हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें मुंबई मेट्रो रेल में युवाओं की एक टोली श्रीराम के भजन गाती दिख रही है। ये सभी युवा पढ़े-लिखे और आधुनिक हैं। सोशल मीडिया में इस वीडियो को साझा करते हुए स्वतंत्र पत्रकार कुणाल पुरोहित ने लिखा, ‘‘यही हिंदुत्व है, जो ऐसे बना है जो बिना किसी भेदभाव के सभी को अपनी ओर खींच ले, फिर चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण। अमीर युवा भी इसे गाने में कोई हिचक नहीं महसूस कर रहे हैं।’’ इस वीडियो को आम लोगों ने बेहद पसंद किया और अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, ‘‘युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है।’’ वहीं दूसरी ओर भारत का एक वर्ग इस वीडियो से बड़ा ‘आहत’ हुआ। यह वह सेकुलर वर्ग है, जिसने हिंदुओं को लगातार अपमानित किया है, फिल्म जगत ने भी अपनी फिल्मों के माध्यम से हिंदुओं को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी वर्ग की एक सदस्य हैं फिल्म अभिनेत्री पूजा भट्ट।
ये वही पूजा हैं, जिनके पिता महेश भट्ट बड़े फिल्म निर्देशक माने जाते हैं। इन्हीं पूजा भट्ट का एक चित्र सामने आया था, जिसमें वे अपने पिता को चुबंन देती दिखीं। यही नहीं, पूजा अनेक बार सार्वजनिक स्थानों पर ऐसे कपड़ों में दिखती हैं, जिन्हें आम लोग अश्लील मानते हैं। यही पूजा राम भजन के वायरल वीडियो पर कहती हैं, ‘‘सार्वजनिक स्थानों का इस तरीके से दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। आखिर कैसे अधिकारी इसकी इजाजत दे सकते हैं?’’
इस सेकुलर वर्ग की विशेषता है कि पहले वह कुछ ऐसा कहता या करता है जिससे विवाद हो और फिर ‘विक्टिम कार्ड’ खेलता है, लेकिन इस बार लोगों ने पूजा को नहीं छोड़ा। लोगों ने पूछा कि जब नमाज के समय सड़कें जाम होती हैं तो आप कुछ क्यों नहीं कहते हैं? इसके साथ ही लोगों ने पूछा कि जब दिन में पांच बार सार्वजनिक स्थानों से वह सब सुनाया जाता है, जिसे अधिकतर लोग नहीं सुनना चाहते हैं, उसका आप विरोध क्यों नहीं करती हैं? पूजा के राजनीतिक रुझान को देखते हुए कह सकते हैं कि वे कभी भी उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर नहीं देंगी।
उल्लेखनीय है कि इन्हीं पूजा भट्ट को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देखा गया था। दुनिया यह भी जानती है कि पूजा के पिता का इस्लाम के प्रति कुछ ज्यादा ही झुकाव है। वे भगोड़े अपराधी जाकिर नाइक के भी बहुत बड़े समर्थक हैं। जो जाकिर नाइक इन दिनों पाकिस्तान के उदारवादी लोगों के गुस्से का शिकार बना हुआ है, जिसे वहां के लोग पानी पी-पी कर कोस रहे हैं, उसी जाकिर नाइक पर महेश भट्ट फिल्म बनाना चाहते थे।
वे जाकिर की सार्वजनिक रूप से तारीफ भी करते हैं। इतना ही नहीं, महेश भट्ट पत्रकार अजीज बर्नी की उस पुस्तक के लोकार्पण में शामिल हुए, जिसमें मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी ठहराने का कुत्सित प्रयास हुआ था। इस पुस्तक को लिखने के पीछे मंशा यह थी कि लोग मानें कि मुंबई पर हमला पाकिस्तानी आतंकवादियों ने नहीं किया था, बल्कि इसके पीछे कथित ‘भगवा’ आतंकवादी थे। आतंकवादी कसाब ने अपने हाथ में कलावा भी इसी उद्देश्य से बांधा था। यह तो अच्छा हुआ कि कसाब जिंदा पकड़ा गया और दुनिया को पता चला कि वह कितनी गहरी साजिश थी।
जिन पूजा के पिता भारत विरोधी तत्वों के साथ आएदिन खड़े रहते हैं, उन्हें मुंबई मेट्रो में भजन गाना कभी पसंद नहीं आएगा। दरअसल, पूजा भट्ट जैसे लोग यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि फिल्मों आदि के माध्यम से हिंदुओं के प्रति, उनके पर्वों के प्रति इतना जहर घोलने के बाद भी हिंदू युवासार्वजनिक रूप से भजन गा रहे हैं, धार्मिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं। दरअसल ऐसे लोग अपने एजेंडे की हार बर्दाश्त नहीं कर पा रहे।
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