चाइल्ड पोर्न देखना है अपराध : सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया 'इसे चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी' न कहा जाए'
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

चाइल्ड पोर्न देखना है अपराध : सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया ‘इसे चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी’ न कहा जाए’

सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि चाहे व्यक्ति अपने लिए देखे या किसी और को दिखाने के लिए डाउनलोड करे, ऐसी किसी भी सामग्री का होना पॉक्सो के अंतर्गत दंडनीय अपराध है, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए भी दूसरे शब्द का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया

by सोनाली मिश्रा
Sep 23, 2024, 03:42 pm IST
in भारत
भारत का सुप्रीम कोर्ट

भारत का सुप्रीम कोर्ट

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सर्वोच्च न्यायालय ने आज मद्रास उच्च न्यायालय के उस निर्णय को पलट दिया, जिसमें चाइल्ड पोर्न को अकेले में देखने को अपराध नहीं बताया गया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने एक आरोपी को इस आधार पर दोषमुक्त कर दिया था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी को अकेले में देखना अपराध नहीं है, जब तक कि वह किसी और को नहीं दिखा रहा है। 13 सितंबर 2023 को अपने एक निर्णय में मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति चाइल्ड पोर्न देख रहा है तो वह अपराध नहीं है, मगर वह यदि डाउनलोड करके किसी और को दिखा रहा है तो वह अपराध है।

इसके विरोध में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलाइन्स एवं नई दिल्ली के बचपन बचाओ आंदोलन संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय के विरुद्ध याचिका दायर की थी और इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने निर्णय को सुरक्षित रख लिया था। मद्रास उच्च न्यायालय ने इसे पॉक्सो के अंतर्गत दंडनीय नहीं माना था और कहा था कि जब तक व्यक्ति की नीयत इसे किसी और जगह देने की नहीं है, तब तक उसे पॉक्सो के अंतर्गत दंड नहीं दिया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस निर्णय के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय ने निर्णय को गंभीर त्रुटि कहा। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति ऐसी सामग्री को न ही हटाता है और न ही रिपोर्ट करता है तो यह उसकी इस मंशा को दिखाता है कि वह इस सामग्री को आगे भेजेगा। न्यायालय ने कहा कि यदि आरोपी सामग्री को मिटाने में, हटाने में या फिर रिपोर्टिंग करने में विफल रहता है तो मूलभूत तथ्य उसकी मानसिक स्थिति को बताने के लिए पर्याप्त है और वह प्राथमिक रूप से प्रमाणित होती है।

लाइव लॉ के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मंशा परिस्थितियों से निकाली जानी चाहिए। जस्टिस पारदीवाला ने निर्णय के निष्कर्ष को सुनाते हुए कहा कि POCSO की धारा 15 में तीन अलग-अलग अपराधों का प्रावधान है, जो धारा की उप-धाराओं में निर्दिष्ट किसी भी तरह के प्रसारण, प्रदर्शन आदि के इरादे से किसी भी बाल पोर्नोग्राफ़िक सामग्री के भंडारण या स्वामित्व पर दंड देते हैं। यह एक अपूर्ण अपराध की प्रकृति और रूप में है, जो किसी बच्चे से जुड़ी किसी भी पोर्नोग्राफ़िक सामग्री के भंडारण या स्वामित्व पर दंड प्रदान करता है, जब ऐसी सामग्री का भंडारण वास्तविक प्रसारण, प्रसार आदि की आवश्यकता के बिना उसके तहत निर्धारित विशिष्ट इरादे से किया जाता है।

अर्थात सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि चाहे व्यक्ति अपने लिए देखे या किसी और को दिखाने के लिए डाउनलोड करे, ऐसी किसी भी सामग्री का होना पॉक्सो के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआर दर्ज होने से पहले सामग्री को मिटाना यह नहीं बताता कि अपराध नहीं हुआ था। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति इस मामले में गिरफ्तार किया जाता है तो उसका अपराध इस कारण माफ नहीं हो सकता कि उसने चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी देखने और स्टोर करने के बाद एफआईआर दर्ज होने से पहले ही उसे डिलीट कर दिया था।

चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी शब्द का प्रयोग न किया जाए

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि संसद कोई अध्यादेश लाकर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी जैसे शब्द में परिवर्तन करे। चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के स्थान पर “चाइल्ड सेक्शुअल एक्सप्लोईटेटिव एंड अब्यूसिव मटीरियल” (बाल यौन शोषण एवं उत्पीड़न सामग्री) करने के लिए संशोधन लेकर आएं। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी न्यायालयों को यह निर्देश दिया कि वे “चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी” शब्द का प्रयोग न करें।
सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्देश बाल शोषण को परिभाषित करने की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी नाम का कोई शब्द हो ही नहीं सकता है। बच्चों को यह पता ही नहीं होता है कि उनके साथ दरअसल हो क्या रहा है और यदि धोखे से उनके साथ कुछ किया जाता है और उसका वीडियो बनाया जाता है तो वे शोषण के अंधे कुएं में धकेल दिए जाते हैं। ऐसे में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी कहीं न कहीं उनके साथ किये जा रहे शोषण और उत्पीड़न को, उनकी पीड़ा की गंभीरता और व्यापकता को उचित तरीके से नहीं बता सकता है। क्योंकि पोर्नोग्राफ़ी शब्द ग्रीक शब्द पोर्नोग्राफिक से आया है, जिसका अर्थ होता है वैश्याओं के विषय में लिखना। परंतु बच्चे इस श्रेणी में नहीं आते हैं, उनके साथ तो जो होता है वह शोषण के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। ऐसा भी देखा गया है कि जब सरकार की ओर से पोर्नोग्राफ़ी आदि पर प्रतिबंध लगाने की बात की जाती है तो वह वर्ग जो महिलाओं और बच्चियों के जीवन का ठेकेदार बनता है, वह यह कहते हुए आगे आता है कि अब सरकार यह तय करेगी कि हम अपने बंद कमरे में क्या देखें और क्या न देखें? परंतु जो आदतें बंद कमरे में विकृतियाँ उत्पन्न करें और फिर उसके कारण बाहर हानि हो तो यह निर्धारित करना शासन और न्यायपालिका का कर्तव्य हो जाता है कि बंद कमरे में क्या देखा जाए और क्या नहीं!

Topics: सर्वोच्च न्यायालयसुप्रीम कोर्टचाइल्ड पोर्नोग्राफीपॉक्सो एक्टचाइल्ड पोर्न
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सुप्रीम कोर्ट

वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर जस्टिस गवई की बेंच करेगी सुनवाई, चीफ जस्टिस खन्ना 13 मई को हो रहे सेवानिवृत 

सुप्रीम कोर्ट

“बेहद गंभीर वक्त है, सेना का मनोबल न गिराएं”, पहलगाम आतंकी हमले पर सुनवाई से SC का इनकार, लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट

पेगासस से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल गलत नहीं : SC

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: शरिया अदालत और फतवे कानूनी रूप से अमान्य

सुप्रीम कोर्ट

OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट बैन की मांग, नेटफ्लिक्स, उल्लू, ट्विटर, मेटा, ऑल्ट बालाजी, गूगल को नोटिस

बलात्कारी पास्टर बजिंदर एक और यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार, पहले से ही काट रहा उम्रकैद की सजा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies