छत्तीसगढ़

नक्सलियों ने नहीं कराने दिया इलाज

Published by
Sudhir Kumar Pandey

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के कचीलवार गांव के गुड्डूराम लेकाम मिर्च तोड़ने की मजदूरी करते थे। तेलंगाना के चेरला में काम कर वे अपने दोस्त दोन के साथ गांव लौट रहे थे। 11 मार्च, 2024 की काली शाम उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदलने वाली थी।

पैदल चलकर लगभग 24 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए दोन और गुड्डूराम रविवार की शाम करीब 7 बजे अपने गांव पहुंचने ही वाले थे कि एक जोरदार धमाका हुआ। गुड्डूराम ने अनजाने में नक्सलियों द्वारा बिछाई गई आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) पर पैर रख दिया था।

यह आईईडी सुरक्षाबलों के लिए बिछाई गई थी। धमाके में गुड्डूराम के दाएं पैर के चिथड़े हो गए। उनके दोस्त ने जैसे-तैसे उसे उठाने की कोशिश की। लेकिन मदद पाने का कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि नक्सलियों ने अपने इलाकों में किसी भी तरह की चिकित्सा सहायता लेने पर मनाही कर रखी थी।

नक्सली आतंक ने न केवल सुरक्षा बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को भी जकड़ रखा था। गुड्डूराम को 17 दिन तक बिना उचित इलाज के दर्द सहना पड़ा। अंतत: समय पर उचित इलाज न मिलने की वजह से और पैर में इंफेक्शन फैलने की वजह से 28 मार्च 2024 को गुड्डूराम के दायें पैर को काटना पड़ा।

गुड्डूराम की मां की आंखें अपने बेटे की इस हालत को देखकर कभी सूख ही नहीं पातीं। वे लगातार सोचती रहती हैं कि अगर उनका बेटा नक्सल प्रभावित इलाके से बाहर होता, तो शायद आज ठीक-ठाक होता, अपने पैरों पर खड़ा होता।

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