नक्सली कितने बर्बर होते हैं, उसका अंदाजा आम लोगों को नहीं है। ये लोग किसी को मारने के लिए उसके घर पर भी बम लगा देते हैं। इन लोगों ने गांव कलेपाल, जिला बस्तर के निवासी पीलूराम कश्यप के साथ ऐसा ही किया।
25 वर्षीय पीलूराम ने होश संभालते ही खेती-किसानी शुरू कर दी थी। बाद में उनके कंधों पर ही पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी आ गई। वे धान, तिल जैसी कुछ पारंपरिक फसलों की खेती से परिवार का पालन करने लगे, लेकिन उन पर नक्सलियों की नजर लग गई।
6 नवंबर, 2019 को वे मिसाई (धान की बालियों से धान अलग करने की प्रक्रिया) के लिए अपने पुराने कमरे में जा रहे थे, तभी वहां जोरदार धमाका हो गया। पीलूराम के दाहिने हाथ और दोनों पैरों में गंभीर चोट आई! वे बुरी तरह घायल हो गए।
इलाज चला, जान बच गई। लेकिन उस दुर्घटना के बाद वे खेती-किसानी करने लायक नहीं रह गए हैं। कल्पना करिए उनके परिवार के साथ क्या बीत रही होगी?
अब उनके जीवन के आगे अंधेरा ही अंधेरा है। पीलूराम कहते हैं, ‘‘सदैव निराशा छाई रहती है। सबसे बड़ा सवाल है परिवार का गुजर-बसर कैसे होगा, कौन करेगा हमारी मदद?’’
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