कर्नाटक

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड का कहर : 1200 एकड़ कृषि भूमि पर ठोंका दावा, ना कब्र, ना कोई निर्माण, फिर कैसे दरगाह के नाम जमीन

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SHIVAM DIXIT

कर्नाटक के विजयपुर जिले के टिकोटा तालुक स्थित होनवाड़ा गांव में 1200 एकड़ जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताए जाने के बाद किसानों में भारी आक्रोश फैल गया है। इस विवादित भूमि को लेकर किसानों को नोटिस भेजे गए हैं, जिसमें कहा गया है कि यह जमीन शाह अमीनुद्दीन दरगाह के अधीन है और वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित है। किसानों का कहना है कि यह उनकी पुश्तैनी जमीन है और उनके परिवार पीढ़ियों से इस पर खेती कर रहे हैं। इस मामले को लेकर किसानों ने जिला प्रभारी मंत्री एमबी पाटिल को ज्ञापन सौंपा है और चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इन नोटिसों को वापस नहीं लिया, तो वे व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

वक्फ बोर्ड के नोटिस से उपजा विवाद

होनवाड़ा गांव के लगभग 41 किसानों को नोटिस भेजे गए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि उनकी जमीन वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। किसानों के अनुसार, यह नोटिस सरकारी रिकॉर्ड के आधार पर जारी किए गए हैं, जिसमें जमीन को शाह अमीनुद्दीन दरगाह के नाम पर दर्ज किया गया है। हालाँकि, किसानों ने आरोप लगाया है कि उनके गांव में इस नाम की कोई दरगाह नहीं है और यह जमीन उनके परिवारों की पुश्तैनी संपत्ति है।

किसानों का कहना है कि उन्होंने सदियों से इस भूमि का स्वामित्व संभाला है, और सरकारी रिकॉर्ड में दरगाह के नाम पर उनके खेतों का उल्लेख करना उनके लिए चौंकाने वाला है। विजयपुर जिले के किसान तुकाराम नालोदे ने बताया कि यह भूमि उनके परिवारों की है और उन्होंने वर्षों से इस पर खेती की है। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है और वे किसी भी सूरत में इसे वक्फ बोर्ड को नहीं देंगे।

वक्फ बोर्ड और सरकारी अधिकारियों की प्रतिक्रिया

वक्फ बोर्ड के अधिकारियों ने सफाई दी है कि यह नोटिस 1974 के गजट अधिसूचना के आधार पर जारी किए गए थे, जिसमें इन जमीनों को वक्फ संपत्ति के रूप में चिह्नित किया गया था। वक्फ बोर्ड की विजयपुर इकाई की एक अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने इस भूमि को वक्फ बोर्ड के अधीन घोषित किया था और इसे सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।

हालांकि, अधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि कुछ नोटिस गलती से भेजे गए थे और अगर किसानों के पास वैध भूमि रिकॉर्ड हैं, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

भाजपा का आरोप और राजनीतिक विवाद

इस विवाद पर भाजपा नेता और बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या ने कर्नाटक सरकार और वक्फ मंत्री बी ज़मीर अहमद खान पर आरोप लगाए हैं। सूर्या ने कहा कि वक्फ मंत्री ने डिप्टी कमिश्नर और राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर इस जमीन को वक्फ बोर्ड के पक्ष में पंजीकृत किया जाए। उन्होंने इसे किसानों के खिलाफ अन्याय बताया और कहा कि यह निर्णय बिना किसी पुख्ता सबूत के लिया गया है।

किसानों का विरोध और आगामी कदम

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित करने का फैसला वापस नहीं लिया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। किसानों ने इस मामले में प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है कि वे किसी भी हालत में अपनी पुश्तैनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।

अन्य किसानों के बीच डर का माहौल

इस विवाद ने कर्नाटक के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी किसानों के बीच असुरक्षा का माहौल बना दिया है। किसान संगठनों ने भी इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है और कहा है कि भूमि विवादों का समाधान पारदर्शी और न्यायपूर्ण ढंग से होना चाहिए।

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