यह भगवान की कृपा ही है कि 64 वर्षीय जोगा माड़वी आज भी हम लोगों के बीच हैं। ये जिला दंतेवाड़ा के एक गांव अरनपुर के रहने वाले हैं। उनके साथ जो हुआ है, वह बहुत ही दर्दनाक है। नक्सलियों ने उन पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप लगाया था।
इसके बाद उन्हें तब तक मारा गया जब तक कि वे बेहोश होकर गिर नहीं गए। यह घटना 21 जुलाई, 2020 की है। देर रात 25-30 हथियारबंद वर्दीधारी माओवदियों ने गांव में प्रवेश किया। उन लोगों ने जोगा माड़वी समेत कुल छह लोगों को घर से बाहर निकलने का फरमान सुनाया।
इस फरमान का अनादर करने का साहस कोई नहीं कर सकता था। इस कारण ये लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकले। माओवादी सभी को पास के ही नहाड़ी जंगल में ले गए। जोगा माड़वी बताते हैं, ‘‘वहां माओवादियों ने कहा कि तुम लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर दो महिला नक्सलियों को पकड़वाया है।’’
माओवादियों की कथित जनताना अदालत (जन अदालत) में आरोपी को सफाई देने या अपना पक्ष रखने का कोई अवसर नहीं दिया जाता है। उनके आरोप ही दोषसिद्धि के प्रमाण हैं। यही कारण है कि आरोप लगाने के बाद नक्सलियों ने उन सभी को मारना शुरू कर दिया।
जोगा बताते हैं, ‘‘मैं कैसे बचा, यह नहीं पता। बेहोश होने से पहले मैंने देखा कि मेरे दो पड़ोसियों की बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी।’’ ये सब बताते-बताते उनकी आंखें डबडबा गर्इं। वे कहते हैं, ‘‘नक्सली निर्दोष लोगों की हत्या करने में अपनी शान समझते हैं। ऐसी घातक सोच रखने वालों का अस्तित्व मिटाना ही होगा।’’
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