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digital detox : मोबाइल फोन की तय कर दें ‘लिमिट’! स्वीडन जैसे देशों में उठा लिया बड़ा कदम, फिर आप क्यों नहीं कर सकते ?

विदेशों में डिजिटल की तय की जा रही लिमिट, स्वीडन ने मोबाइल फोन को लेकर जारी कर दी एडवाइजरी

by Sudhir Kumar Pandey
Sep 17, 2024, 09:37 pm IST
in जीवनशैली
मोबाइल फोन का उतना ही उपयोग करें, जितना जरूरी हो

मोबाइल फोन का उतना ही उपयोग करें, जितना जरूरी हो

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दो घटनाएं हैं, एक हिमाचल प्रदेश के चंबा से और दूसरी उत्तर प्रदेश के कासगंज से। चंबा में एक लड़की रील बना रही थी और इसी दौरान वह पहाड़ी से नीचे गिर गई। कासगंज में एक युवक बीच सड़क पर अर्थी पर लेटा मरने की एक्टिंग कर रहा था, वह अब हवालात में है। डिजिटल की यह बीमारी एक बड़ी समस्या बन गई है। इस पर नैतिक रूप से खुद अंकुश नहीं लगाया गया तो यह रोबोट बनाकर छोड़ देगी।

यूरोपीय देशों में भी डिजिटल के अंधाधुंध उपयोग पर चिंता जताई जा रही है। हाल ही में स्वीडन ने अपने देश के नागरिकों को डिजिटल एडवाइजरी जारी की है। वहां के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी परामर्श में कहा गया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह के डिजिटल डिवाइस से पूरी तरह से दूर रखा जाए। दो से 5 वर्ष के बच्चों को 24 घंटे में ज्यादा से ज्यादा एक घंटे, 6 से 12 वर्ष के बच्चों को 2 घंटे और 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को 24 घंटे में एक से दो घंटे ही स्क्रीन टाइम की अनुमति दी जानी चाहिए। 13 से 18 वर्ष के बच्चों को दो से तीन घंटे ही स्क्रीन देखने की अनुमति दी जाए।

स्वीडिश सरकार की तरफ से कहा गया है कि ज्यादा स्क्रीन देखने से बच्चों और किशोरों में नींद की कमी और डिप्रेशन की समस्या देखी गई है। इससे उनके शरीर पर भी असर पड़ रहा है। यहां आपको यह भी जानना चाहिए कि स्वीडन में इंटरनेट का 95 प्रतिशत इस्तेमाल होता है।

यूनेस्को द्वारा जारी रिपोर्ट में भी कहा गया है कि किसी स्टूडेंट का ध्यान अगर तकनीक की वजह से भटकता है तो उसे ध्यान केंद्रित करने के लिए 20 मिनट तक का समय लग सकता है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इस बात की जानकारी होने पर भी 25 प्रतिशत से कम देशों ने पढ़ाई के दौरान स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया है। फ्रांस में एक विशेषज्ञ पैनल ने मई में फ्रांस के राष्ट्रपति को सलाह दी थी कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन न देखने दिया जाए। छह साल तक की उम्र तक कड़ाई से इसकी लिमिट तय की जाए।

दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम कर रहे विजय नारायण सिंह कहते हैं कि वह फोन का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से करते हैं। फोन जाते ही घर पर रख देते हैं। घर पर मोबाइल फोन बहुत कम इस्तेमाल करते हैं। फेसबुक भी ओपन नहीं करते। मोबाइल देखने की जगह पुस्तकें पढ़ते हैं। वह यह भी कहते हैं बच्चे इस पर ध्यान नहीं देते हैं, उन्हें मोबाइल के चक्कर से दूर रहना चाहिए।

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Topics: digital detoxE-fastingReduce digital screen timeuse mobile lessमोबाइल फोन के साइड इफेक्टडिजिटल स्पेसmobile phone side effects in hindi
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