इसे मानसिक दिवालियापन ही का जाएगा कि सनातन धर्म से नफरत करने वाले तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन को अब मेडिकल में चयन के लिए आयोजित होने वाली NEET परीक्षा से भी अब दिक्कत होने लगी है। उदयनिधि स्टालिन ने संस्कृत भाषा को पिछड़े लोगों का विरोध करार दिया। साथ ही आरोप लगाया कि NEET परीक्षा पिछड़ों, ग्रामीणों को शिक्षा से वंचित करने का काम कर रही है।
डीएमके नेता का कहना है कि केंद्र सरकार NEET को मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने से रोकने के उपकरणों के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही डीएमके की युवा शाखा के सचिव उदयनिधि स्टालिन का ये भी आरोप है कि भारत सरकार तमिलनाडु पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश कर रही है। मलयाला मनोरमा द्वारा आयोजित कला और साहित्य महोत्सव हार्ट्स में ‘द्रविड़ राजनीति में साहित्यिक लोकाचार’ विषय पर बात करते हुए उदयनिधि स्टालिन ने अपनी सनातन धर्म को लेकर अपनी नफरत को फिर दिखाया।
स्टालिन ने दावा किया कि वर्ष 1920 के दशकों के दौरान चिकित्सा परीक्षा में प्रवेश के लिए लोगों को संस्कृत का ज्ञान होना अनिवार्य था। तब संस्कृत का ज्ञान नहीं होने के कारण पिछड़े लोग मेडिकल शिक्षा से वंचित रह जाते थे। हमारे लिए तमिल भाषा केवल एक संवाद का पर्याय नहीं, बल्कि ये सम्मान, स्वतंत्रता और समुदाय को चाहने वाले लोगों की आवाज है।
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फिल्मों को लेकर भी जहर उगलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों में किसी के भी पास अपना फिल्म उद्योग नहीं है, इसीलिए हिंदी और मराठी ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया। डीएमके नेता ने केंद्र सरकार पर तमिल भाषी लोगों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कैसे राज्यपाल को द्रविड़ विचारों से दूर रहकर हिंदी माह समारोह में शामिल होना पडा।
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