बरेली। यूपी के बरेली शहर में जैसी कहानी अब से दो साल पहले कांवड़ यात्रा के दौरान बनी थी, वैसा ही हंगामा इस बार जुलूस ए मोहम्मदी को लेकर भी दिखाई दी। हिन्दू समाज ने मुखर होकर अपने घरों के सामने से मुस्लिम अंजुमनों को नहीं निकलने दिया। हिन्दू महिलाएं भी सड़कों पर उतर आईं तो भारी हंगामे के हालात बन गए। रात भर दोनों ओर से नारेबाजी-प्रदर्शन जारी रहा।
प्रशासन ने टकराव की आशंका के चलते जुलूस को दूसरे रास्ते से गुजारा, तब जाकर बात बनी। रार-तकरार से बरेली शहर में हालात तनावपूर्ण हैं। इसे देखते हुए संवेदनशील जगहों पर पुलिस के साथ पीएसी भी जुटाई गई है। रविवार रात को बरेली के पुराना शहर क्षेत्र में विवाद के चलते अफसर फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। महानगर के कई इलाकों में सोमवार को भी इस्लामिक त्यौहार पर जुलूस निकाले जाने हैं। इसे देखते हुए यातायात में बदलाव किया गया है। सुबह से रात तक के लिए शहर में भारी वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया है।
जुलूस ए मोहम्मदी के रास्ते को लेकर बरेली शहर के जिस जोगी नवादा मोहल्ले के जिस हिस्से में हंगामा हुआ, वहां ज्यादातर हिन्दू परिवार रहते हैं। यही वो जगह है, जहां के कांवड़ जत्थे को मुस्लिम पक्ष ने अपनी मस्जिद के सामने से नहीं गुजरने दिया था। कांवड़ियों पर पथराव की घटना भी हुई थी। हालात न संभाल पाने को लेकर शासन ने उस समय तत्कालीन एसएसपी बरेली प्रभाकर चौधरी का तबादला तक कर दिया था। इस रविवार को मुस्लिम पक्ष के सैकड़ों लोग हिन्दू समाज के घरों के सामने से डीजे लेकर जुलूस ए मोहम्मदी का जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे थे, तो मोहल्ले वालों ने नई परंपरा बताते हुए विरोध कर दिया।
हिन्दू पक्ष का कहना था पहले जुलूस में डीजे नहीं होता था, लेकिन इवस बार मुस्लिम समुदाय ज्यादा भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर रहा है और डीजे की नई परंपरा भी डाल रहा है। विवाद की आशंका से पुलिस-प्रशासन पहले से सतर्क था। इसी वजह से तबादले के बाद भी एसपी सिटी राहुल भाटी को बरेली में रोककर रखा गया था। हंगामा शुरू होते ही पुलिस-पीएसी दोनों ओर की भीड़ के बीच दीवार बन गए और टकराव के हालात टाल दिए। पुलिस ने समझा-बुझाकर जुलूस से डीजे हटवा दिया, लेकिन हिन्दू पक्ष इसके बाद भी नहीं माना और विरोध करता रहा। महिलाएं भी सड़कों पर आकर प्रदर्शन करने लगीं। अफसर मामले का हल निकालने को कई दिन पहले से ही बातचीत में जुटे थे।
धर्म गुरुओं से भी संपर्क किया गया था। इसके बाद भी विवाद की स्थिति बनी तो प्रशासन को दूसरा उपाय करना पड़ा। रात में घंटों रार-तकरार के बाद पुलिस ने हिन्दू बहुल क्षेत्र की जगह जुलूस मुस्लिम बस्ती से गुजारा, तब कहीं प्रदर्शनकारी शांत हुए। बता दें कि जुलूस ए मोहम्मदी में बरेली के अंदर अलग-अलग इलाकों से अंजुमन लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग पहुंचते हैं। शहर में हर तरफ भीड़ की वजह से प्रशासन ट्रैफिक व्यवस्था में परिवर्तन करता है। अंजुमनों के रास्ते को लेकर हर साल विवाद भी सामने आते रहते हैं। प्रशासन और पुलिस की मुस्तैदी से इस बार मुस्लिम बहुल पुराना शहर में बवाल टल गया है, लेकिन शहर में तनाव साफ नजर आ रहा है। एसएसपी अनुराग आर्य ने मीडिया को बताया कि अंजुमन जुलूस के रास्ते के कुछ हिस्से को लेकर विवाद था। इसे देखते हुए शार्ट कट रूट का विकल्प पर सहमति बन गई। अब कोई विवाद नहीं है।
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