नई दिल्ली मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के नेपानगर में सेना की स्पेशल ट्रेन को विस्फोटक से उड़ाने की साजिश विफल कर दी गई। यह ट्रेन जम्मू-कश्मीर से कर्नाटक जा रही थी और इसमें सेना के जवान, अधिकारी और हथियार थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, 18 सितंबर 2024 को दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर नेपानगर के पास रेलवे ट्रैक पर 10 डेटोनेटर बिछाए गए थे, ताकि ट्रेन को निशाना बनाया जा सके। हालांकि, ट्रेन के पहुँचने से पहले ही कुछ डेटोनेटर फट गए, जिससे रेलवे अधिकारी और लोको पायलट सतर्क हो गए। इसके बाद ट्रेन को सागफाटा स्टेशन पर रुकवा दिया गया और सुरक्षा बढ़ा दी गई।
घटना का विवरण
यह घटना 18 सितंबर की है, लेकिन इसकी जानकारी अब सामने आई है। सागफाटा से डोंगरगाँव के बीच रेलवे ट्रैक पर डेटोनेटर बिछाए गए थे। ये डेटोनेटर एक से डेढ़ फीट की दूरी पर रखे गए थे, ताकि ट्रेन के गुजरने पर लगातार धमाके हों और ट्रेन पलट जाए। आर्मी की यह स्पेशल ट्रेन खंडवा होते हुए तिरुवनंतपुरम जा रही थी, जब ट्रेन ने डेटोनेटर के संपर्क में आकर विस्फोट की आवाज सुनी। लोको पायलट ने ट्रेन तुरंत रोक दी और नेपानगर के स्टेशन मास्टर को इसकी सूचना दी।
नेपानगर कंट्रोल रूम से सागफाटा स्टेशन को अलर्ट कर दिया गया। इसके बाद ट्रेन कुछ देर तक रुकी रही और फिर भुसावल की ओर रवाना हो गई। ट्रेन भुसावल पहुँचने के बाद भी घटना की रिपोर्ट स्टेशन मास्टर को दी गई। रेलवे और सुरक्षाबल तुरंत हरकत में आ गए और घटनास्थल पर पहुँचकर जांच शुरू की।
प्रारंभिक जांच और संदिग्धों की हिरासत
प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि पटरी पर बिछाए गए डेटोनेटर फ़ॉग डेटोनेटर थे, जिन्हें रेलवे द्वारा कुहासा के समय ट्रेन के लोको पायलट को सचेत करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि, इन डेटोनेटरों की वैधता समाप्त हो चुकी थी और इन्हें अज्ञात लोगों द्वारा पटरी पर रखा गया था। इस घटना के बाद पुलिस ने 4-5 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), आतंक निरोधी दस्ता (ATS), और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) समेत कई सुरक्षा एजेंसियाँ इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही हैं। इस साजिश के पीछे किस संगठन या समूह का हाथ है, इसका पता लगाया जा रहा है। आर्मी ने भी मामले की जांच में भाग लिया है और रेलवे के ट्रैकमैन और चाबीदार से पूछताछ की माँग की है।
रेलवे पर हमलों की बढ़ती घटनाएँ
यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि हाल के महीनों में देश भर में ट्रेनों को निशाना बनाने की कई साजिशों का पता चला है। 17 अगस्त 2024 को कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे, जिसमें लोको पायलट ने बताया था कि किसी चीज से ट्रेन के टकराने के बाद हादसा हुआ था। 8 सितंबर 2024 को प्रयागराज से भिवानी जा रही कालिंदी एक्सप्रेस को ट्रैक पर LPG सिलेंडर रखकर पटरी से उतारने की कोशिश की गई थी। इसके अलावा, 22 सितंबर को उत्तर प्रदेश के प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के पास भी एक खाली गैस सिलेंडर पाया गया, जिससे मालगाड़ी को रोका गया।
पिछले दो महीनों में ट्रेन दुर्घटनाओं की 23 साजिशों का खुलासा हो चुका है। सरकार इस तरह की घटनाओं पर सख्त रुख अपनाने के लिए रेलवे अधिनियम 1989 में संशोधन की योजना बना रही है, जिसमें दोषियों को अधिकतम 10 साल की सजा के साथ इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाकर मृत्युदंड का प्रावधान करने की तैयारी है।
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