ढाका । बांग्लादेश में अगस्त महीने में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा ने कई लोगों की जान ले ली, और इसका सबसे अधिक प्रभाव वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर पड़ा। इन प्रदर्शनों में भारी संख्या में हिंसा और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुए अत्याचारों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयुक्त वोल्कर तुर्क ने बांग्लादेश में मारे गए हिंदू अल्पसंख्यकों की जांच और सुरक्षा के लिए अपील की। उन्होंने कहा, “ऐसे समाज में एक समावेशी दृष्टिकोण की जरूरत है जहां हर व्यक्ति की आवाज, चाहे वह किसी भी लिंग, वर्ग, जाति, राजनीतिक विचारधारा, पहचान या धर्म से जुड़ा हो, सुनी जा सके।” इस दिशा में जांच के जरिए एक न्यायसंगत वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों का सिलसिला जारी
संयुक्त राष्ट्र द्वारा हिंसा की घटनाओं के बाद एक फैक्ट फाइंडिंग टीम को बांग्लादेश भेजा गया है, जो हत्याओं और अत्याचारों की विस्तृत जांच करेगी। इस समय बांग्लादेश की अंतरिम सरकार शांति व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन विभिन्न चुनौतियों के कारण स्थिति जटिल बनी हुई है। हालात और भी खराब तब हुए जब प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ा, जिसके बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ गईं।
भारत ने भी बांग्लादेश में हो रहे इन अत्याचारों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से वार्ता की थी।
कट्टरपंथी संगठनों का ‘लव जिहाद’ अभियान
हाल ही में बांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी संगठनों ने हिंदू समुदाय को बदनाम करने और उनके खिलाफ एक नया ‘लव ट्रैप’ अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत आरोप लगाया जा रहा है कि हिंदू पुरुष मुस्लिम महिलाओं को बहलाकर उनका कन्वर्जन करा रहे हैं। इसके कारण हिंदू समुदाय को नए तरह के भेदभाव और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
सरकारी नौकरियों में हिंदू कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई में भी वृद्धि देखी जा रही है। विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में कई हिंदू प्रोफेसरों और शिक्षकों को जबरन नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस अन्यायपूर्ण रवैये के कारण हिंदू समुदाय में भय का माहौल बन गया है।
संयुक्त राष्ट्र का हस्तक्षेप और संभावित कार्रवाई
संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमन राइट्स कमिश्नर वोल्कर तुर्क की बांग्लादेश यात्रा और उनके द्वारा अस्पतालों का निरीक्षण एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता जताई है। माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र की यह जांच बांग्लादेश में रह रहे हिंदू समुदाय के प्रति हो रहे भेदभाव को उजागर कर सकती है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की दिशा में कदम बढ़ा सकती है।
इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट आने के बाद, हिंसा में शामिल लोगों और संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का कहना है कि वे सभी धर्मों के लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन मौजूदा हालात में उनकी चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं।
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