बस्तर का दर्द : कई किलोमीटर घसीटा, नही रही चमड़ी, जिंदा बेटे को काट डाला, नक्सलियों ने उजाड़ दिया वैद्यराज का परिवार
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

बस्तर का दर्द : कई किलोमीटर घसीटा, नही रही चमड़ी, जिंदा बेटे को काट डाला, नक्सलियों ने उजाड़ दिया वैद्यराज का परिवार

लंबे समय तक चले वैद्यराज के इलाज से बिक गई घर की संपत्ति, ज्ञानेंद्र सिंह की मौत के बाद उसके 2 मासूम बच्चे अनाथ हो गए, परिवार रोजमर्रा की जरूरतों के लिए प्रतिदिन संघर्ष कर रहा है।

by SHIVAM DIXIT
Oct 10, 2024, 02:30 pm IST
in भारत, छत्तीसगढ़
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कांकेर, छत्तीसगढ़ । नक्सलियों द्वारा किए गए अत्याचार का काला अध्याय एक बार फिर सामने आया है। कांकेर जिले के तारुकी गांव के निवासी वैद्यराज दयालु राम जैन का परिवार नक्सलियों के क्रूर प्रहार का शिकार बन गया, जिसने इस परिवार की खुशियों को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। इस दर्दनाक घटना में न केवल एक बेटे की निर्मम हत्या की गई, बल्कि इस कांड ने एक बुजुर्ग पिता को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ कर रख दिया है।

खौफनाक रात: जब खुशियों पर पड़ा नक्सली प्रहार

रात के लगभग 8:00 बजे का समय था, जब वैद्यराज अपने छोटे बेटे ज्ञानेंद्र सिंह जैन (उम्र 35 वर्ष) के साथ घर पर आराम कर रहे थे। परिवार में रोज की तरह भोजन के बाद सभी लोग सोने की तैयारी कर रहे थे, तभी अचानक नक्सलियों का एक बड़ा दल उनके घर में घुस आया। बिना किसी चेतावनी के हथियारबंद नक्सलियों ने ज्ञानेंद्र पर हमला कर दिया। दयालु राम जैन इस खौफनाक घटना को याद करते हुए कहते हैं, “उन्होंने मेरे बेटे को बिना किसी दया के कुल्हाड़ियों से काटना शुरू कर दिया।”

वैद्यराज ने अपने बेटे को बचाने की कोशिश की, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें भी बेरहमी से पीटा। नक्सलियों ने उन्हें और उनके बेटे को घर से बाहर खींचकर तीन किलोमीटर दूर सीसी रोड तक घसीटा। वैद्यराज की आंखों में आंसू भर आते हैं जब वे बताते हैं, “सीमेंट की सड़क पर घसीटने की वजह से मेरे पीठ की चमड़ी तक उतर गई थी। उन्होंने मुझे जिंदा छोड़ दिया, लेकिन मेरे बेटे को मेरी आंखों के सामने कुल्हाड़ी से काट डाला”।

अनाथ हो गए दो छोटे मासूम बच्चे

इस क्रूर घटना ने न केवल वैद्यराज के छोटे बेटे ज्ञानेंद्र सिंह जैन की जान ले ली, बल्कि उसके परिवार की खुशियों को भी छीन लिया। ज्ञानेंद्र के दो छोटे बच्चे, जो इस घटना के वक्त घर में ही थे, अब अनाथ हो गए। एक पिता, जो अपने बच्चों के भविष्य को संवारने के सपने देख रहा था, उसे नक्सलियों ने बर्बरता से खत्म कर दिया।

वैद्यराज का बड़ा बेटा अब परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए संघर्ष कर रहा है। बड़े बेटे के पास अब अकेले ही पूरे परिवार का खर्च उठाने की जिम्मेदारी आ गई है, जिसमें छोटे भाई के बच्चों का पालन-पोषण भी शामिल है। दयालु राम जैन ने टूटे हुए स्वर में कहा, “मेरे छोटे बेटे के जाने से हमारे घर का सहारा छिन गया। अब घर चलाने के लिए सिर्फ बड़ा बेटा ही बचा है, और वह भी इस बड़े सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा है।”

