37 वर्षीय केदारनाथ कश्यप गांव मर्दापाल, जिला कोंडागांव के रहने वाले हैं। ये और इनके बड़े भाई रूपेंद्र कश्यप अनाज के व्यापारी थे। इनके घर से कुछ ही दूरी पर मटवाल गांव है, जहां साप्ताहिक बाजार लगता है। एक दिन ये दोनों भाई साप्ताहिक बाजार के दौरान बैठकर बाम कर रहे थे, तभी वहां नक्सली आए।
नक्सलियों ने रूपेंद्र के नाम से पर्चा निकाल रखा था। अभी दोनों भाई कुछ कर पाते उतने में ही नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। रूपेंद्र की पीठ और कंधे पर तीन गोलियां लगीं। एक गोली उनकी कोहनी से टकराकर केदारनाथ की जांघ में घुस गई।
इसके बावजूद केदारनाथ भागने में सफल रहे, लेकिन रूपेंद्र को उन्होंने पकड़ लिया। गोली लगने के बावजूद नक्सलियों को भरोसा नहीं हुआ कि रूपेंद्र मर गए हैं। इसलिए उन्होंने चाकू से उनके आमाशय को निकाल दिया। जांघ में गोली लगने से केदारनाथ दिव्यांग हो गए।
फिर भी उन्होंने कारोबार शुरू करने का मन बनाया, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। आज उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। जैसे-तैसे परिवार का गुजारा हो रहा है। जानते हैं नक्सलियों ने ऐसा क्यों किया? नक्सलियों को शक था कि ये दोनों भाई पुलिस की मुखबिरी करते थे।
टिप्पणियाँ