नई दिल्ली, (हि.स.)। मुस्लिम परिवार में जन्म के बावजूद नास्तिक व्यक्ति पर क्या शरीयत की जगह सामान्य सिविल कानून लागू हो सकते हैं? इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र से जवाब मांगा है।
इस मामले पर कोर्ट ने अप्रैल में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। आज सुनवाई के दौरान एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि एक्ट में ही इसको लेकर प्रावधान है। यह मुस्लिम लोगों पर लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि जहां तक समान नागरिक संहिता का सवाल है, सरकार इस पर विचार कर रही है। समान नागरिक संहिता आएगी या नहीं , अभी कुछ कहा नहीं जा सकता।
दरअसल, केरल की सफिया पीएम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह मांग की है कि मुस्लिम परिवार में जन्म लेने के बावजूद उन पर भारतीय उत्तराधिकार एक्ट 1925 लागू होना चाहिए, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ का पालन नहीं करना चाहते हैं। याचिकाकर्ता सोफिया पीएम का परिवार नास्तिक है लेकिन शरीयत प्रावधान के चलते पिता चाहते हुए भी उसे एक तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे पा रहे हैं।
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