भारत मालदीव में ‘डिफेंस प्लेटफॉर्म और संपत्ति’ स्थापित करेगा। मुइज्जू सरकार ने अब इस बात को भी हरी झंडी दिखा दी है कि माले में भारत का रडार तंत्र स्थापित होगा और सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को दूर से देख लेगा। इस समझौते से अब मालदीव की नेशनल डिफेंस फोर्स की निगाहें चौकन्नी करने में भी भारत की बड़ी भूमिका रहने वाली है।
नवम्बर 2023 में मालदीव में राष्ट्रपति पद संभालते ही मोहम्मद मुइज्जू ने सबसे पहले चीन का दौरा करके साफ संकेत दिए थे कि वे अपने आका कम्युनिस्ट चीन के इशारे पर सरकार चलाएंगे और उसके इशारे पर विदेश संबंध बनाएंगे। भारत उस देश का परंपरागत मित्र रहा है और उसकी प्रगति में हमेशा योगदान देता आ रहा है। गत जनवरी में मुइज्जू सरकार के तीन मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर अशोभनीय टिप्पणियां करके दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा कर दी थी।
लेकिन इन दिनों नई दिल्ली के दौरे पर आए हुए मुइज्जू ने भारत की ताकत को पहचानते हुए मोदी के साथ चर्चा में ऐसे समझौते किए हैं जो चीन को संभवत: पसंद नहीं आएंगे। हिन्द महासागर के अलावा भारत माले में रडार तंत्र जमाने जा रहा है और विशेष बात यह कि मुइज्जू ने खुद इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई है।
कल जो मोदी के साथ मुइज्जू की चर्चा हुई और दोनों ने रक्षा सहयोग में विस्तार की सहमति दी उससे कई संकेत निकलते हैं। इस भेंट के दौरान भारत और मालदीव के बीच अन्य कई क्षेत्रों में सहयोग पर मुहर लगी है। रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण सहयोग यह हुआ है कि मालदीव की सेना को और सुघड़ और चुस्त और आधुनिक करने में कोई मदद करेगा तो वह भारत ही है। यह कदम चीन को जरूर चुभ रहा होगा, लेकिन इसके लिए वही मुइज्जू तैयार हैं जो चुनाव में भारत के सैनिकों को वापस करने की कसमें खाए हुए थे।
एक और समझौता हुआ है कि, भारत मालदीव में ‘डिफेंस प्लेटफॉर्म और संपत्ति’ स्थापित करेगा। मुइज्जू सरकार ने अब इस बात को भी हरी झंडी दिखा दी है कि माले में भारत का रडार तंत्र स्थापित होगा और सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को दूर से देख लेगा। इस समझौते से अब मालदीव की नेशनल डिफेंस फोर्स की निगाहें चौकन्नी करने में भी भारत की बड़ी भूमिका रहने वाली है। मालदीव को ‘रडार तंत्र तथा दूसरे उपकरण’ भारत देने वाला है।
वैसे आज से नहीं, भारत ऐतिहासिक रूप से मालदीव की विकास और रक्षा योजनाओं में मदद के लिए हर वक्त मौजूद रहा है। काफी पैसा भी लगाया है और कर्ज भी दिया है। कुछ समय पहले भारत के विदेश मंत्री जयशंकर माले गए थे और उन्होंने उस देश के विकास में प्रधानमंत्री मोदी की विशेष दिलचस्पी का हवाला देते हुए कर्ज वापसी की सीमा बढ़ाने की घोषणा की थी।
हिन्दू महासागर को लेकर भी मुइज्जू का रुख सकारात्मक रहा है। उन्होंने कहा भी है कि वे भारत की सुरक्षा चिंताओं को अनदेखा नहीं करेंगे और किसी भी देश को अपनी धरती भारत विरोध गतिविधियों के लिए प्रयोग नहीं करने देंगे। मोदी प्रसन्न हैं कि राष्ट्रपति मुइज्जू के साथ रक्षा—सुरक्षा सहयोग के विस्तार पर अच्छी चर्चा हुई।
इस प्रकार भारत ने मालदीव में अपना विस्तार करके कम्युनिस्ट चीन को साफ संकेत दे दिया है। भारत—मालदीव संयुक्त बयान बताता है कि मालदीव सरकार की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को देखते हुए अपनी समुद्री तथा सुरक्षा जरूरतों को आगे बढ़ाया जाएगा और भारत इसमें मददगार रहेगा।
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