इलाज के लिए बिक गई संपत्ति

नक्सलियों द्वारा बेरहमी से पिटाई और सीमेंट की सड़क पर घसीटे जाने के कारण वैद्यराज की हालत गंभीर हो गई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां करीब दो महीने तक इलाज चला। इस इलाज ने परिवार की आर्थिक स्थिति को और भी बदहाल कर दिया। वैद्यराज बताते हैं, “इलाज के लिए हमारी सारी संपत्ति बिक गई। हमारे पास जो थोड़ी-बहुत जमीन थी, वह भी इलाज के खर्चों को पूरा करने में चली गई। अब हमारे पास न घर चलाने के लिए पैसा है, न ही कोई संपत्ति बची है।”

वैधराज का परिवार आर्थिक तंगी और भावनात्मक आघात से जूझ रहा है। ज्ञानेंद्र की मौत ने सिर्फ उनके घर का सहारा ही नहीं छीना, बल्कि उनके सपनों को भी चकनाचूर कर दिया। उनके दोनों छोटे बच्चों का भविष्य अब अंधकारमय हो गया है, क्योंकि उनका पालन-पोषण और शिक्षा एक चुनौती बन गई है।

न्याय और पुनर्वास की गुहार

वैद्यराज दयालु राम जैन आज भी इस दर्दनाक घटना को याद कर सिहर जाते हैं। उनका कहना है कि नक्सलियों ने न केवल उनके बेटे की हत्या की, बल्कि उनके पूरे परिवार को उजाड़ दिया। वैधराज ने कहा- “नक्सलियों के कारण मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो गया है। आज भी जब वह रात याद आती है, तो मुझे नींद नहीं आती”।

अब वैद्यराज सरकार से न्याय और पुनर्वास की गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि बस्तर में शांति वापस आए। हमें न्याय मिले और सरकार हमारे पुनर्वास की व्यवस्था करे।” वैधराज का परिवार न केवल आर्थिक रूप से बर्बाद हो गया है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी टूट चुका है।

नक्सली अत्याचार : बस्तर का कड़वा सच

वैद्यराज दयालु राम जैन का परिवार छत्तीसगढ़ के उन हजारों परिवारों में से एक है, जो नक्सली हिंसा का शिकार हुए हैं। बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों की बर्बरता की यह घटना एक और दुखद उदाहरण है। निर्दोष नागरिकों की जान लेना, उनके परिवारों को तबाह करना और उनके बच्चों को अनाथ बनाना, नक्सलियों के क्रूर एजेंडे का हिस्सा बन चुका है।

सरकार की तरफ से नक्सलियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन इन घटनाओं से यह साफ हो जाता है कि बस्तर में आज भी आम नागरिक नक्सलियों के आतंक के साए में जीने को मजबूर हैं।

आखिर कब खत्म होगा यह खौफ.?

वैद्यराज का दर्द इस बात की गवाही देता है कि नक्सलवाद ने बस्तर क्षेत्र के लोगों को किस हद तक तबाह किया है। यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि उन अनगिनत परिवारों की सच्चाई है, जो नक्सली आतंक का शिकार हुए हैं।

Topics: Bastar Naxal terrorVaidyaraj Dayalu Ram Jainmurder by Naxalitesबस्तर का दर्दNaxal problem Chhattisgarhनक्सली हिंसा छत्तीसगढ़कांकेर नक्सल हमलाबस्तर नक्सली आतंकनक्सलियों द्वारा हत्यानक्सल समस्या छत्तीसगढ़Pain of BastarNaxal violence ChhattisgarhKanker Naxal attackवैद्यराज दयालु राम जैन
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बस्तर में बड़ी सफलता : 1 करोड़ का इनामी नक्सली गाैतम उर्फ सुधाकर ढेर

बस्तर का दर्द

बस्तर का दर्द : पर्वत से भी बड़ी पीड़ा, कथित बुद्धिजीवी पहले से रिपोर्ट बनाकर आते थे

दयालु राम जैन (52 वर्ष)
गांव- कलारपारा, जिला- उत्तर बस्तर कांकेर

बेटे को आंखों के सामने काट डाला

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Loose FASTag होगा ब्लैकलिस्ट : गाड़ी में चिपकाना पड़ेगा टैग, नहीं तो NHAI करेगा कार्रवाई

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies