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नासा ने किया यूरोपा क्लिपर लॉन्च: क्या बृहस्पति के चंद्रमा पर छिपा है जीवन का रहस्य?

नासा खोजेगा यूरोपा के बर्फीले महासागर के रहस्य। क्या धरती से परे मिलेगा जीवन? 2030 तक मिलेंगे जवाब।

by Parul
Oct 15, 2024, 06:33 pm IST
in विज्ञान और तकनीक
यूरोपा क्लिप करेगा जीवन की खोज।

यूरोपा क्लिप करेगा जीवन की खोज।

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नासा ने हाल ही में बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए एक नया मिशन यूरोपा क्लिपर लॉन्च किया है। यह अंतरिक्ष यान 14 अक्टूबर 2024 को लॉन्च किया गया। इसे बृहस्पति के चारों ओर कक्षा में प्रवेश करने के लिए डिजाइन किया गया है। मिशन का मुख्य उद्देश्य यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे छिपे महासागर का अध्ययन करना है। इस सतह के नीचे जीवन की संभावनाएँ हो सकती हैं।

मिशन की विशेषताएँ

यूरोपा क्लिपर लगभग 5.2 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार किया गया है और इसे स्पेसएक्स द्वारा लॉन्च किया गया। यह यान 18 लाख मील (लगभग 29 लाख किलोमीटर) की यात्रा करेगा और 2030 तक यूरोपा तक पहुंचेगा। इस दौरान यह चंद्रमा की सतह के 16 मील (लगभग 25 किलोमीटर) करीब से गुजरेगा। इसके पांच साल के कार्यकाल में यह लगभग 50 बार यूरोपा के पास से गुजरेगा।

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उपकरण और तकनीकी जानकारी

यूरोपा क्लिपर स्पेसक्राफ्ट में कई उन्नत उपकरण शामिल हैं। जैसे कि स्पेक्टोमीटर और थर्मल कैमरा। स्पेक्टोमीटर यूरोपा की सतह की रासायनिक संरचना का अध्ययन करेगा, जबकि थर्मल कैमरा वहां की गतिविधियों के गर्म स्थानों का पता लगाएगा। इसके अलावा यह यान यूरोपा की मैग्नेटिक फील्ड और ग्रैविटी का भी अध्ययन करेगा। इससे वैज्ञानिकों को बर्फ की मोटाई और महासागर की गहराई का पता चलेगा।

वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर 10 से 20 मील मोटा बर्फ का महासागर है। उनका अनुमान है कि इस महासागर में धरती के सभी समुद्रों से दोगुना पानी हो सकता है। यूरोपा पर ज्वालामुखी गतिविधियों के संकेत भी मिले हैं, जिससे यहां जीवन के लिए संभावनाएँ हैं। हालांकि, यूरोपा क्लिपर को विशेष रूप से जीवन की खोज के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य यूरोपा पर रासायनिक संरचना, भूविज्ञान और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करना है।

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इतिहास और खोज

यूरोपा का पहला अवलोकन 1610 में गैलीलियो गैलीली ने किया था। तब से वैज्ञानिकों ने इस चंद्रमा पर बर्फीले पानी की उपस्थिति का संकेत पाया है। 1970 के दशक में पाइनियर और वोएजर मिशनों ने इस चंद्रमा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की थी। गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट ने दिसंबर 1997 में यूरोपा के करीब जाकर वहां बर्फ के नीचे दबे पानी की पुष्टि की थी।

भविष्य की संभावनाएँ

यदि यूरोपा क्लिपर मिशन जीवन को सपोर्ट करने वाली चीजों का पता लगाने में सफल होता है, तो भविष्य में गहराई से अनुसंधान करने के लिए नए मिशनों को लॉन्च किया जा सकता है। नासा का यह मिशन बताएगा कि क्या यूरोपा पर जीवन को समर्थन देने वाले अनुकूल हालात मौजूद हैं।

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