ईरान में इस्लामिक कट्टरपंथ सबसे बड़ी समस्या है। वहां पर महिलाओं हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राष्ट्रपति मसूद पजेशकियन ने राष्ट्रपति बनने से पहले ईरान में वादा किया था कि वो ईरान में इस्लामिक कट्टरपंथ को खत्म करने के लिए काम करेंगें, लेकिन हो इसके ठीक उलट रहा है। पजेशकियान की पुलिस ईरान में हिजाब को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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ईरान इंटरनैशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति को यह तय करने की आवश्यकता है कि वे लाखों मतदाताओं के अलगाव का जोखिम उठाते हुए कट्टरपंथियों के नए हिजाब कानून को लागू किया जाए, या फिर इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार करके रुढ़िवादी प्रतिष्ठानों को चुनौती दी जाए। उल्लेखनीय है कि कट्टरपंथी सांसदों ने जिस हिजाब कानून को अंतिम रूप देने में सफलता हासिल की है, उस कानून के तहत अगर कोई महिला ईरान के सख्त हिजाब कानून का पालन नहीं करती है तो उस पर भारी नकद जुर्माना और जेल की सजा समेत कई तरह की सजाएं दी जाएंगी।
ब्रिटिश जर्नलिस्ट मरियम शिनाई द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि इसी सप्ताह कट्टरपंथी गार्जियन काउंसिल द्वारा कानून को मंजूरी दिए जाने का मतलब है कि अब राष्ट्रपति पजेशकियान को ये तय करने की आवश्यकता है कि नए कानून के कार्यान्वयन के लिए सरकारी संगठनों को आधिकारिक रूप से सूचित किया जाए या नहीं। संसद समेत दूसरे स्थानों पर कट्टरपंथी इस बात पर जोर देते हैं कि सभी सरकारी बलों को इसके कार्यान्वयन में सहयोग करना चाहिए।
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गौरतलब है कि सितंबर 2022 में हिजाब के नियमों का उल्लंघन करने के महसा अमिनी की हिरासत में मौत में ले लिया गया था। उन्हें हिजाब के नियमों का उल्लंघन करने के लिए उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे ईरान में महीनों तक विरोध और अशांति का कारण बनी थी।
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