हाल ही में बेंगलुरु के बेलगावी क्षेत्र में क्रूर मुगल शासक औरंगजेब के पोस्टर लगाए जाने के बाद सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया। इस पोस्टर में औरंगजेब को ‘अखंड भारत का असली संस्थापक’ कहा गया, जिससे स्थानीय समुदाय में गुस्सा फैल गया। विवाद की शुरुआत तब हुई जब कुछ शरारती तत्वों ने औरंगजेब के पोस्टर शाहूनगर इलाके में लगा दिए।
पुलिस की कार्रवाई
पोस्टर लगने के तुरंत बाद स्थानीय निवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया, इसे भड़काऊ कदम बताते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। निवासियों का कहना था कि इस तरह के पोस्टर सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का प्रयास हैं, जो क्षेत्र में शांति भंग कर सकते हैं।
पुलिस ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मौके पर पहुंचकर पोस्टर हटा दिए और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी। बेलगावी के डीसीपी ने बयान में कहा कि यह पोस्टर 3 नवंबर को औरंगजेब के जन्मदिन के अवसर पर लगाए गए थे और पोस्टर लगाने वालों की पहचान की जा रही है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
पोस्टरों के हटाए जाने के बाद कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी और सवाल उठाया कि औरंगजेब का पोस्टर क्यों हटाया गया जबकि वीर सावरकर का पोस्टर लगा है। इस प्रतिक्रिया ने तनाव को और बढ़ा दिया और अधिकारियों पर ऐसे भड़काऊ बयानों को नियंत्रित करने का दबाव बढ़ गया। पुलिस सोशल मीडिया पर निगरानी कर रही है ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे और किसी भी प्रकार की अफवाह या गलत सूचना से तनाव न बढ़े।
पुलिस ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ पीआर (पुलिस रिपोर्ट) दर्ज की है और मामले की जांच कर रही है। प्रशासन ने यह भी कहा है कि बिना अनुमति के किसी भी प्रकार का पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
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