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Google का 26 साल का सफर: कैसे बना दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन?

Published by
योगेश कुमार गोयल

गूगल (Google) ने पिछले कुछ वर्षों में अपना दायरा बहुत बढ़ा दिया है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि गूगल पर अब किसी भी प्रश्न का उत्तर दो-चार नहीं बल्कि 150 से भी अधिक भाषाओं में तलाशा जा सकता है। यही नहीं, गूगल दुनियाभर के 190 से भी अधिक देशों को अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। आज के आधुनिक और तकनीकी युग में ‘स्मार्ट’ होती दुनिया में गूगल के बिना लोगों के बेहतर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। शायद ही कोई ऐसी जानकारी हो, जो गूगल के पास उपलब्ध न हो। गूगल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह स्वयं को अपडेट रखने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ नया करता रहता है और पिछले कुछ वर्षों में ऐसी अनेक नई और अनोखी तकनीकें लेकर आया है, जो दुनिया को लगातार हाईटेक बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) के जरिए गूगल हमारी तमाम पसंद-नापसंद तक की जानकारी हासिल कर रहा है। गूगल अब न केवल हमें सभी प्रकार की जानकारियों से अपडेट रखता है बल्कि हमारे हमराज की भूमिका में भी तेजी से उभर रहा है। दरअसल अब गूगल यह भी जानता है कि हम किस समय कहां हैं और क्या कर रहे हैं। गूगल आज न केवल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है बल्कि आज यह कम्पनी ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर मोबाइल डिवाइस तक बना रही है।

गूगल की शुरूआत एक सर्च इंजन के रूप में हुई थी और 27 सितम्बर को गूगल ‘डूडल’ के जरिए अपनी 26वीं जन्म वर्षगांठ मना रहा है। इन 26 वर्षों में गूगल अब पूरी तरह बदल चुका है, जो आज इंटरनेट का सबसे बड़ा सर्च इंजन है। उसने इतनी सारी नई-नई तकनीकें और प्रोडक्ट लांच किए हैं कि वह चंद वर्षों में ही विश्वभर में लोगों का पल-पल का साथी बन गया है। किसी भी व्यक्ति के मन में जब भी कोई सवाल उमड़ता है तो वह प्रायः गूगल का ही सहारा लेता है। हमें आज जो कुछ भी सर्च करना होता है, गूगल पर जाकर तुरंत सर्च कर लेते हैं बल्कि आजकल तो गूगल वाइस असिस्टेंट के जरिये बोलकर भी अपनी जिज्ञासा का समाधान हासिल कर लेते हैं। यही कारण है कि गूगल को ‘इंटरनेट की दुनिया का सबसे बड़ा हथियार’ भी कहा जाता है। स्थान, मौसम, देश-दुनिया तथा स्थानीय स्तर की तमाम खबरों सहित गूगल हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जानकारियों का खजाना समेटे रहता है। आकाश से लेकर पाताल तक और सुई से लेकर हवाई जहाज तक के बारे में सर्च इंजन गूगल तमाम जानकारियों का पिटारा एक क्लिक में ही खोलकर सामने रख देता है।

विश्व के किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति के जन्मदिन या पुण्यतिथि के बारे में जानकारी चाहिए या विश्वभर में मनाए जाने वाले विभिन्न दिवसों की तारीख पता करनी हो तो गूगल के जरिये ये तमाम जानकारियां हमें तुरंत प्राप्त हो जाती हैं किन्तु गूगल के संबंध में सबसे आश्चर्यजनक और चौंका देने वाला तथ्य यही है कि भले ही अब गूगल का जन्मदिन प्रतिवर्ष 27 सितम्बर को मनाया जाता है और गूगल अब अधिकारिक रूप से 26 वर्ष का हो गया है लेकिन गूगल स्वयं अपने जन्मदिन और इसकी तारीख को लेकर भ्रमित है। दरअसल इसका जन्मदिन तो सितम्बर माह में ही माना जाता रहा है किन्तु इसकी तारीख और सन् अलग-अलग सामने आता रहा है। देखा जाए तो रिसर्च परियोजना के तहत यह जनवरी 1996 में ही अस्तित्व में आ गया था, उस लिहाज से इसकी उम्र 28 वर्ष से भी अधिक मानी जा सकती है। अगर इसके डोमेन रजिस्ट्रेशन के आधार पर देखा जाए तो चूंकि इसका डोमेन 15 सितम्बर 1997 को रजिस्टर कराया गया था, उस आधार पर इसकी आयु 27 वर्ष हो जाती है और अगर एक कम्पनी के रूप में गूगल की स्थापना की बात की जाए तो इसकी स्थापना चूंकि 4 सितम्बर 1998 को हुई थी, अतः यह इस वर्ष 4 सितम्बर को ही 26 वर्ष का हो गया।

बात करें गूगल द्वारा 4 सितम्बर के बजाय 27 सितम्बर को ही अपना जन्मदिन मनाए जाने का निर्णय लेने की तो 27 सितम्बर 2002 को सबसे पहले गूगल के बर्थ-डे डूडल का इस्तेमाल किया गया था और वर्ष 2004 में गूगल जब अपना छठा जन्मदिन मना रहा था, तब उसका बर्थ-डे डूडल दुनियाभर में 7 सितम्बर को ऑनलाइन किया गया था। वर्ष 2006 से गूगल ने 27 सितम्बर को अपना जन्मदिन मनाना शुरू किया जबकि उससे पहले उसने 26 सितम्बर को अपना जन्मदिन मनाया था। अपने जन्मदिन की अलग-अलग तारीखों में कंफ्यूजन के चलते ही गूगल ने अपने जन्मदिन की तारीख 27 सितम्बर ही निर्धारित कर दी और इसका कारण यही माना जाता है कि इसी दिन वर्ष 2002 में गूगल ने पहली बार अपने बर्थ-डे डूडल का इस्तेमाल किया था। बीते 26 वर्षों में गूगल में बहुत सारे बदलाव आए हैं लेकिन इस दौरान एक चीज जो नहीं बदली, वह है गूगल का ‘डूडल’। गूगल ने हर विशेष अवसर पर डूडल बनाकर न सिर्फ लोगों का मनोरंजन किया बल्कि उनसे संबंधित अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां भी दुनिया के साथ साझा की। गूगल अब तक न जाने कितने ही डूडल बना चुका है और उनमें से कुछ ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने लोगों के दिलों पर राज किया है।

गूगल काम कैसे करता है, यह जानना भी जरूरी है। यूआरएल की मदद से हम इंटरनेट पर कुछ भी सर्च कर सकते हैं लेकिन अगर यूआरएल नहीं हो तो सर्च इंजन की जरूरत पड़ती है। सर्च इंजन हमारे द्वारा दिए गए की-वर्ड्स के जरिये हमें अपेक्षित जानकारी या वेबसाइट तक पहुंचाता है। गूगल का ‘वेब क्रॉलर’ सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर मौजूद सभी वेब पेजों को देखता है और उनमें मौजूद लिंक तथा डाटा को गूगल सर्वर पर भेजता है, जिसके बाद इस डाटा की इंडेक्सिंग की जाती है और सभी वेब पेजों के डाटा को सर्च इंजन पर भेज दिया जाता है। हम गूगल पर जैसे ही किसी चीज को सर्च करते हैं, गूगल का एल्गोरिदम उस शब्द का विश्लेषण कर सर्वर में मौजूद अरबों वेब पेजों में से हमारे लिए उपयोगी जानकारी निकालकर हमारे समक्ष प्रस्तुत कर देता है।

प्रतिदिन हम सब गूगल का उपयोग तो करते हैं लेकिन क्या हम यह भी जानते हैं कि गूगल ‘सर्च इंजन’ कैसे अस्तित्व में आया और इसकी शुरूआत कब, कैसे और किसने की? स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो छात्र लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन सन् 1995 में पीएचडी कर रहे थे, गूगल की शुरूआत उन्होंने ही पीएचडी के अपने इसी प्रोजेक्ट के तौर पर की थी। उन्होंने गूगल.स्टैनफोर्ड.ईडीयू एड्रेस पर एक इंटरनेट सर्च इंजन बनाया, जिसे पहले ‘बैकरब’ नाम दिया गया लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर ‘गूगल’ कर दिया गया। यहीं से गूगल की शुरूआत हुई। लैरी पेज व सर्गेई ब्रिन का ‘गूगल’ को अस्तित्व में लाने का उद्देश्य दुनियाभर की उपयोगी जानकारियां लोगों तक पहुंचाना था। 15 सितम्बर 1997 के दिन का गूगल के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसी दिन लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने गूगल के लिए डॉट कॉम अर्थात् ‘गूगल.डॉटकॉम’ का डोमेन रजिस्टर कराया था और दोनों ने मिलकर 4 सितम्बर 1998 को गूगल को एक कम्पनी के रूप में रजिस्टर कराया, जिसके बाद ही पूरी दुनिया में इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति आई। लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने गूगल कम्पनी की शुरूआत अपनी दोस्त सुजैन वोजकिकी के गैराज में की थी, जो उस समय गूगल की पहली कर्मचारी थी और बाद में यूट्यूब की सीईओ बनी।

1998 में जब गूगल की शुरूआत की गई थी, तब पूरे वर्ल्ड वाइड वेब पर करीब ढ़ाई करोड़ पेज मौजूद थे, उस समय गूगल का एल्गोरिदम शानदार था। तब कुछ भी सर्च करने पर इन ढ़ाई करोड़ पेजों से जानकारी मिल जाती थी लेकिन आज गूगल के पास हर प्रकार की जानकारियों का अरबों पेजों का अथाह भंडार है, जिसमें से आप अपने मतलब की कोई भी जानकारी चुटकियों में हासिल कर सकते हैं। गूगल आज दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में से एक है, जिसे इस क्षेत्र में न अब तक कोई टक्कर दे पाया है और न ही आने वाले वर्षों में इसकी कोई संभावना दिखती है। हालांकि कहा जाता है कि शुरूआती दिनों में मुनाफा न हो पाने के चलते गूगल के संस्थापकों ने 1999 में इस कम्पनी को बेचने के लिए एक्साइट कम्पनी के सीईओ जॉर्ज बेल से मुलाकात कर इसे एक मिलियन डॉलर में बेचने की पेशकश की थी किन्तु जॉर्ज बेल ने वह ऑफर ठुकरा दिया था। किस्मत का खेल देखिये कि गूगल के दोनों मालिक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन जिस ‘गूगल’ को बेच देना चाहते थे, उसी गूगल की बदौलत आज वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शुमार हैं।

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