वाशिंगटन, (हि.स.)। भारत में लोकतंत्र खतरे में है, ऐसा झूठा नैरेटिव गढ़ने वाले यह खबर भी पढ़ लें। यह खबर उसी पश्चिम से ही आई है, जिसकी रिपोर्ट का ये कथित लिबरल दुहाई देते फिरते हैं। रिपोर्ट अमेरिका से है और कहा गया है कि अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। कई अखबार और चुनाव सर्वेक्षण एजेंसिया मतदाताओं का मन टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। इस संबंध में अमेरिका के अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स और सिएन कॉलज ने भी संयुक्त रूप से सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण के अनुसार, तीन-चौथाई मतदाताओं ने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है।
न्यूयॉर्क टाइम्स-सिएना कॉलेज के इस सर्वेक्षण के अनुसार, उन्होंने जितने अमेरिकी मतदाताओं का सर्वे किया, उनमें से लगभग आधे का मानना है कि अमेरिकी लोकतंत्र आम लोगों का प्रतिनिधित्व करने का अच्छा काम नहीं कर रहा। तीन-चौथाई मतदाताओं का कहना है कि लोकतंत्र खतरे में है। अधिकांश मतदाताओं का मानना है कि देश भ्रष्टाचार से ग्रस्त है।
इस सर्वेक्षण के विश्लेषण में कहा गया है कि लगभग 250 साल पुरानी अमेरिकी सरकार प्रणाली में विश्वास कम होने की वजह चार साल की अभूतपूर्व चुनौतियां हैं। इनमें 2020 के राष्ट्रपति चुनाव को पलटने की कोशिश में हिंसक दंगा और बिगड़ती अर्थव्यवस्था प्रमुख कारक है।विभाजनकारी संस्कृति और भू-राजनीतिक संकट से मतदाता परेशान है।वोटर्स का मानना है कि अमेरिकी सरकार बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने में विफल रही है। 58 प्रतिशत मतदाता चाहते हैं कि देश की वित्तीय और राजनीतिक प्रणाली में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता है।
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