जिस रात नक्सली गौतरियाराम को घर से उठाकर ले गए और उन्हें गोली मारी थी, उसी रात अमाकढ़ गांव के ही नक्सलियों ने महेश वासुदेव पर भी जानलेवा हमला किया था।
यह घटना 14 अगस्त देर शाम लगभग 8:30 बजे की है। उस समय हल्की बारिश हो रही थी। वासुदेव पत्नी और बच्चों के साथ घर में टीवी देख रहे थे। तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने हथियारों से लैस नक्सली खड़े थे। दरवाजा खोलते ही नक्सली घर में घुस गए और महेश वासुदेव को तीन गोलियां मारीं। वे गिर पड़े। नक्सलियों को लगा की महेश की मौत हो गई ।
वे वहां से चले गए। सौभाग्य से वे बच तो गए, लेकिन कंधे, छाती और जांघ में गोली लगने के कारण वे 70 प्रतिशत विकलांग हो गए हैं। अब परिवार के समक्ष रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने जीवन भर जो कमाया वह इलाज में खर्च पर खर्च हो गया।
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