ईरान की इस्लामिक कट्टरपंथी सरकार ने कुछ दिन पहले हिजाब कि विरोध में खुलेआम कपड़े उतारने वाली छात्रा को मानसिक रोगी करार दे दिया है। देश के विज्ञान मंत्री हौसैन सिमाई सर्राफ ने का कहना है कि वो फिलहाल पारिवारिक चुनौतियों और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों से जूझ रही है। इसिलिए उसका इलाज किया जा रहा है। हालांकि, इस्लामी सरकार का ये बयान दिखावा मात्र प्रतीत हो रहा है।
आशंका है कि ईरान की मॉरल पुलिस की कस्टडी में छात्रा के साथ दुर्व्यवहार हो सकता है। इसी आशंका के ईरान स्थित मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी ने बिना शर्त छात्रा को रिहा करने की मांग की है। एमनेस्टी ईरान हिरासत के दौरान छात्रा के साथ दुर्व्यवहार से सुरक्षा की मांग की है। साथ ही अपील की है कि छात्रा को उसके परिवार और वकील तक पहुंच को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस्लामी कट्टरपंथ और हिजाब का विरोध करने के बाद हिरासत में ली गई महसा अमीन के साथ जिस प्रकार से दुर्व्यवहार किया गया वो घटना अभी भी लोगों के जेहन में है। महसा अमीन की हिरासत में ही मौत हो गई थी। इसको लेकर ईरान की काफी आलोचना भी हुई, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसीलिए इस बार महिलाओं की स्वतंत्रता को लेकर विरोध प्रदर्शनों पर सरकार की कार्रवाई के बाद अधिकार समूहों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
मामला कुछ यूं है कि तेहरान के इस्लामिक आजाद विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा ने हिजाब तो पहना हुआ था, लेकिन उसने अपने सिर पर स्कॉर्फ नहीं बांधे थे। विश्वविद्यालय में उसके सिर पर कपड़ा न मिलने पर मसूद पजेशकियान सरकार की मॉरल पुलिस ने बेशर्मी और बेहयाई की सारी हदों को पार करते हुए पहले तो छात्रा के साथ मारपीट की। इसके बाद उसके कपड़ों को भी फाड़ दिया। ईरानी सुरक्षा बलों की इस हरकत से आहत छात्रा ने विश्वविद्यालय के गेट पर ही अपने कपड़े उतार दिए और वहीं पर बैठ गई।
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सोशल मीडिया पर इसके वीडियो भी वायरल हुए, जिसमें छात्रा के साथ मारपीट करते और फिर छात्रा को अपने कपड़े उतार कर बैठे देखा गया था। हिजाब का विरोध करने के मामले में सुरक्षा बलों ने छात्रा को गिरफ्तार कर लिया था। बताया गया था कि छात्रा को गिरफ्तार करने के बाद उसे खूब प्रताड़ित किया गया।
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