अमेरिका का मानना है कि एक चीनी इंस्टीट्यूट ने शाहीन 3 तथा अबाबील मिसाइल प्रणालियों के लिए जिन्ना के देश को कल—पुर्जे दिलाए थे। पाकिस्तान अंदरखाने अपने बालिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में लगा हुआ है।
अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर उसने अपने यहां बालिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम जारी रखा हुआ है तो संभल जाए, हम उसे ऐसे प्रतिबंधों में जकड़ देंगे कि जिन्ना का देश याद रखेगा। अमेरिका के विदेश विभाग की तरफ से यह चेतावनी जारी की गई है। अमेरिका का संदेह है कि इस्लामी देश अपने आका चीन की मदद से लंबी दूरी की बालिस्टिक मिसाइलें बनाने में जुटा है। वाशिंगटन का कहना है कि वह पाकिस्तान के ऐसे किसी भी कार्यक्रम को अपना समर्थन न देने के फैसले पर डटा रहने वाला है।
पाकिस्तान को अमेरिका की इस फटाकर को उसके बालिस्टिक मिसाइल योजना के लिए एक कड़ा झटका माना जा रहा है। अमेरिका इस संदर्भ में स्पष्ट करता है कि उसने बड़े जानलेवा हथियारों को बनाने और उनके प्रसार के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया हुआ है और पाकिस्तान या अन्य किसी भी देश के लिए उसका यही रुख बना रहने वाला है। अमेरिकी विदेश विभाग का बयान है कि पिछले कुछ वर्ष से वह पाकिस्तान के ऐसे घातक मिसाइल कार्यक्रम को लेकर चिंतित रहा है।
वाशिंगटन से विदेश विभाग के प्रवक्ता का कहना है पाकिस्तान के ऐसे तमाम कार्यक्रमों के विरुद्ध अमेरिका के कड़े प्रतिबंध जारी रहेंगे। अगर आगे भी वह देश ऐसा करता है तो और कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसका उद्देश्य यही है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई आंच न आने पाए।
विदेश विभाग के प्रवक्ता का आगे यह भी कहना है कि पाकिस्तान अमेरिका का लंबे वक्त से साझीदार देश बना रहा है, लेकिन तो भी कुछ मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। ऐसे में हमारी ओर से अमेरिका के हितों को वरीयता दी जाती है। अमेरिका ने हमेशा से ही पाकिस्तानी मिसाइल कार्यक्रम के विरुद्ध मत व्यक्त किया है। अमेरिकी विदेश विभाग का ऐसा कहना कूटनीतिक आवश्यकता ही कहा जाएगा, लेकिन जहां तक पाकिस्तान की बात है तो उसके संबंध में हर देश बहुत ज्यादा सतर्क रहता है।
उधर पाकिस्तान अमेरिका के सामने यह दुखड़ा भी रोता रहा है कि अमेरिका ऐसे कार्यक्रम के संदर्भ में भारत को विशेष छूट देता है। इसके लेकर उसकी भारत से नफरत अनेक अवसरों पर सामने आ चुकी है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अमेरिका ने खतरनाक हथियारों के प्रसार पर रोक लगाने के उद्देश्य से एक चीनी रिसर्च इंस्टीट्यूट, चीन के नागरिक तथा चीन की तीन कंपनियों पर पाबंदियां लगाई हैं। अमेरिका का मानना है कि इसी चीनी इंस्टीट्यूट ने शाहीन 3 तथा अबाबील मिसाइल प्रणालियों के लिए जिन्ना के देश को कल—पुर्जे दिलाए थे। पाकिस्तान अंदरखाने अपने बालिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में लगा हुआ है, इस बात की भनक अमेरिका को भी है और वह उस पर पूरी नजर भी रख रहा है। लेकिन उसका आका चीन और फिलहाल अमेरिका का धुर विरोधी चीन इस दिशा में पाकिस्तान को उकसाता रहा है।
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