ब्रैम्पटन (कनाडा) । कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में फिलिस्तीन समर्थकों द्वारा महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दो नकाबपोश लोग प्रतिमा पर फिलिस्तीन का झंडा लगाते दिख रहे हैं। घटना के दौरान फिलिस्तीन समर्थक रैली निकाल रहे थे, और इसी बीच उन्होंने इस शर्मनाक हरकत को अंजाम दिया।
यह घटना कई लोगों के लिए चौंकाने वाली है, क्योंकि महाराजा रणजीत सिंह को केवल सिख समुदाय ही नहीं, बल्कि और समुदायों द्वारा भी सम्मानित किया जाता है। उन्हें ‘पंजाब का शेर’ के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अफगान आक्रमणों को सफलतापूर्वक रोका और एक मज़बूत सिख साम्राज्य की स्थापना की।
महाराजा रणजीत सिंह कौन थे?
महाराजा रणजीत सिंह सिख साम्राज्य के संस्थापक और पहले शासक थे, जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया था। उनकी बहादुरी, नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक कुशलता के कारण उन्हें व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। उनके शासनकाल में सिख, हिंदू, मुस्लिम, और यूरोपीय सभी समुदायों का संतुलित प्रतिनिधित्व था। वे ब्रिटिश विस्तार और अफगान आक्रमणों के खिलाफ एक मज़बूत दीवार बने रहे। रणजीत सिंह की जीवनी उन्हें भारत के इतिहास के महानतम नेताओं में शामिल करती है।
खालिस्तानी समर्थकों की चुप्पी पर सवाल
इस घटना ने खालिस्तानी समर्थकों की चुप्पी को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कट्टरपंथी खालिस्तानी, जो अक्सर भारत विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय रहते हैं, इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा की गई इस घटना पर मौन साधे हुए हैं। वहीं, वे हमास समर्थकों के प्रति अपना भाईचारा दिखाने में भी पीछे नहीं रहते। खालिस्तानी समर्थक जो अक्सर भारत के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं, आज इस्लामिक कट्टरपंथियों की इस शर्मनाक हरकत पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से भी बच रहे हैं। यह चुप्पी उनके दोहरे मापदंड को उजागर करती है।
क्या कहना है भारतीय समुदाय का?
भारतीय समुदाय ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और कनाडाई अधिकारियों से सख्त कार्रवाई की मांग की है। समुदाय का मानना है कि महाराजा रणजीत सिंह जैसी महान हस्तियों की प्रतिमाओं का अपमान न केवल भारतीय इतिहास और संस्कृति का अपमान है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द्र भी प्रभावित होता है।
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