पराली जलाने वालों की अब खैर नहीं : प्रदूषण के चलते केंद्र सरकार ने लिया कड़ा फैसला, लगेगा भयंकर जुर्माना
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पराली जलाने वालों की अब खैर नहीं : प्रदूषण के चलते केंद्र सरकार ने लिया कड़ा फैसला, लगेगा भयंकर जुर्माना

सरकार द्वारा जारी संशोधन के अनुसार, अब किसानों को उनकी कृषि भूमि के रकबे के आधार पर जुर्माना देना होगा।

by SHIVAM DIXIT
Nov 7, 2024, 03:10 pm IST
in भारत, दिल्ली
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नई दिल्ली । दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण से लोग गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण न कर पाने के लिए फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार के बाद केंद्र सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम-2024 को प्रभावी करते हुए, पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को इस निर्णय से संबंधित अधिसूचना जारी की है, जिसमें पराली जलाने वाले किसानों पर लगाए जाने वाले पर्यावरण मुआवजे की राशि को बढ़ा दिया गया है।

बढ़ी हुई जुर्माने की दरें : भूमि के आधार पर नए नियम

सरकार द्वारा जारी संशोधन के अनुसार, अब किसानों को उनकी कृषि भूमि के रकबे के आधार पर जुर्माना देना होगा। यह नया कानून दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में लागू किया गया है।

दो एकड़ से कम भूमि वाले किसान : अब तक 2,500 रुपये का जुर्माना था, जो अब 5,000 रुपये कर दिया गया है।

दो से पांच एकड़ भूमि वाले किसान : 5,000 रुपये की बजाय अब 10,000 रुपये का पर्यावरण मुआवजा देना होगा।

पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसान : पहले 15,000 रुपये का जुर्माना था, जो अब 30,000 रुपये कर दिया गया है।

यह कदम दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के चरम समय (1 से 15 नवंबर) के दौरान वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए उठाया गया है, जब पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि होती है और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।

पराली जलाने का कारण और वायु प्रदूषण में योगदान

पराली जलाने का मुख्य कारण धान-गेहूं फसल प्रणाली है, जो कि पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्यों में आम है। धान की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों (पराली) को किसानों द्वारा जलाया जाता है। इस प्रक्रिया में समय की बचत होती है, लेकिन इसका प्रभाव वायु प्रदूषण पर गंभीर पड़ता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पीएम स्तर में लगभग 30% तक का योगदान होता है।

अन्य प्रमुख कारणों में मशीनों से फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेत में छोड़ना, मज़दूरों की कमी, और पराली के लिए कोई व्यवहारिक बाज़ार का न होना शामिल है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती : अधिकारियों पर भी कार्रवाई का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर नियंत्रण करने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकारों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को निर्देश दिया कि यदि पराली जलाने की घटनाएं कम नहीं होती हैं, तो राज्य सरकारों के अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पराली जलाने की घटनाओं के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में भारी गिरावट दर्ज की जाती है।

वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण के कारण बच्चों, बुजुर्गों और अन्य लोगों को श्वास संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य संस्थानों के शोध बताते हैं कि वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर घातक असर पड़ता है। पीएम 2.5 जैसे हानिकारक तत्वों का अत्यधिक स्तर फेफड़ों में प्रवेश कर गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

सरकार के कदम और भविष्य की राह

पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। किसानों को पराली जलाने के विकल्प प्रदान करने और जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जाने चाहिए। साथ ही, कृषि में नई तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है, जिससे फसल अवशेषों को जलाने की जरूरत न पड़े।

सरकार द्वारा लगाए गए नए जुर्माने की राशि से उम्मीद है कि किसान पराली जलाने के बजाय अन्य वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करेंगे।

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