विकासनगर, साहिया: जौनसार-बावर क्षेत्र के महान योद्धा वीर नंतराम नेगी की प्रतिमा स्थापना को विजय दिवस के रूप में मनाया गया। सेवा प्रकल्प संस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संगठन मंत्री डालचंद ने वीर नंतराम नेगी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
सेवा प्रकल्प संस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संगठन मंत्री डालचंद ने कहा कि जनजातीय क्षेत्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए वीर नंतराम नेगी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यों को स्मरण करना हमारे कर्तव्य का हिस्सा है, ताकि भविष्य की पीढ़ियां अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए प्रेरणा ले सकें।
वीर योद्धा नंतराम नेगी के प्रतिमा स्थापना दिवस के अवसर पर साहिया स्थित मेला मैदान में भव्य सांस्कृतिक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में हारुल नृत्य, जुड्डा नृत्य, जंगाबाजी, रणसिंघा और ढोल दमाऊ जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं। इन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार दिए गए।
हारुल नृत्य प्रतियोगिता में 9 टीमों ने भाग लिया, जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹11,000 और ट्रॉफी, तथा द्वितीय पुरस्कार ₹7,100 और ट्रॉफी दी गई। जुडौ नृत्य प्रतियोगिता में तीन टीमों ने भाग लिया, जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹11,000 और ट्रॉफी तथा द्वितीय पुरस्कार ₹7,100 और ट्रॉफी दी गई। जंगाबाजी प्रतियोगिता में 10 टीमों ने भाग लिया, जिसमें विजेताओं को ₹5,100 और ट्रॉफी तथा द्वितीय पुरस्कार ₹3,100 और ट्रॉफी पुरस्कार स्वरूप दी गई। रण सिंघा प्रतियोगिता में 10 टीमों ने भाग लिया, जिसमें प्रथम पुरस्कार ₹5,100 और ट्रॉफी तथा द्वितीय पुरस्कार ₹3,100 और ट्रॉफी दी गई। ढोल दमाऊ प्रतियोगिता में 5 टीमों ने भाग लिया, जिन्हें प्रथम पुरस्कार ₹5,100 और ट्रॉफी तथा द्वितीय पुरस्कार ₹3,100 और ट्रॉफी पुरस्कार स्वरूप दी गई।
इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक नरेश चौहान, सह-संयोजक सुरेन्द्र सिंह नेगी, कैप्टन मेहर सिंह, सुशील अग्रवाल, एसएमआर जनजातीय पीजी कॉलेज के चेयरमैन अनिल सिंह तोमर, नीरज चौहान, दिनेश रावत, जगत सिंह नेगी, टीकम सिंह नेगी, दिनेश नेगी, राजेश तोमर, धूम सिंह नेगी, प्रशांत नेगी, आश कुमार, चमन नेगी और बीजेपी के मंडल अध्यक्ष दिनेश तोमर सहित हिमाचल प्रदेश के मोराड़ रियासत से हीरा सिंह नेगी, भीम सिंह नेगी, वीरेंद्र सिंह नेगी, प्रताप सिंह नेगी, संतान नेगी आदि उपस्थित रहे। सांस्कृतिक निर्णायक मंडल के रूप में डॉ. नंदलाल भारती, सुश्री शांति वर्मा, अर्जुन दत्त शर्मा, सीताराम शर्मा और केसर सिंह राय उपस्थित रहे।
कौन थे नन्तराम नेगी (मलेथा)
भारतवर्ष में महापुरुषों की एक लंबी श्रृंखला है, जिनमें से कुछ का इतिहास अनजान रह गया। ऐसा ही एक वीरतापूर्ण अध्याय नन्तराम नेगी का है। उनके नाम से सिरमौर और जौनसार बावर के लोग गर्व महसूस करते हैं, जिन्होंने साहस से मुगल आक्रमण को रोका। जौनसार बावर के मलेथा गाँव में किसान परिवार में जन्में नन्तराम के पिता लाल सिंह ने बालक का पालन-पोषण किया। बचपन से ही उनमें कर्तव्यपरायणता और देशभक्ति के गुण थे। उनकी साहसिक प्रवृत्ति देखकर पिता ने उन्हें सिरमौर नरेश शमशेर प्रकाश की सेना में भर्ती करा दिया। नन्तराम की वीरता के चर्चे पूरे राज्य में फैल गए।
सन् 1781 के आसपास जब मुगल सरदार रोहिला ने सिरमौर पर आक्रमण की योजना बनाई तो नन्तराम नेगी ने अपनी छुट्टी बीच में छोड़कर राज्य की रक्षा का बीड़ा उठाया। राजा ने उन्हें सैन्य सामग्री देकर सेनापति नियुक्त किया। नन्तराम ने मुगल शिविर पर हमला करने से पहले माँ भवानी के दर्शन किए और अपने सैनिकों को मुख्य मार्गों पर तैनात किया। रात को चुपचाप शिविर में प्रवेश कर उन्होंने सोते हुए मुगल सरदार को जगाया और तलवार के एक वार में उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
इस अप्रत्याशित हमले से मुगल सेना में भगदड़ मच गई, और वे भाग खड़े हुए। इस वीरता से राज्य सुरक्षित हो गया। राजा ने नन्तराम का स्वागत किया और उन्हें वीरता की की उपाधि दी। साथ ही मराड़, स्यासू और कालसी की जागीरें वीरता का पारितोषिक के रूप में प्रदान कीं। आज भी जौनसार बावर के मलेथा गाँव में उनके हथियार सुरक्षित हैं, जिनकी पूजा विजयादशमी पर की जाती है। वीर नतंराम नेगी की गाथाओं को युगों युगों तक जीवित रखने के लिए सेवा प्रकल्प संस्थान पश्चिम उत्तर प्रदेश द्वारा साहिया में उनकी एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई जो आने वाले पीढ़ियां को अपने देश और धर्म को सुरक्षित रखने की प्रेरणा देती है।
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