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Iran: क्या Hijab की होगी छुट्टी! राष्ट्रपति मसूद के वादे के मायने क्या!

राष्ट्रपति ने अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा है कि 'मोरेलिटी' पुलिस महिलाओं से संघर्ष न करे। उसे महिलाओं को सताना नहीं चाहिए

by WEB DESK
Sep 18, 2024, 12:13 pm IST
in विश्व
क्या यह माना जाए कि अब तेहरान की सड़कों पर महिलाएं अपने बाल ढके बिना घूमने को आजाद होंगी?

क्या यह माना जाए कि अब तेहरान की सड़कों पर महिलाएं अपने बाल ढके बिना घूमने को आजाद होंगी?

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नए राष्ट्रपति मसूद का यह वादा करना कितना मायने रखता है कि अब आगे ‘मोरेलिटी’ पुलिस बेहिजाबियों को नहीं सताएगी! सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या सर्वोच्च शिया नेता खामेनेई इस मुद्दे पर कुछ नरम हुए हैं या उन्हें अपनी कुर्सी खिसकने का डर सताने लगा है!


22 साल की महसा अमिनी की दो साल पहले, हिजाब न पहने होने पर पुलिसिया बर्बरता से हुई मृत्यु ने ईरान को एक दोराहे पर ला खड़ा किया है। आम जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग और उसके साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ईरान में सिर पर हिजाब की अनिवार्यता को खत्म करने की लगातार संघर्ष की हद तक जाकर पैरवी कर रहा है। ईरान में शिया सत्ता और प्रगतिवादी जनता इस मुद्दे पर आमने—सामने रही है। सत्ता अपनी ‘मोरेलिटी’ पुलिस के माध्यम से बर्बर कहर बरपाना जारी रखे हुए है तो दूसरी ओर वहां का युवा वर्ग अब हिजाब विरोध में उग्र होता जा रहा है।

महसा अमीनी

ऐसे में नए राष्ट्रपति मसूद का यह वादा करना कितना मायने रखता है कि अब आगे ‘मोरेलिटी’ पुलिस बेहिजाबियों को नहीं सताएगी! सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या सर्वोच्च शिया नेता खामेनेई इस मुद्दे पर कुछ नरम हुए हैं या उन्हें अपनी कुर्सी खिसकने का डर सताने लगा है!

महीनों चले विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी

अभी चार माह पहले ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में सिधार गए थे, उसके बाद मसूद पेजेशकियान ने गत जुलाई माह में सत्ता संभाली थी। 16 सितम्बर को महसा अमीनी के निधन को दो साल हुए थे।

अमीनी को ‘मोरेलिटी’ पुलिस ने हिजाब न पहने होने के ‘जुर्म’ में राजधानी तेहरान में एक स्टेशन से पकड़ लिया था। उसके बाद उसे जबरदस्त यातनाएं दी गईं, तीन दिन वह अस्पताल में कोमा में रही, लेकिन आखिरकार 16 सितम्बर को उसकी मृत्यु के बाद पूरा देश सड़कों पर उतर आया था। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्रों ने हिजाब विरोधी आंदोलन के अगुआई की। महीनों चले विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी, हजारों छात्र जेल में ठूंसे गए थे, कइयों को फांसी चढ़ाया गया था। उसके बाद से वह आंदोलन कमोबेश कम पैमाने पर चलता आ रहा है।

और अब नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा है कि ‘मोरेलिटी’ पुलिस को चाहिए कि वह महिलाओं से संघर्ष न करे। उसे महिलाओं को सताना नहीं चाहिए, अगर ऐसा हुआ तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

राष्ट्रपति मसूद ने इसे लेकर वादा तक कर लिया। वादा किया कि अब से ‘मोरेलिटी’ पुलिस किसी महिला को तंग नहीं करेगी। महसा अमीनी के मरने के दूसरे साल पर उनका यह ‘वादा’ बेशक हिजाब आंदोलन को लेकर आया है। मसूद ने एक कदम आगे जाकर यहां तक बताया कि अब सरकार सोशल मीडिया व कुछ अन्य आनलाइन प्लेटफार्म पर पाबंदी हटाने की तरफ बढ़ेगी। उस देश में कई साल से इंटरनेट का सीमित प्रयोग लागू होने के अलावा, फेसबुक तथा एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी पाबंदी लगी हुई है।

16 सितम्बर को महसा अमीनी के निधन को दो साल हुए

महसा अमीनी और हिजाब के अलावा उन्होंने ईरान के पसंदीदा विषय अमेरिका के साथ संबंधों पर भी बात की। दोनों देशों के संबंध अपने सबसे खराब दौर में चल रहे हैं। मसूद के अनुसार, अमेरिका यदि उनके हकों का सम्मान करेगा तो वे भी अमेरिका से किसी प्रकार का संघर्ष नहीं करेंगे। मसूद ने और ‘उदारवादी’ रुख दिखाते हुए यह भी कहा कि ‘ईरान अमेरिका का दुश्मन नहीं है’।

मसूद के इस वादे के बाद क्या यह माना जाए कि अब तेहरान की सड़कों पर महिलाएं अपने बाल ढके बिना घूमने को आजाद होंगी? क्या हिजाब अब वहां इस्लामी ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं रह जाएगा? क्या महिलाएं दुनिया की अन्य महिलाओं के समान निडर होकर बिना काला आवरण ओढ़े आधुनिक पहनावा अपना पाएंगी? क्या अयातुल्ला खामनेई बदलती ईरान के लोगों को बदलती दुनिया के साथ कदम मिलाकर चलने देने की आजादी देंगे?

Topics: Protestsocial mediaईरानIranमहसा अमीनीMahsa Aminiअयातुल्ला खामनेईpresident Masoud Pezeshkianmorality police#hijabहिजाब
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