केरल विधानसभा में कमल दोबारा खिलने के मुहाने पर खड़ा है। वर्तमान में केरल विधानसभा में भाजपा का फिलहाल कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। बड़े राज्यों में केरल ही एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां भाजपा का कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं है। लेकिन पलक्कड़ और चेलक्कारा विधानसभा उपचुनावों में भाजपा केरल विधानसभा में अपना खाता खोलने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही है। भाजपा ने 2024 में त्रिशूर लोकसभा सीट जीतकर केरल से लोकसभा में पहली बार उपस्थिति दर्ज की है।
भाजपा केरल में लंबे समय तक न तो विधानसभा और न ही लोकसभा में जीत दर्ज कर पाई थी। यह भाजपा के लिए सबसे कमजोर राज्यों में से एक था। इसका मुख्य कारण केरल का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य है। केरल में दो गठबंधनों द्वारा 1982 के उपरांत सत्ता की अदला-बदली में नए वो छोटे दल को हाशिये पर रहने की पीड़ा झेलनी पड़ती थी। भाजपा का जन्म ही 1980 में हुआ, उसके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन दोनों गठबंधनों में बीच अपने लिए मुकाम तलाशना बहुत ही कठिन कार्य था। 1982 के बाद केरल में माकपा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच द्वि-ध्रुवीय राजनीति अभी तक चली आ रही है। मगर अब भाजपा भी मजबूती से इन दोनों गठबंधनों के बीच अपने लिए राजनितिक स्थान बनाते हुए पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा के तर्ज पर आगे बढ़ती जा रही है।
भाजपा की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर काफी मजबूत पकड़ थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा तिरुवनंतपुरम सीट महज 15000 वोटों के मामूली अंतर से हार गई थी। भाजपा ने तिरुवनंतपुरम सीट पर 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी एलडीएफ को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस पार्टी के थरूर को कांटे की टककर दी, मगर भाजपा अभी भी इस सीट पर जीत दर्ज करने से एक कदम दूर खड़ी है।
2016 के केरल विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार नेमोम विधानसभा सीट जीतकर राज्य विधानसभा में प्रवेश किया था। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा मामूली वोटों के अंतर से यह सीट हार गई थी । मगर वर्तमान में पलक्कड़ और चेलक्कारा दोनों विधानसभा उपचुनावों में भाजपा अपना बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए कमर कस चुकी है। राजनीतिक समीकरणों के अनुसार भाजपा दोनों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। जहां भाजपा ने पिछले 2021 के विधानसभा चुनाव में पलक्कड़ विधानसभा सीट 3859 वोटों के मामूली अंतर से हारी थी, वहीं पलक्कड़ विधानसभा सीट पर भाजपा 2016 के विधानसभा चुनाव में भी उपविजेता रही थी।
वर्तमान राजनीतिक हालात में भाजपा पलक्कड़ विधानसभा सीट जीतने के दहलीज पर खड़ी है। भाजपा 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के शफी परम्बिल से हारी थी। भाजपा की यह हार कांग्रेस पार्टी के बजाय शफी परम्बिल से व्यक्तिगत हार थी। शफी के 2024 में वटकारा लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण अब इस सीट पर भाजपा की जीत सुनिश्चित दिख रही है। शफी परम्बिल तीन बार से इस सीट से चुनाव जीत रहे थे। इस सीट पर लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की दावेदारी बेहद कमजोर है। एलडीएफ इस सीट पर केवल सांकेतिक लड़ाई लड़ रहा है क्योंकि इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। कांग्रेस व यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को हराना एलडीएफ के मतदाताओं का पहला प्रयास इस सीट पर होगा।
केंद्र में भाजपा नीत एनडीए के आसीन होने के बाद केरल में एक नई राजनीतिक संस्कृति विकसित हुई है, जिसमें लोकसभा में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की हिस्सेदारी मजबूत रहती है, जबकि विधानसभा चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट कांग्रेस नीट यूडीएफ पर भारी पड़ती आ रही है । इसलिए विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी की दावेदारी पहले से ही कमजोर हो गई है। राहुल गांधी द्वारा वायनाड लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर रायबरेली से अपनी सांसदी को बनाये रखने से केरल में कांग्रेस पार्टी के मतदाता पहले से ही निराश हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार ने चुनाव कार्यक्रम का फायदा उठाया। वायनाड में दूसरे चरण में मतदान था, जबकि रायबरेली में पांचवें चरण में। वायनाड में मतदान के बाद रायबरेली की सीट के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। वायनाड में दूसरे चरण के मतदान से पहले तक राहुल गांधी ने किसी अन्य सीट अमेठी, रायबरेली अथवा किसी अन्य से चुनाव लड़ने के अपने इरादे का संकेत भी नहीं दिया था। यह केरल की जनता के साथ धोखा के समान था। नरेंद्र मोदी ने 2014 में वाराणसी व वड़ोदरा लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा और इस तथ्य से दोनों सीटों के लोग भली-भांति अवगत थे।
भाजपा की पलक्कड़ विधानसभा सीट जीतने की संभावना इसलिए भी अधिक है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पलक्कड़ विधानसभा सीट पर भाजपा कांग्रेस पार्टी के बाद दूसरे स्थान पर थी। लोकसभा चुनाव में भाजपा इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के महज 9707 वोटो से पीछे रही थी। चेलक्कारा विधानसभा सीट पर मौजूदा माकपा विधायक के राधाकृष्णन के अलाथुर लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण उपचुनाव आहूत हैं । इस सीट पर भी माकपा को भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी इस सीट पर केवल सांकेतिक मुकाबले में है।
केरल में 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के राज्य की राजनीति के बाद कांग्रेस पार्टी राज्य में कमजोर ही हुयी है। कांग्रेस पार्टी 2021 के विधानसभा चुनाव में केरल में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई और 1982 के केरल विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का 2021 में सबसे खराब प्रदर्शन रहा। 2021 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच 1982 के विधानसभा चुनाव के बाद से केरल में शासन बदलने की परंपरा भी टूट गई और लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने लगातार दूसरी बार केरल की सत्ता में वापसी की।
आश्चर्य की बात रही कि 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी केरल विधानसभा चुनाव में कोई मजबूत लड़ाई भी नहीं लड़ सकी। कांग्रेस ने यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट गठबंधन के अंतर्गत 93 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 21 सीटें ही जीत सकी, जबकि इस गठबंधन में दूसरे पायदान की पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी और 15 सीटें जीतीं। यहां तक कि यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के भीतर भी कांग्रेस का आईयूएमएल से कड़ा मुकाबला होना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। आगामी विधानसभा चुनाव में आईयूएमएल कांग्रेस पार्टी से बढ़-चढ़कर सीटों की मांग करके कांग्रेस को असहज भी कर सकती है।
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जहां 11 विधानसभा की सीटों पर वोटों के हिसाब से प्रथम पायदान और 9 सीटों पर दूसरे पायदान पर आकर राज्य की राजनीती में मजबूत व लम्बी पारी खेलने का इरादा जाता चुकी है, वहीं केरल राजनीति के बदलते हालातों को देखते हुए दोबारा केरल विधानसभा में प्रवेश के लिए मजबूत होती दिख रही है।
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