UN में पहली बार गूंजी हिंदी : जैसे ही अटल जी ने कहा- 'सारा संसार एक परिवार', एकदम बदल गया पूरा माहौल
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

UN में पहली बार गूंजी हिंदी : जैसे ही अटल जी ने कहा- ‘सारा संसार एक परिवार’, एकदम बदल गया पूरा माहौल

आज यानी 4 अक्टूबर का दिन भारतियों के लिए गर्व करने वाला और ऐतिहासिक है। 4 अक्टूबर 1977 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री और पाञ्चजन्य के प्रथम संपादक श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने दुनिया को "वसुधैव कुटुम्बकम" की भारतीय अवधारणा से परिचित कराया, जो यह मान्यता देती है कि पूरा संसार एक परिवार है।

by SHIVAM DIXIT
Oct 3, 2024, 03:10 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

नई दिल्ली । यह तारीख भारतीय इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई जब तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से हिंदी में अपना पहला संबोधन दिया। यह वह समय था जब दुनिया शीत युद्ध की जटिलताओं में उलझी हुई थी, लेकिन भारत गुटनिरपेक्षता की नीति का प्रबल समर्थक बनकर उभर रहा था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 32वें सत्र में अटल जी ने न केवल भारत का पक्ष सशक्त रूप से रखा, बल्कि एक नया इतिहास भी रच दिया। यह पहली बार था जब किसी नेता ने यूएन के मंच पर हिंदी में भाषण दिया था।

अटल जी के इस ऐतिहासिक भाषण की शुरुआत में उन्होंने दुनिया को “वसुधैव कुटुम्बकम” की भारतीय अवधारणा से परिचित कराया, जो यह मान्यता देती है कि पूरा संसार एक परिवार है। उन्होंने परमाणु निरस्त्रीकरण जैसे गंभीर वैश्विक मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट किया और कहा, “भारत में सदा से हमारा विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है।” उनके इस वक्तव्य ने भारत की परंपरा और शांति की इच्छा को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित किया। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत सभी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और किसी भी देश पर प्रभुत्व स्थापित करने की इच्छा नहीं रखता।

अटल जी के करीब 43 मिनट के इस प्रभावशाली भाषण के बाद यूएन में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने खड़े होकर ताली बजाकर उनका स्वागत किया। इस भाषण ने न केवल हिंदी को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, बल्कि भारत की विदेश नीति और गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत को भी मजबूती प्रदान की।

अटल जी के भाषण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1977 का दौर वैश्विक राजनीति में उथल-पुथल का समय था। शीत युद्ध अपने चरम पर था, और दुनिया दो मुख्य गुटों में बंटी हुई थी—एक तरफ अमेरिका और दूसरी तरफ सोवियत संघ। भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाते हुए किसी भी गुट में शामिल होने से इंकार किया और सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करने का प्रयास किया। अटल जी के इस भाषण ने इस नीति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया।

संयुक्त राष्ट्र में हिंदी का पहला कदम

अटल जी का यह भाषण इसलिए भी खास था क्योंकि यह पहली बार था जब संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा में कोई संबोधन हुआ। उस समय संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएं अंग्रेजी, फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, रूसी और अरबी थीं। लेकिन अटल जी ने हिंदी में भाषण देकर न केवल अपनी भाषा के प्रति सम्मान दिखाया, बल्कि इसे वैश्विक मान्यता दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया।

अटल जी की विदेश नीति की दृष्टि

अटल जी का भाषण उस समय की भारत की विदेश नीति की एक झलक था, जिसमें गुटनिरपेक्षता, शांति, और सभी देशों के साथ समानता के सिद्धांत को महत्व दिया गया था। उनका यह भाषण संयुक्त राष्ट्र में भारत के बढ़ते प्रभाव और उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को दर्शाता है।

भाषण के बाद की प्रतिक्रियाएं

अटल जी के इस भाषण के बाद, यूएन में उपस्थित विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने इसे बेहद सराहा। भाषण के अंत में खड़े होकर तालियों से उनका स्वागत किया गया। यह न केवल भारत की एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत थी, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि हिंदी भाषा अब वैश्विक मंच पर भी अपनी जगह बना रही है।

हिंदी का वैश्विक प्रभाव

अटल जी के इस भाषण के बाद से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली। यह भाषण न केवल भारतीयों के लिए गर्व का विषय बना, बल्कि हिंदी भाषियों के लिए भी एक प्रेरणा बना, जिससे उन्हें गर्व महसूस हुआ कि उनकी भाषा अब वैश्विक मंच पर भी मान्यता प्राप्त कर रही है।

4 अक्टूबर 1977 को अटल जी द्वारा दिया गया यह ऐतिहासिक भाषण भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में अंकित है। यह न केवल भारत की कूटनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करता है, बल्कि हिंदी भाषा को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संयुक्त राष्ट्र में वाजपेयी का हिंदी में भाषण आज भी एक प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

Topics: United Nations General AssemblyAtal ji's foreign policyसंयुक्त राष्ट्र महासभाVasudhaiva Kutumbakam during the Cold WarVasudhaiva KutumbakamHindi speech at United Nationsवसुधैव कुटुम्बकमHindi speech on global platformयूएन में हिंदी का पहला भाषण4 October specialअटल जी की विदेश नीतिशीत युद्ध के समय वसुधैव कुटुम्बकमसंयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषणवैश्विक मंच पर हिंदी भाषणअटल बिहारी वाजपेयी4 अक्टूबर विशेषatal bihari vajpayeefirst speech in Hindi at UN
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Unknown facts about indus water treaty

सिंधु जल समझौते का अनजाना पक्ष

भाजपा कार्यकर्ता (फाइल फोटो)

भाजपा स्थापना दिवस: लोकमंगल के संकल्प की यात्रा

छत्तीसगढ़ में लाभार्थी से बात करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अपनी सभी गारंटियों को कर रही पूरा, हमारा संकल्प है- हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे : पीएम मोदी

RSS organisation

धर्म जागरण, समन्वय और संस्कारों का रोपण

पथ संचलन करते स्वयंसेवक

संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो…

समागम में उपस्थित संत

‘न हिंदू पतितो भवेत’ का उद्घोष

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies