MUDA जमीन घोटाले के मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इसी क्रम में कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को सीएम सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही राज्यपाल के द्वारा दिए गए आदेश के तहत अब सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की जाएगी।
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दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया राज्यपाल ने उनके खिलाफ जांच को दी गई मंजूरी के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनकी इसी याचिका पर जस्टिस नागप्रसन्ना की एक पीठ ने अपने फैसले कहा कि अभियोजन की मंजूरी का आदेश राज्यपाल द्वारा अपने विवेक का प्रयोग करने से प्रभावित नहीं है। सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत उनके खिलाफ जांच और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति देने की वैधता पर सवाल उठाया।
उल्लेखनीय है कि मुडा साइट आवंटन मामले में आरोप यह है कि मैसूर के एक हाई वैल्यु एरिया में सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को गलत तरीके से साइटों का आवंटन किया गया। उन्हें 16 अगस्त को प्रदेश के राज्यपाल ने शिकायतकर्ता प्रदीप कुमार एस.पी., टी.जे. अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में विस्तृत कथित अपराधों के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मंजूरी दी थी।
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क्या है MUDA भ्रष्टाचार
गौरतलब है कि मुडा जो है प्रदेश स्तरीय डेवलपमेंट एजेंसी है, जो कि शहरी और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे का विकास करना है। 50:50 नाम की इस योजना में जो भी लोग अपनी जमीन को खो दिए थे, जिन्हें विकसित भूमि के 50 फीसदी जमीन के हकदार होते थे। 2020 में ही इस योजना को भाजपा के कार्यकाल के दौरान बंद कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि इस योजना को 2009 में ही लागू किया गया था।
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