पर सवाल उठाए हैं कि वे इस देश विरोधी राजनीति के लिए किस हद तक समर्थन करेंगे। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस और उसके सहयोगी वोट के लिए देश की एकता और अखंडता को तोड़ने पर तुले हुए हैं। भाजपा इसका कड़ा विरोध करेगी और देश को ऐसे किसी भी कदम से बचाएगी।”
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