गत 6 सितंबर को कोलकाता में गजल गायक स्व. जगजीत सिंह की याद में ‘भारतीय संस्कृति संसद’ द्वारा गजलों का मनोहारी कार्यक्रम ‘एक शाम जगजीत जी की याद में’ आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था की उपाध्यक्ष डॉ. तारा दूगड़ ने बताया कि भारतीय संस्कृति, कला, साहित्य एवं संगीत के प्रति समर्पित इस संस्था ने अपनी स्थापना के सफल और सार्थक 70 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं।
नज्मों, नगमों एवं गजलों के बादशाह जगजीत जी की आवाज गजल का पर्याय बन गई है। स्वर साधिका चित्रा नेवटिया ने रूहानी आवाज के जादूगर जगजीत की चुनी हुई गजलों को बड़ी कारीगरी एवं शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया।
‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले’,‘बहुत पहले से इन कदमों की आहट जान लेते हैं’,‘ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो’ आदि गजलों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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